मोहम्मद वसीम twocircles.net के लिए
मोरना में पीर ख्वाजा खुशहाल मियां की चिल्लागाह पर पिछले तीन दिनों से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चल रही है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ऐसा अवैध निर्माण के चलते किए जा रहा है। पीर खुशहाल के दुनिया भर में हजारों फॉलोवर हैं। चिल्लागाह में ही पीर खुशहाल की कब्र भी है। उनका 4 साल पहले इंतेकाल हुआ था। यह जगह मोरना ब्लॉक के बिहारगढ़ में स्थित है। पीर खुशहाल को यह जगह 1975 में सरकार ने लीज पर दी थी। उसके बाद उनके अकीदतमंदों ने यहां उनके परिवार के लिए रिहाइश मस्जिद और मदरसे का निर्माण करवा दिया।
2005 में इसकी लीज खत्म हो गई और तब से अदालत में मामला चल रहा है। पीर खुशहाल की बीवी नाजिया अफरीदी का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है और सरकारी तंत्र उन्हें कुचल रहा है। यहां सैकड़ो आश्रम है,साधु संत है। पीर खुशहाल साहब भी एक संत है। उन्होंने इस जगह आकर इबादत की, एक अलग ज़बान में इसे ही तपस्या कहते हैं। इसे ही चिल्ला खींचना भी कहते हैं ! यहां वो चालीस दिन तक सिर्फ बिना कुछ खाएं खुले में बैठकर इबादत करते रहे ! वो मुस्लिम सन्त है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद को संत कहते हैं और एक संत के राज में दूसरे संत पर अत्याचार हो रहा है। हम अपराधी नही है।
स्थानीय प्रशासन पर इन सब बातों का कोई फर्क नही पड़ रहा है प्रशासन की कार्रवाई पिछले तीन दिनों से बदस्तूर जारी है। चिल्लागाह का प्रबन्धन कार्रवाई रोकने की गुहार प्रशासनिक अधिकारियों से लगा रहा है। मुजफ्फरनगर के एडीएम अमित कुमार और डीएफओ सूरज कुमार के यह कार्रवाई अदालत के आदेश पर की जा रही है। यह निर्माण सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से हुआ है और जमीन की लीज खत्म हो चुकी है।
वन विभाग द्वारा गत बुधवार व गुरूवार को बिल्डिंग गिराने का कार्य किया गया था। शुक्रवार व शनिवार को कार्रवाई को विराम दिया गया था। बता दें कि खुशहाल ट्रस्ट द्वारा 1975 में 6.63 हेक्टेयर भूमि को तीस वर्ष के लिए पट्टे पर लिया गया था। 2005 में अवधि पूरी हो जाने के बाद पट्टे के नवीनीकरण के प्रयास में चिल्लागाह प्रबन्धन जुटा रहा। गत 2016 में वन विभाग द्वारा वन भूमि को खाली कर देने के नोटिस भेजे जाते रहे। गत अगस्त माह में चिल्लागाह के बाहर वन विभाग ने अपना बोर्ड लगाकर अपनी दावेदारी को साबित किया। खाली न होने पर प्रशासन द्वारा इमारत ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गयी, जिसमें सर्वप्रथम दर्सगाह की पुरानी इमारत को रेड टेपिंग कर गिराया जा रहा है। इसके अलावा रसोई आदि को तोडा गया है। वहीं चिल्लागाह के टूटने की खबर सुनकर दूरदराज से आये अकीदतमंदों ने घटना पर दुख व अफसोस जाहिर किया तथा ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को सूफी परम्परा पर प्रहार बताया।
इस दौरान चिल्लागाह के प्रबन्धक सज्जादानशीं सूफी जव्वाद द्वारा अधिकारियों को कागजात दिखाकर ध्वस्तीकरण को रोकने की गुहार लगायी गयी। प्रबन्धक ने बताया कि आगामी 25 नवम्बर को वक्फ बोर्ड की ओर से जारी प्रार्थना पत्र की सुनवाई होनी है, जिसमें बलपूर्वक ध्वस्तीकरण कानून विरूद्ध बताया गया है । 25 नवम्बर तक उन्हें मोहलत दी जाये तथा बिल्डिंग गिराने के कार्य को रोका जाये।
सूफी जव्वाद ने बताया कि ध्वस्तीकरण का कोई नोटिस उन्हें नहीं दिया गया। अचानक ध्वस्तीकरण करने से कीमती सामान मलबे में दब गया। कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप नही है। उन्हें कानून पर भरोसा है, उन्हें न्याय मिलेगा।
डीएफओ सूरज सिंह ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर ध्वस्तीकरण का कार्य किया जा रहा है जो शीघ्र पूरा किया जाएगा। सूरज सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व में वन भूमि को तीस साल के पट्टे पर लिया गया था। 2005 में पट्टे की सीमा समाप्त होने पर नोटिस तामील किये गये, जिनका कोई संतुष्ट जवाब चिल्लागाह प्रबन्धन द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। जिस प्रकार भूमि का कोई नवीनीकरण न हुआ। वन विभाग की 6.5 हेक्टेयर से अधिक भूमि को खाली कर देने के नोटिस चिल्लागाह प्रबन्धन को भेजे जाते रहे हैं। 2016 व गत अगस्त माह में नोटिस को तामील कर भवन को खाली कर देने को कहा गया था तथा वन विभाग द्वारा भूमि को वन विभाग की दर्शाकर बोर्ड लगाया गया था। उच्च न्यायालय के आदेश पर बुधवार को भवन गिराने का कार्य आरम्भ किया गया, जिसमें धार्मिक स्थल व आवास से अलग निर्मित भवन के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गयी है। कार्रवाई वाले स्थान की रेड टेपिंग कर भवन को खाली करा लिया गया था।
इस दौरान पीर खुशहाल की पत्नी नाजिया आफरीदी लगातार गुहार लगाती रही मगर बुलडोजर चलता रहा इसे देखकर वहां मौजूद पीर खुशहाल के अनुयायियों के आंसू बहने लगे ! चिल्लागाह के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से खिन्न पीरानी नाजिया आफरीदी अधिकारियों से गुहार लगाती रही तथा माननीय न्यायालय द्वारा जारी स्टे व अन्य कागजात को दिखाती रही। पीरानी ने बुलडोजर के सामने खडे होकर मर जाने की चेतावनी भी दी तथा पूरी कार्रवाई को कानून के विरूद्ध बताया। मगर अधिकारियों पर इसका कोई असर नही हुआ।