नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान जामिया में हुए पुलिस कार्रवाई के बाद अलीगढ़ के छात्रों के साथ भी अलीगढ़ पुलिस ने बर्बरता की थी।पुलिस ने यहां हॉस्टल में घुसकर लाठीचार्ज किया।आंसू गैस चलाई और रबर बुलेट दागी जिसके बाद सैकड़ो छात्र घायल हो गए।आज देश भर की यूनिवर्सिटीज में जामिया और एएमयू के पक्ष में प्रदर्शन हुए हैं। एएमयू को 5 जनवरी के लिए बंद कर दिया गया है।अलीगढ़ के विद्यार्थियों और उनके परिजनों में इसका कड़ा रोष है।पुलिस के अत्याचार को समझने के लिए हमने अलीगढ़ मेडिकल के कुछ डॉक्टर्स से बात की जो रविवार रात की हाल बयां कर रहे हैं!
“मुझे रात में कॉल आई थी कि तुरंत अस्पताल आ जाइये,इमरजेंसी है।मैं और मेरी डॉक्टर मंगेतर जब यूनिवर्सिटी के गेट पर पहुंचे तो वहां सिविल पुलिस के दरोगा ने मुझे रोक लिया,यह हैरतअंगेज था कि यूनिवर्सिटी में प्रवेश नियंत्रण ही बाहरी पुलिस के हाथ था।यूनिवर्सिटी का अपना प्रशासन दिख नही रहा था।मैंने उन्हें बताया मैं डॉक्टर हूँ और मुझे इमरजेंसी के लिए बुलाया गया है।
मैं और मेरी मंगेतर दोनों यूनिफॉर्म में थे मैंने अपना पहचान पत्र दिखाया।मेरी गाड़ी पर डॉक्टर चिन्ह था।गले मे आला पड़ा हुआ था।
पुलिस नही मानी और मुझे जमालपुर वाले एक दूसरे रास्ते लंबा चक्कर काट कर अस्पताल जाना पड़ा।इससे पहले मैंने इसी रास्ते से पुलिस की गाड़ियों को कैम्पस में जाते हुए देखा।एएमयू मेडिकल हॉस्पिटल का हाल देखकर मेरा कलेजा उछल गया।यूनिवर्सिटी के 60-70 छात्र बुरी तरह घायल थे।किसी के हाथ की हड्डी टूटी हुई थी।कुछ लहुलुहान थे और दर्जनों के सिर से खून बह रहा था।
यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष सलमान इम्तियाज बुरी तरह हांफ रहे थे उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था।वो कह रहे थे कि उनका दम निकलने वाला है।सलमान को रबर बुलेट लगी थी और आंसू गैस का गोला भी।मैंने सलमान को हिम्मत दी और इलाज़ शुरू किया।इन बच्चों को देखकर मैं खुद भी विचलित हो गया।मैं खुद इनका इलाज करने आया था मगर खुद मेरा दिल बैठने लगा”।
डॉक्टर अजीमुद्दीन मलिक की यह बताते हुए जज्बाती हो जाते हैं और कहते हैं”मैं डॉक्टर हूँ मुझे घायल स्टूडेंट्स को देखकर यह अंदाजा लगाने में देर नही लगी इन्हें कितनी निर्दयतापूर्वक पीटा गया,कई के सर फूटे हुए थे,हाथ टूट गए थे और वो दर्द से कराह रहे थे,हम इनका इलाज़ करते हुए खुद से सवाल कर रहे थे!
