तो डॉक्टर कफ़ील ने तय कर लिया है वो अब सियासत करेंगे !

आसमोहम्मद कैफ़ । Twocircles.net 

 

मासूमो को बचाने की जद्दोजहद में लगा एक मासूम सा डॉक्टर अब मासूम नही रह गया है। मथुरा जेल में भारी दिक्कतों का सामना करने के बाद बाहर आया यह आम डॉक्टर अब बेहद ख़ास बन चुका है। हालिया दिनों में दिए गए डॉक्टर कफ़ील के बयान अब एक रणनीति का हिस्सा लगते है। वो संकेत देते हैं कि उन्होंने अपने भविष्य का चुनाव कर लिया है इसमे सुरक्षा और कैरियर है। डॉक्टर कफ़ील की कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी और इंदिरा गांधी की पोती( वो खुद को यही कहलाना पसंद करती है) प्रियंका गांधी से बढ़ी नज़दीकी उनके सियासी क़दम की और इशारा देती है। इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि डॉक्टर कफ़ील अगले चुनाव में गोरखपुर से कांग्रेस प्रत्याशी भी हो सकते हैं। इसकी चर्चा होनी शुरू हो गई है।


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यह कहने की अपनी वज़ह है जैसे हाल के दिनों में सूबे में विपक्ष का प्रमुख चेहरा बन गई प्रियंका गांधी ने डॉक्टर कफ़ील की रिहाई के लिए लगातार प्रयास किए है ,उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक मार्मिक चिट्ठी लिखी । वो डॉक्टर कफ़ील के लिए लगातार आवाज़ उठाती रही। उनकी डॉक्टर पत्नी के संपर्क में रही, उनके बच्चों के लिए खिलौने भेजे। यहां तक कि उनके निर्देश पर डॉक्टर कफ़ील की रिहाई के दौरान पूरी एक कांग्रेस टीम पूर्व विधायक प्रदीप माथुर के अगुवाई में मथुरा जेल के बाहर खड़ी थी। जेल से बाहर आने के तुरंत बाद प्रियंका गांधी को डॉक्टर कफ़ील ने फ़ोन किया,  उन्हें शुक्रिया कहा। यही नही घर पहुंचने के बाद प्रियंका गांधी ने डॉक्टर कफ़ील की पत्नी को भी फ़ोन किया। इसके एक दिन बाद जब डॉक्टर कफ़ील ने उत्तर प्रदेश में अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा बताया तो प्रियंका गांधी ने फिर उनसे और उनकी पत्नी से बात की और कहा कि वो राजस्थान चले जाएं वहां कांग्रेस की सरकार है वो आपकी हिफाज़त करेगी। डॉक्टर कफ़ील ने प्रियंका गांधी की बात पर अमल भी किया और इस समय वो जयपुर में है।

38 साल के डॉक्टर कफ़ील हाल में सात महीनों में जेल से लौटे हैं। जेल से लौटकर उन्होंने बताया है कि जेल में उन्हें 5 दिन तक खाना नही दिया गया और वो टॉयलेट के लिए 20-25 लोगों के साथ लाइन में लगते थे। उनको अत्यधिक प्रताड़ित किया गया। डॉक्टर कफ़ील ने कहा कि उन्हें एक  ऐसे गुनाह की सज़ा दी जा रही थी जो उन्होंने किया ही नही। ऐसा राजा की बालहठ के कारण हो रहा था। जेल से लौटने के बाद डॉक्टर कफ़ील ने धर्मनिरपेक्षता पर बात की और उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए राधे राधे का संबोधन किया। मथुरा की जिस जेल में डॉक्टर कफ़ील को रखा गया था,उसी से कुछ दूरी पर एक कारागार है,जिसे देवकीनंदन श्रीकृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। मथुरा में आम लोग आपसी अभिवादन में राधे राधे कहते हैं।

डॉक्टर कफ़ील सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में आयोजित किए गए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसमे उनके भाषण को आपत्तिजनक माना गया और महाराष्ट्र से गिरफ्तार करने के बाद उन्हें मथुरा जेल भेज दिया। बाद में उन्हें जमानत मिल गई मगर चार दिन तक उन्हें रिहा नही किया गया था। संभवत अलीगढ़ प्रशासन ने इस दौरान रासुका की फाइल तैयार की । माथापच्ची और अनुमति में संभवतः यह समय लगा और उन पर रासुका लगा दी गई। 3 महीने की अवधि के बाद तीन महीने की रासुका और बढ़ा दी गई। इस तरह वो 210 दिन तक जेल में रहे। इससे पहले भी वो आठ महीने जेल में रहे थे जब उनपर बीआरडी कॉलेज के उप प्रधानाध्यापक रहते हुए निजी प्रेक्टिस करना का आरोप था। अदालत में डॉक्टर कफ़ील ने यह सिद्ध किया कि यह निजी प्रेक्टिस क्लिनिक उनकी डॉक्टर पत्नी शाबिस्ता खान चलाती है और इसी बुनियाद पर उनपर बनाया गया केस ख़त्म हो गया।

