आस मोहम्मद कैफ | मुजफ्फरनगर, TwoCircles.net
पांच साल पहले मुजफ्फरनगर दंगे की प्राथमिक घटना का आधार बने कवाल गांव में बुधवार को गौरव सचिन की हत्या के मामले में मुजफ्फरनगर एडीजे मुजफ्फरनगर हिमांशु भटनागर की अदालत के फैसले के अनुसार शाहनवाज़ पक्ष के सात लोगो फुरकान, मुजस्सिम, मुज़म्मिल ,अफ़ज़ल और इक़बाल,जहांगीर नदीम को गौरव और सचिन की हत्या का दोषी माना है. 8 फरवरी को अदालत इन सभी हत्यारोपियों को सज़ा का ऐलान करेंगी.
पांच साल पहले कवाल गांव में मोटरसाइकिल टकराने के लेकर हुए विवाद के बाद गांव के एक युवक शाहनवाज़ की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी.इसके बाद भीड़ ने शाहनवाज़ पर हमला करने वाले गौरव और सचिन की हत्या कर दी थी.इसके बाद मुजफ्फरनगर में घोर साम्प्रदयिक तनाव हो गया।कवाल के करीब ही महापंचायत का आयोजन हुआ और मुजफ्फरनगर में भीषण दंगा हुआ.
अदालत के इस फैसले के बाद कवाल में सन्नाटा है.कवाल में महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस तैनात की है.जिन सात मुल्जिमो को मुज़रिम करार दिया गया है वो सभी शाहनवाज़ के ही परिवार के है.इनमे से दो सगे भाई है और दो ताऊ के बेटे है.शाहनवाज़ के पिता सलीम अब अपनी हिम्मत तोड़ चुके है।इस घटना के बाद सदमे में उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है.उनके एक बेटे की बीवी अब उनके घर नही रहती.स्थानीय लोगो के बीच घिरे सलीम 70 साल है.अदालत के इस फैसले के बाद वो कहते है”मैं पूरी तरह बर्बाद हो गया क हूँ.मेरा एक बेटा मारा गया.दो आज तक जेल में है.बीवी सदमे में मर गई.मेरे बेटे को इंसाफ नही मिला.उसके क़ातिल खुलेआम घूम रहे हैं.अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए. वो अदालत के बाहर खड़े होकर मीडीया को बयान दे रहे है.पुलिस ने मेरे मुक़दमे में एफआईआर दर्ज करने में कोताही की.बेटा तो मेरा भी मारा गया.साढ़े चार साल में अदालत में मेरा परिवाद स्वीकार हुआ.मेरे घर मे कोहराम है.मैंने न्याय की उम्मीद खो दी है.अब मेरा अल्लाह ही मेरे साथ इंसाफ करेगा.
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सलीम के अलावा उनके बड़े भाई हाजी नसीम के भी दो लड़कों को दोषी ठहराया गया है उस दिन को याद करते हुए वो कहते हैं” शाहनवाज़ की मलिकपुरे(कवाल के पास का गांव) के गौरव से साईकिल टकराने से कहासुनी हो गयी थी ,गौरव ने कहा कि “अपनी मां से पैदा है तो यहीं मिलना “वो अपने ममेरे भाई सचिन के साथ आया और शहनवाज़ को चाकू से मार दिया. बाद में वो भाग गए शोर मचाने पर भीड़ ने इन दोनों को मार दिया.नसीम अहमद बताते है पांच साल से उनके बेटे जेल में है जमानत पर सुनवाई भी नही हुई.अब 24 घण्टे बाद सज़ा का ऐलान हो जाएगा.मेरा एक बेटा मुज्जमिल विकलांग है.शहनवाज़ की हत्या में बाकि लोगो को पुलिस ने विवेचना में निकाल दिया था.गौरव और सचिन की हत्या के आरोप में बंद उनके बच्चो की जमानत पर सुनवाई भी नही हुई थी.