अज़ीम कहते है “मैंने यह जानने की कोशिश की इन बच्चों ने ऐसा क्या अपराध किया था जो इन्हें इतनी बुरी तरह मारा गया, कोई जानवरों को भी इतनी बुरी तरह नही मारता है!बुरी तरह पीटकर अपने हाथ तुड़वा चुके नदीम ने मुझे बताया वो लाइब्रेरी में था, शोर सुनकर बाहर आया तो कुछ स्टूडेंटस के पीछे पुलिस भाग रही थी,उन्हें जो रास्ते में मिला उन्होंने उसे मारा,मुझे भी मारा,मैं प्रदर्शन में शामिल नही था।”
अज़ीम कहते हैं”एक भी घायल ऐसा नही था जिसको कसकर चोट न मारी गई, बतौर एक डॉक्टर मैं यह कह सकता हूँ मारते समय यह नही सोचा गया कि इस चोट का परिणाम क्या हो सकता था ऐसा लगता था कि इनपर पूरा गुस्सा उतार दिया गया हो।इनमें ऐसे छात्र भी थे जो हॉस्टल में अपने कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे।पुलिस ने वहां पहुंचकर उनकी पिटाई की।
पुलिस हॉस्टल के मैकडोनाल्ड इलाके में सबसे ज्यादा ज्यादती की,यहां सबसे सीनियर छात्र रहते हैं इससे यह साफ होता है पुलिस एक योजना बनाकर और खासा होमवर्क करके आई थी”।
अज़ीम बताते हैं कि इन बात ने उन्हें बहुत तक़लीफ़ दी।खासकर उनकी सहयोगी महिला डॉक्टर बहुत परेशान हो गई।एक घायल डिप्लोमा इंजीनियरिंग के छात्र शाहवेज को टीवी पर देखकर दुबई से उसके परेशान पिता का फोन आया और फोन पर रोने लगे।
यूनिवर्सिटी नियम के मुताबिक वो बाबा सय्यद गेट से बाहर नही आ रहे थे।एक चश्मदीद के मुताबिक गेट के दूसरी तरफ बहुत भारी मात्रा में पुलिस थी।इस दौरान छात्रों की तरफ़ से पुलिस की तरफ पत्थर फेंके गए।इसके बाद पुलिस एकदम से एक्शन में आ गई और उसने लाठीचार्ज,रबर बुलेट और आंसू गैस की बरसात कर दी।ऐसा लग रहा था कि जैसे पुलिस पत्थर के आने की इंतजार कर रही थी।यह पत्थर किसने चलाया इसकी जांच होनी चाहिए!
सलीम बताते हैं एएमयू में पिछले तीन दिन से प्रदर्शन चल रहा था, एसएसपी अलीगढ़ आकाश कुलहरि ने कैम्पस के अंदर ही शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट करने के लिए इज़ाज़त दी थी।कल जामिया में छात्रों की पिटाई के बाद छात्र फिर से प्रदर्शन कर रहे थे।मगर इस बार पुलिस का मूड बदला हुआ था।डीआईजी खुद कमांड पर थे।ऐसा लगता था इस बार पुलिस मूड बनाकर छात्रों को कुचलने ही आई थी।यूनिवर्सिटी के गार्ड, वीसी के ड्राइवर और 60 साल के एक बुजुर्ग को भी पुलिस द्वारा पीटने उनका नज़रिया साफ करता है!
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया में हुए इस कार्रवाई के बाद अलीगढ़ में इंटरनेट बंद कर दिया।अलीगढ़ के साथ उत्तर प्रदेश के बरेली,कासगंज बुलन्दशहर और सहारनपुर में भी इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई।गौरतलब है एएमयू में पिछले तीन दिनों से भारत सरकार द्वारा लाएं गए नए नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया जा रहा था।इस कानून के अनुसार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यको को नागरिकता दी जा सकेगी।इन अल्पसंख्यक समुदायों में मुसलमान शामिल नही है। भारत के सँविधान के अनुसार किसी के साथ भी जातिय और धार्मिक आधार भेदभाव नही किया जा सकता।ज्यादातर लोग इसे एनआरसी की ज़मीन मान रहे हैं।उनमें नागरिकता को लेकर डर बैठ गया है।
इस कानून के विरोध में देश भर के शिक्षण संस्थानों सड़कों पर है।