यह सब घटनाक्रम बताता है कि उन पर सरकारी डंडा पड़ रहा था और एक प्रभावशाली शख्शियत उन्हें सबक सिखाने पर आमादा थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौरखपुर के ही रहने वाले हैं। जेल से लौटने के बाद डॉक्टर कफ़ील ने राजहठ और बालहठ पर जो बात कही है उसे योगी आदित्यनाथ के लिए ही समझा जा रहा है। डॉक्टर कफ़ील मानते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ही इशारों पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है हालांकि उन्होंने अब खुले तौर पर योगी आदित्यनाथ की आलोचना करना कम कर दिया है। डॉक्टर कफ़ील की पत्नी डॉक्टर शाबिस्ता कहती है कि उन्हें अब डर लगता है उनके शौहर एक साल से ज्यादा जेल में गुजार चुके हैं। एक मां और एक बीवी होने के नाते वो बिल्कुल नही चाहती है कि वो एक दिन भी और जेल जाएं। यही कारण है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश छोड़ने का निर्णय लिया है और वो अब राजस्थान चले गए हैं। सरकार शक्तिशाली होती है और वो उनके विरुद्ध आंखे लाल किए हुए हैं।

खास बात यह है डॉक्टर शाबिस्ता को यह सलाह खुद प्रियंका गांधी ने दी है,उन्होने ‘मिसेज कफ़ील’ को फ़ोन करके कहा कि वो घबराएं नही और अपने पति को राजस्थान भेज दे वहां कांग्रेस की सरकार है। वो वहां सुरक्षित रहेंगे। यह बात स्पष्ट करती है कि कांग्रेस डॉक्टर कफ़ील को संरक्षित कर रही है। डॉक्टर कफ़ील के जेल से लौटने के बाद उनके परिवार को आशंका है कि उन्हें फिर से जेल भेजा जा सकता है और गोरखपुर किसी जमीन के मामले में उनके विरुद्ध गोपनीय जांच चल रही है।

डॉक्टर कफ़ील खुद इन दिनों कई राजनीतिक पार्टियों के लिए विरोध की ‘ज़मीन’ बने हुए हैं। उन पर उगी हुई फ़सल को काटने को विपक्ष की कई राजनीतिक पार्टियां लालायित है। समाजवादी पार्टी भी उनकी बात कहती रही है। हाल के दिनों में आम आदमी पार्टी और आज़ाद समाज पार्टी के चन्द्रशेखर भी लगातार उनके पक्ष में बोलते रहे हैं। अखिलेश यादव भी उनके उत्पीडन पर चिंता जता चुके हैं मगर इस समय कांग्रेस से उनकी नज़दीकी काफी बढ़ चुकी है। कफ़ील का परिवार मानता है कि काँग्रेस के लोगो ने उनकी काफी मदद की है ख़ासकर प्रियंका गांधी से वो बहुत अधिक प्रभावित है।

डॉक्टर कफ़ील को सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके भाषण के चलते गिरफ्तार किया गया था। देशभर के ऐसी बहुत सी गिरफ्तारी हुई। उत्तर प्रदेश सीएए के प्रदर्शन के दौरान 22 लोगों की गोली लगने से मौत हो गई। कई बड़े नाम वाले लोग इस दौरान जेल भेज दिए गए। ख़ासकर लखनऊ में प्रदर्शन कारियों की संपत्ति से ही नुकसान की भरपाई की कवायद शुरू हुई और बहुत से लोगों को सख़्त प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ा। प्रियंका गांधी खासकर इस सबके बीच सीएए प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के विरुद्ध मुखर रही। वो मर्तक परिवारों से मिली और जेल भेजे गए लोगो का उन्होंने ख़्याल रखे। डॉक्टर कफ़ील भी इनमे से एक थे।

डॉक्टर कफ़ील इस समय निलंबित है ,उन्होंने बहाल करने की गुहार लगाई है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस बात की संभावना कम है कि वो बहाल हो पाएंगे। उनका मैडिकल कैरियर लगभग समाप्ति की और है। इससे भी गंभीर बात यह है कि उनके परिवार को तो अंदेशा है उन्हें फिर किसी मामले के फंसाया जा सकता है। डॉक्टर कफ़ील की हालिया बयानबाजी भी उनके सियासी कैरियर की और इशारा करती है। वो उत्तर प्रदेश में सरकारी उत्पीडन के प्रतीक है। मुसलमानों में लोकप्रिय है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में मुसलमानों के समर्थन के लिए गहरी होड़ मची है। कांग्रेस को लगता है कफ़ील की लड़ाई लड़ने से वो एक तीर से कई निशाने साध लेगी,और डॉक्टर कफ़ील को भी अब कैमरे का मोह हो गया है ! हालात बताते हैं कि वो ‘आला’ टांगकर झंडा उठाने ही वाले हैं ! क्योंकि शौहरत उन्हें सियासत की और खींच रही है। यहां उन्हें संरक्षण भी मिल रहा है। प्रियंका गांधी से उनके परिवार की बढ़ी नज़दीकी इसका इशारा देती है। डॉक्टर कफ़ील को लगता है कि सियासत की गोद मे वो सुरक्षित है। यहां से वो अपनी बात और भी अधिक मजबूती से कह सकते हैं।

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