क्या कैराना में तबस्सुम हसन इतिहास रचने की कगार पर है

आस  मुहम्मद कैफ , TwoCircles.net
कैराना-

कैराना का चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे नजदीकी चुनाव होने वाला है.पहले चरण में यहां मेरठ, सहारनपुर,

मुजफ्फरनगर, बिजनोर, बागपत,नोएडा और ग़ाज़ियाबाद में मतदान है.यहां ज्यादातर में तस्वीर साफ है बस कैराना की उलझी हुई है.मगर इस बार तस्वीर के धुंधला होने की वजह भारतीय जनता पार्टी नही है बल्कि कांग्रेस का मजबूत प्रत्याशी है.

इस बार पलायन मुद्दा नही है.कानून व्यवस्था पर कोई बात नही हो रही.पुलवामा का मामला उलटा पड़ गया है.अब यहाँ साम्प्रदयिकता का ज़हर भी नही दिखाई देता है.हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का टिकट भाजपा ने काट दिया है.गंगोह के विद्यायक प्रदीप चौधरी अब भाजपा के प्रत्याशी है.चुनाव पूरी तरह से सोशल कमेस्ट्री पर आकर टिक गया है.किसान पूरी तरह से भाजपा सरकार से नाराज है.


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कैराना लोकसभा के थानाभवन विधानसभा जलालाबाद मुस्लिम बहुल क्षेत्र है यह मज़हबी आलिम मौलाना अशरफ अली थानवी का इलाका है.यहां जलालाबाद कस्बे के असलम मंसूरी (51)के अनुसार मुसलमानों का अधिकतर झुकाव तब्बुसम की और है मगर कांग्रेस ने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी बनाकर कन्फ्यूज़ कर दिया है.हरेंद्र मलिक को जाटों का बड़ा भाग समर्थन कर रहा है और कुछ मुसलमान भी उनके साथ है.इसके उलट मुसलमानों का बड़ा हिस्सा तब्बुसम के साथ है और जाटों में भी उनकी सेंधमारी है.बेहतर होता यह वोट एकतरफा होता.इससे भाजपा को लाभ हो रहा है.

तब्बुसम हसन यहां गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही है.पिछले साल कैराना उपचुनाव में उनकी जीत की चर्चा देशभर में हुई थी.वो रालोद के टिकट पर चुनाव जीती थी.इस जीत से उत्तर प्रदेश से संसद में एकमात्र मुस्लिम प्रतिनिधित्व मिला.कैराना के मेहरबान अली (45) कहते है लड़ाई वो भी मुश्किल थी और यह भी मुश्किल है उस समय लड़ाई धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता के बीच थी इस बार मोदी को हटाने की कवायद है.उस जीत में जयंत चौधरी की ज़ोरदार मेहनत थी.इस बार वो अपना चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए जाटों का पहले की तरह एकतरफा समर्थन नही दिखाई दे

रहा है.
फिर भी तब्बुसम हसन मजबूत स्थिति में है.

कैराना से तब्बुसम हसन के बेटे नाहिद हसन विधायक है वो सुबह 5 बजे क्षेत्र में निकल जाते हैं नाहिद हमें बताते हैं कि इस बार चुनाव पहले से ज्यादा आसान है क्योंकि पिछली बार चुनाव रमजान और शिद्दत की गर्मी में था.सरकार ने अपनी पूरी ताक़त यहाँ झोंक दी थी.इस बार कार्यकर्ता को जनसंपर्क में सहूलियत है.हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.

कैराना में 39 फीसद मुस्लिम वोट है 2018 के चुनाव में यहां तबस्सुम हसन को 4 लाख 81 हजार 182 वोट मिली थी.जिसमे वो मृगांका सिंह से 44 हजार 618 वोटों से जीती थी.यह सीट बड़े गुर्जर नेता सांसद  और 7 बार के विधायक हुकुम सिंह के निधन से रिक्त हुई थी.उनकी बेटी मृगांका सिंह को उसके बाद यहां से प्रत्याशी बनाया गया.

सहानभूति लहर के बावजूद वो चुनाव हार गई. दंगे के बाद पहली बार जाटो और मुसलमानों ने एक जुट होकर मतदान किया जिससे तबस्सुम जीत गई. गौरतलब है कि यहाँ रात में 12 बजे तक मतदान हुआ था.

अब मृगांका सिंह का टिकट काट दिया गया है और गंगोह के विधायक प्रदीप चौधरी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है.इसके बाद कैराना भाजपा में बगावत हो गई हजारों समर्थक मृगांका सिंह के समर्थन में प्रदर्शन करने लगे.कैराना के अनिल चौधरी (46)कहते है “बहन मृगांका का टिकट राजनाथ सिंह जी वजह से कटा है उन्होंने उनके टिकट के लिए ज़ोरदार पैरवी की मगर अमित शाह और मोदी अपनी टीम तैयार करना चाहते हैं.वो जानते थे कि  मृगांका बहन के पिता बाबू हुकुम सिंह के राजनाथ सिंह जी से अच्छे रिश्ते है यह ऊंचे स्तर की राजनीतिक पैंतरेबाजी है अब हम इसका जवाब देंगे.

