शाहीन बाग़ का प्रोटेस्ट ख़त्म करने के लिए दमनकारी नीति अपना रही है दिल्ली पुलिस

यूसुफ़ अंसारी, twocircles.net

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ के प्रोटेस्ट को ख़त्म करने के लिए दिल्ली पुलिस अब पूरी तरह दमनकारी तौर तरीक़ों पर उतर आई है। प्रोटेस्ट को बदनाम करने के लिए इसके तार आईएसआईएस और पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी आएसआई तक से जोड़े जा रहे हैं। इन संगठनों के जुड़े होने के शक में पुलिस ने गिरफ़्तारियों का कभी न रुकने वाला सिलसिला शुरू कर दिया है। पहले आईएसआईएस के ताल्लुक़ रखने के शक में ओखला विहार से कश्मीरी जोड़े की गिरफ़्तारी हुई। अब पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के दिल्ली प्रदेश अध्य़क्ष और सचिव को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है।


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पीएफ़आई का दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और सचिव गिरफ़्तार

गुरुवार सुबह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के अध्यक्ष परवेज़ और सचिव इलियास को गिरफ्तार किया। स्पेशल सेल ने शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन और पीएफआई के संबंधों की जांच करते हुए दोनों की गिरफ्तारी की है। इलियास दिल्ली के शिव विहार इलाके का रहने वाला है। उसके उपर प्रदर्शनों के दौरान लोगों को फंड मुहैया कराने का आरोप है। गिरफ़्तारी के बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने दोनों को सात दिन की रिमांड पर भेज दिया है। दोपहर होते-होते पुलिस ने ख़ुफिया विभाग के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में सलमान नाम के एक शख़्स को भी गिरफ्तार कर लिया।

शाहीन बाग़ में खाना और पैसे बांटने के आरोप में दानिश गिरफ्तार

ग़ौरतलब है कि सोमवार को दिल्ली पुलिस ने पीएफआई सदस्य दानिश अली को भी गिरफ्तार किया गया था। पीएफआई पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के लिए धन मुहैया कराने के आरोप लगे हैं। दिल्ली पुलिस ने मीडिया में सूत्रों के मुताबिक़ ख़बर चलवाई है कि दानिश से पूछताछ में दिल्ली की सुनियोजित हिंसा होने की बात सामने आई है। दानिश पर दिल्ली हिंसा में लिप्त रहने के भी आरोप हैं। वाले दानिश के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को खाना और पैसे बांटने का भी खुलासा हुआ है। कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस ने उसे भी चार दिन के रिमांड पर लिया है।

दिल्ली पुलिस की लचर दलील

इन गिरफ़्तारियों पर दिल्ली पुलिस बेहद लचर दलील दे रही है। स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाह ने बताया कि गोकलपुरी निवासी मोहम्मद दानिश को दिल्ली दंगे की एफआईआर नंबर 59 में गिरफ्तार किया गया है। वह पीएफआई की काउंटर इंटेलीजेंस टीम में है। वह दिल्ली में होने वाले कार्यक्रमों में नज़र रखता था कि कहां कौन से पुलिसकर्मी और आईबी के लोग जा रहे हैं। कोई पुलिसकर्मी यदि लगातार सभी कार्यक्रमों में जाता था तो यह उसे टारगेट कर लेता था। यह उस पुलिसकर्मी की पिटाई कराता या फिर उस पर लगातार नज़र रखता था। जांच में यह भी पता चला है कि दानिश ने दिल्ली में बाहर से लोगों को बुलाया और उपद्रव कराए। सीएए के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए वह भड़काऊ साहित्य भी बांटता था। उन्होंनs यह नहीं बताया कि दानिश ने कब, कहां, किस पुलिस वाले को पिटवाया?

ताहिर हुसैन के तार पीएफआई से जोड़ने की कोशिश

दिल्ली पुलिस दिल्ली हिंसा में मुख्य आरोपी के तौर पर पेश किए जा रहे ताहिर हुसैन के तार भी पीएफआई से जोड़ने की कोशिश कर रही है। बुधवार 11 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज किया। इसके साथ ही पुलिस ताहिर के पीएफआई के साथ संबंधों को भी खंगाल रही है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सोमवार को ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम को गिरफ्तार किया था। शाह आलम को पनाह देने वाले तीन लोगों को भी इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। ताहिर हुसैन पर आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। इसी आरोप में दिल्ली पुलिस ने सलमान को भी गिरफ़्तार किया है।

शामली में भी पकड़े गए हैं 23 पीएफआई-एसडीपीआई समर्थक

ग़ौरतलब है कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के लिए सबसे पहले यूपी पुलिस ने पीएफआई पर ठीकरा फोड़ने की शुरुआत की थी। अब दिल्ल पुलसि भी इसी रास्ते पर चल रही है। उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले में भी पीएफआई के सक्रिय होने की बात सामने आई है। पुलिस जांच में पता चला कि सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में माहौल गर्माने की कोशिश की गई थी। तब से जिले में पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े 23 लोग पकड़े जा चुके हैं। एसपी के अनुसार गिरफ़्तारी के वक्त ये नहीं पता था कि ये लोग संस्था या संगठन से जुड़े हैं, लेकिन इनके पास से मिले भड़काऊ पोस्टर और आपत्तिजनक सामग्री के बाद इनके पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़ा माना जा रहा है।