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मृतक शाहनवाज़ के ताऊ हाजी नसीम अब अपना मानसिक संतुलन लगभग खो चुके है उनके भी दो बेटे जेल है।कागज की अल्टी-पलटी करते रहते हैं और बात-बात पर घर वालों पर चिल्लाते है.एक और भाई अब्दुल सत्तार कहते है”पहले शहनवाज़ का कत्ल हुआ था पहले सज़ा भी उसके भाइयो को मिल रही है ,उसके 10 मिनट बाद गौरव और सचिन का 15 मिनट में सब कुछ हो गया कानूनन शहनवाज़ की एफआईआर पहले लिखी जानी चाहिए थी मगर यह नही हुआ.पुलिस ने शाहनवाज़ के कत्ल के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिया.कोई इस बारे में बात नही करता कि अगर शाहनवाज़ का क़त्ल नही होता तो भीड़ सचिन गौरव पर हमला क्यों करती वो गांव में चाकू मारकर भाग रहे थे. इस पूरे मामले की जांच एसआईटी कर रही थी जिसमे सख्त लिखापढ़ी हुई.इससे इतर शाहनवाज़ वाले मामले में एसआईटी ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी. पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के बाद 6 महीने पहले ही अदालत मुक़दमे में सुनवाई शुरू की गई है.उस दिन कवाल में सबसे पहले मारे गए शाहनवाज़ के घर मे आज फिर मातम है.महिलाओं में चीख पुकार मची है.पड़ोस की औरतें उन्हें सम्भालने की कोशिश में लगी है.रिश्तेदार उनके यहाँ एकजुट हो रहे है.हर तरफ निराशा है.शाहनवाज़ के पिता सलीम(71) के मुताबिक इतने बड़े अन्याय का वो कभी सोच भी नही सकते थे.उनके भाई अब्दुल सत्तार कहते है दोषी ठहराए जाने का फैसला अदालत का है वो ऊपरी अदालत में अपील दायर करेंगे.
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अदालत का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार दंगे के 38 मुक़दमे वापस लेने की घोषणा कर चुकी है.इसमें राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है.इन मुक़दमे में नामजद युवक बहुसंख्यक समुदाय से आते है.कवाल के लोग मानते हैं कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है।कवाल के शादाब क़ुरैशी कहते हैं “अब चुनाव आने वाले है इसलिए एक पक्ष पर ज्यादती हो रही है और दूसरे पक्ष को मदद पहुंचाई जा रही है बात इंसाफ की नही हो रही है हम बुरी तरह परेशान हो चुके हैं.
फैसले के बाद लोगो ने खुद को घरों में कैद कर लिया है.बाजारों की रौनक गायब है.बच्चे गलियों ने नही खेल रहे है.नोजवानों को आज गांव से बाहर रहने की हिदायत है.सयानी लड़कियां आज स्कूल नही है.जिन घरों में मातम है वहां पांच साल पहले भी मातम ही था.
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कवाल जानसठ से मुज़फ्फरनगर मार्ग पर 8 हजार की आबादी वाला एक गाँव है.मुस्लिम बहुल इस गाँव में 3 हजार से ज्यादा कुरैशी बिरादरी के लोग है. 27 अगस्त को जिस शहनवाज़ का क़त्ल करके गौरव और सचिन भाग रहे थे वो शहनवाज़ भी कुरेशी थे।शहनवाज़ के घर से लगभग 100 मीटर आगे चोराहे पर मारे गए गौरव सचिन को भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था. इस एक घटना के बाद दर्जनों क़ुरैशी बिरादरी के लोगो ने कवाल को हमेशा के लिए छोड़ दिया.
कवाल में यह घटना 27 अगस्त को हुई थी.इसके बाद मुजफ्फरनगर में भारी साम्प्रदयिक तनाव हो गया.महापंचायतों का दौर चला और एक सप्ताह तक मुजफ्फरनगर भीषण दंगे में जूझता रहा.इसमें 60 से ज्यादा लोगो की हत्या हो गई।50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए.
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