लखनऊ से आए एक फ़ोन ने लगवा दी कफ़ील ख़ान पर रासुका

आस मोहम्मद कैफ़, Twicircles.net

अलीगढ़। गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में बच्चों की मौत के दौरान चर्चा में आए डॉक्टर कफ़ील ख़ान अब जेल, अदालत और पुलिस के बीच पेंडुलम बन गए है। 12 दिसंबर को अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में सीएए के ख़िलाफ़ हुए एक प्रदर्शन के दौरान उनकी कही गई बातोंको को प्रशासन ने नफ़रत फैलाने वाली माना। उनपर रासुका लगी दी है। स्थानीय ख़बरों के मुताबिक़ ऐसा लखनऊ से आए एक फोन के बाद हुआ। हालांकि अधिकारी इस पर किसी तरह की कोई टिपण्णी नहीं कर रहे।


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डॉक्टर कफ़ील ख़ान पर यह कार्रवाई ऐसे समय पर की गई है जब वो मथुरा की जेल में बंद थे। अदालत से ज़मानत पा चुके थे। ज़मानत मिलने के बाद उनको बाहर आने में 72 घण्टे का समय लग गया। इस बीच उनके ख़िलाफ़ रासुका की कार्रवाई कर दी गई। डॉक्टर कफ़ील के भाई अदील ख़ान के मुताबिक़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत उनके भाई को जेल में रखने की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के ख़िलाफ़ है। इसके मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को ज़मानत मिलने के बाद उस पर रासुका नही लगाई जा सकती। अब डॉक्टर कफ़ील कम से कम तीन महीने जेल में रहेंगे। रासुका की अधिकतम अवधि एक साल होती है।

डॉक्टर कफ़ील ख़ान की पत्नी डॉक्टर शबिस्ता ख़ान ने इसे ख़ुद पर सरकारी ज़्यादती बताते हुए मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है, ‘अलीगढ़ में तमाम प्रदर्शनों हिंसा आदि के लिए उनके शौहर के भाषण को जिम्मेदार ठहराया गया है। यह पूरी तरह ग़लत है। कफ़ील इससे पहले 8 महीने तक जेल में रह चुके हैं। उनके अलीगढ़ जाने के दो दिन बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पुलिस की बड़ी कार्रवाई सामने आई थी।’

ग़ौरतलब है कि डॉक्टर कफ़ील तीन साल पहले बीआरडी कॉलेज गोरखपुर में बड़ी संख्च्यांं में  हुई बच्चों की मौत के दौरान अपनी सक्रियता से हीरो बन गए थे। बाद में सरकार ने उन्हें गिरफ़्ततार कर जेल भेज दिया था। हाल ही में उन्होंने ख़ुद को क्लीन चिट मिलने का दावा किया था। फ़िलहाल उनके ख़िलाफ़ तीन मामलों मे जांच चल रही है। वो संस्पेंड भी है।

12 दिसम्बर को अलीगढ़ यूनिवर्सिटी मे सीएए के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन में कुछ बाहरी लोगों को बुलाया गया था। इनमें योगेंद्र यादव भी शामिल थे।इन्ही के सामने बोलते हुए डॉक्टर कफ़ील ने कहा थख, ‘तुम्हारी औक़ात नही है जो हमें डरा सको। तुम्हारी औक़ात नही है जो हमें हरा सको। हम 25 करोड़ हैं। सीएबी के बाद एनआरसी आएगा और हमें दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जाएगि। यह हम तुम्हे बताएंगे यह देश कैसे चलेगा।’

13 दिसम्बर को अलीगढ़ में ही उनके इस भाषण को बेहद आपत्तिजनक मानते हुए अलीगढ़ प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर दिया गया। बाद में उन्हें मुम्बई से गिरफ्तार कर लिया गया। ख़ास बात यह है कि मुम्बई में उनकी गिरफ्तारी के लिए उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स को भेजा गया।

पिछले एक महीने में अलीगढ़ में सीएए के पक्ष और विपक्ष में कई वक्ताओं ने सीमाएं लांघ दी। ख़ास बात यह है कि सिर्फ विपक्ष में बोलने वाले वक्ताओं पर ही पुलिस की नज़र टेढ़ी रही। इस दौरान एक और नाम अधिक चर्चा में रहा। यह नाम है भाजपा नेता रघुराज सिंह का। उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त श्रम विभाग के अध्यक्ष रघुराज सिंह ने 12 जनवरी को कहा कि वो मोदी और शाह के ख़िलाफ़ नारे लगाने वालो को ज़िंदा दफ़ना देंगे। उसके बाद उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की। राहुल गांधी के विरुद्ध हिंसक होने की बात कही।

12 फरवरी को सारी हदें पार करते हुए यही रघुराज सिंह ने बुर्का पहनने वाली महिलाओं को दानवों का वंशज बताते हुए बुर्क़े पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। यह अलग बात है कि अलीगढ़ के स्थानीय प्रशासन को यह सब नहीं दिखाई दिया।

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष सलमान इम्तियाज कहते हैं, ‘यह सब प्रशासन को नहींं दिख रहा है। एक तरफ़ धारा 144 लगी है। जबकि अलीगढ़ में नुमाइश चल रही है। इसमे रोज़ दस हजार लोग इकट्ठा हो रहे हैंं। बजरंग दल और दूसरे कई संगठन सीएए के समर्थन में एकजुट होते हैं तो कोई आपत्तिजनक बात नहीं है। कार्रवाई करने के लिए आधार पैदा करते हैं। अब रघुराज सिंह जैसे लोग खुलेआम भड़का रहे हैं यह सरकार को क्यों नही दिख रहा है? इनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहींं हो रही है? यह बदले की कार्रवाई है जिसे सीएम खुद कह चुके हैं डॉक्टर कफ़ील ख़ान ने कुछ ग़लत नही कहा है।’

अलीगढ़ के एसपी क्राइम अरविंद कुमार डॉ कफ़ील ख़ान पर भड़काऊ भाषण देने के लिए रासुका लगाए जाने की बात तो कहते हैं मगर रघुराज सिंह पर कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी साध जाते हैं।

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