मृगांका सिंह गुर्जरो की कलयस्यान खाप से आती है. कैराना लोकसभा पर 3 लाख गुर्जर है इनमे हिन्दू-मुस्लिम दोनों शामिल है.हसन और हुकुम सिंह परिवार भी एक ही है.मृगांका सिंह और तब्बसुम हसन दोनों आपस मे ननद भाभी है.इसी परिवार में कैराना की सियासत घूमती रहती है.मृगांका के पिता हुकुम सिंह रिश्ते में तब्बसुम हसन के ससुर लगते थे.कैराना में गुर्जरो में मज़हबी भेदभाव बहुत कम है और बिरादरी के असर ज्यादा है.

मृगांका के टिकट कटने के बाद कलस्यान खाप वाले सभी गुर्जर अब एक राय होकर तब्बुसम के पक्ष में उतर सकते हैं.

दन्दूखेड़ा गांव के सुधीर भी मृगांका सिंह के समर्थन में कैराना के प्रदर्शन में थे वो कहते हैं”बहन नही लड़ेगी तो भावज(भाभी) का साथ देंगे”.

कैराना से तब्बुसम हसन के शौहर मनव्वर हसन ने चारों सदनों का प्रतिनिधित्व किया.उनके ससुर अख्तर हसन भी यहाँ से सांसद रहे वो 2009 में यहां से बसपा के टिकट पर सांसद चुनी गई.2018 में वो रालोद के टिकट पर पुनः सांसद बनी.उनका बेटा नाहिद हसन यहां से दूसरी बार विधायक है.अगर वो इस बार यहां से जीत जाती है तो कैराना के इतिहास में पहली बार 3 बार सांसद बनने वाली नेता बनेगी,साथ उत्तर प्रदेश में पहली बार तीन बार की कोई मुस्लिम महिला सांसद बनेगी.

तब्बसुम हसन इस खुश होती है और कहती है इतिहास तो उन्होंने (मनव्वर हसन ) ने भी लिखा था अल्लाह करें जीत हो.इस बार मकसद सिर्फ दिल्ली की सरकार को बदलना है.

कैराना में किसानों का गुस्सा चरम पर है शामली के शुभम चौधरी(27) के अनुसार किसानों के अंदर सरकार बदलने की आग लगी हुई है हम हमारे जिस्म पर लगी हुई लाठियां याद आती है किसान इस चुनाव भाजपा को सबक सिखाना चाहता है.हमसे किये गए वादे झूठे साबित हुए हैं हमारे गन्ने का भुगतान अब तक बकाया है.

कैराना के दलितो का झुकाव गठबंधन की तरफ है उनमें किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन नही है.भीम आर्मी का समर्थन भी गठबंधन को हो है.हसन परिवार में अब अंतर्विरोध भी नही है.कैराना में कभी किसी दल का कोई वर्चस्व नही रहा है बल्कि एक ही परिवार का दबदबा रहा है.

यहां लोगो की जबान से अब पलायन मुद्दों गायब हो चुका है उसके जिक्र पर स्थानीय लोग ‘छोड़ो वो कुछ बात नही’कहते हैं. गन्ने भुगतान पर किसान सबसे ज्यादा मुखर है.

हाल ही शामली के दो जवान पुलवामा हमले में शहीद हुए थे.भाजपा के कुछ नेताओं ने राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगने की कोशिश की है शामली के जितेंद्र हुड्डा(39) कहते हैं “यह झूठे राष्ट्रवादी और फर्जी देशभक्त है पुलवामा हमला केंद्र सरकार की विफलता है देश में बच्चा भी जानता है कि यह मामला क्या है इस बार चौकीदार की चोरी पकड़ी गई है
किसान इनके षडयंत्रो में आने वाला नही है”.

कैराना लोकसभा में साढ़े पांच लाख मुस्लिम डेढ़ लाख जाट और ढाई लाख दलित वोट है.इनमे कांग्रेस के हरेन्द्र मलिक जाट मतदाता प्रभावित कर सकते हैं.स्थानीय किसान नेता सुधीर भारतीय दावा करते है कि ऐसा नही हो पाएगा तब्बसुम हसन इतिहास रचने ही जा रही है.मृगांका के टिकट कटने से उनकी जीत आसान हो गई है वो कैराना विधानसभा से ही भारी लीड लेंगी.जाट जानता है उनका नेता(अजित सिंह) मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ रहा है जहां मुसलमान एकतरफा उन्हें वोट कर रहा है.जाट धोखा नहीं देगा.तब्बुसम हसन को हम जिताने का काम करेंगे.हमें मोदी को हराना है वो किसानों के लिए आफत लेकर आएं.

कपड़े की दुकान चलाने वाले नसीम चौधरी बताते हैं कि 39 फीसद मुसलमानों में कहीं कोई कन्फ्यूजन नही है हम जानते हैं कि मोदी को कैसे हराया जा सकता है !

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