आसमोहम्मद कैफ TwoCircles.net
दिल्ली-
3-4 फरवरी को राजधानी के विश्वविद्यालय परिसर में किरोड़ीमल कॉलेज में दलित लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया.देश मे ऐसा पहली बार हुआ.इस फेस्टिवल में दलितों के मुद्दों पर लिखी गई ज्यादातर किताबे उपलब्ध थी.इसके अलावा इन किताबों को लिखने वाले लेखकों ने भी यहां पहुंचे पाठकों से अपने अनुभव और सुझाव साझा किए.
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सीधे तौर पर कहे तो दलित बुद्धिजीवियों का एक खुली छत के नीचे एक महत्वपूर्ण जगह जमावड़ा था.जिसकी जरूरत महसूस की जा रही थी.
यह फेस्टिवल दो दिन के लिए आयोजित किया गया.आयोजको ने कहा कि वो अब इसका आयोजन लगातार करते रहेंगे.महोत्सव में मॉब लीचिंग,सवर्ण आरक्षण और दलितों के बढ़ रही नफरत की घटनाओं पर बात हुई.
इस महोत्सव की थीम “साहित्य की एक नई दुनिया संभव है “रखी गई थी.इस महोत्सव में लगभग 20 भाषाओं के साहित्यकारों और लेखकों ने प्रतिभाग किया.
यहाँ मेधा पाटकर,लक्ष्मण गायकवाड़, ममता कालिया, श्योराज सिंह बेचैन,मोहनदास नेमिषारण्य जैसी हस्तियों ने शिरकत करने पहुंची.
साहित्यकार मोहनदास नेमिषारण्य ने कहा कि “दलित साहित्य तक़लीफ़,बुलंद आवाज़ और संघर्षो का गवाह है”.
इस महोत्सव का आयोजन अम्बेडकर वादी लेखक संघ ने किया था.
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