गिरफ़्तार लोगों पर नहीं है गंभीर आरोप

इन सारी गिरफ़्तारियों में ख़ास बात यह है कि आरोपियों पर पुलिस ने कोई गंभीर आरोप नहीं लगाया है। इन पर प्रदर्शन को दौरान लोगों के खाना पहुंचाने और प्रदर्शन के लिए धन जुटाने के आरोप हैं। ये दोनों ही काम किसी आईपीसी का किसी भी धारा के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आते। इनके पास से भड़काऊ लिटरेचर मिलने के आरोप भी बहुतस ज़्यादा गंभीर नहीं माने जा सकते। कश्मीरी जोड़े की गिरफ़्तारी के बाद दिल्ली पुलिस मीडिया में दो दिन सुर्खियां बटोरने के बाद खामोश हो गई। जामिया नगर के थाने के एसएचओ ने कश्मीरी जोड़े के बग़ैर रेंट एग्रीमेंट के मकान किराए पर देने के मामले मकान मालिक सईद अब्बासी के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज करके उन्हें छोड़ दिया है। फोन पर हुई बातचीत में उहोंने कहा कि मकान मालिक से कई घंटे पूछताछ के बाद उनके ख़िलाफ़ कोई गंभीर मामला नहीं बना। क्राइम ब्रांच चाहेगी तो उनसे पूछताछ करेगी।

अमित शाह के इशारे पर हो रहीं है धड़ाधड़ गिरफ़्तारियां  

ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस यह सारी कसरत गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर कर रही है। संसद के दोनों सदनो में गृहमंत्री अमित शाह ने बताय है कि 24 फरवरी से पहले उनके पास दिल्ली हिंसा के लिए पैसे विदेश से आने की सूचना मिल गई थी। पैसे दिल्ली में बांटे गए हैं। पैसों को लेकर जांच शुरू कर दी थी। हालांकि जांच के दौरान दिल्ली में दंगों की शुरुआत हो गई। शाह ने कहा कि दिल्ली पुलिस जल्द इसकी घोषणा करेगी। शाह ने बताया कि मामले में पांच लोगों की गिरफ्तारी कर ली है। गृहमंत्री ने यह भी कहा था कि इसी आधार पर उन्होंने दिल्ली हिंसा के षड्यंत्र की बात कही थी। शाह ने कहा कि दंगों के लिए फंडिंग करने वालों को हम पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे। अमित शाह ने कहा कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। रतनालाल और अंकित शर्मा के हत्यारों को गिरफ्तार किया जाएगा।

पुलिस की एकतरफ़ा कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

अमित शाह के संसद मे दिए इस बयान के बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने की क़वायद तेज़ कर दी। ख़ास बात यह है कि इस धरपकड़ में सिर्फ़ मुस्लिम पकड़े जा रहे हैं। हिंसा के दौरान मारे गए मुस्लिमों के क़ातिलों को पकड़ने, उनके घर और मस्जिदों में तोड़फोड़ करने वालों को पकड़ने में पुलिस ज़रा सी भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही। इस एकतरफ़ा कार्रवाई पर सवाल उठ ररहे हैं लेकिन कोई खुल कर बोलने की हिम्मत नहीं दिखा रहा।

मोदी सरकार के लिए सिरदर्द बना शाहीन बाग़ का प्रदर्शन

दरअसल पिछले तीन महीन से चल रहा शाहीन बाग़ का यह प्रदर्शन मोदी सरकार के लिए सिरदर्द बन चुका है। इसे हटाने के लेकर पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश देने मना किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदर्शनकारी महिलाओं को वहा से हटने का निर्देश देने से साफ़ इंकार कर दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता खुलवाने के लिए बातचीच के के लिए दो वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को नियुक्त किया। दोनों ने शाहीन बाग़ जाकर कई दौर की बातचीत की लेकिन महिलाएं टस से मस नहीं हुंई। पहली मार्च को कुछ हिंदूवादी संगठने ने ज़ोर ज़बर्दस्ती से शाहीन मे धरने पर बैठी महिलाओं को खदेड़ने का ऐलान किया था। लेकिन इसका वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस को इस पर सख़्ती दिखाते हुए इन संगठनों को रोकना पड़ा।

अब पुलिस दनादन गिरफ़्तारियों के ज़रिए प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे लोगों को डराने की रणनीति पर काम रही है। पुलिस चाहती प्रदर्शन को जारी रखने वालों की नकेल कसकर इसे इतना कमज़ोर कर देना चाहती है कि लोग इसमें ख़ुदबख़ुद आना छोड़ दें। संकेत हैं कि आने वाले दिनो में ताबड़तोड़ गिरफ़्तारियां हो सकती हैं।

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