स्टाफ रिपोर्टर।twocircles.net
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शामिल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक छात्र ने एएमयू प्रशासन पर उसकी डिग्री वापस लेने का आरोप लगाया है। छात्र का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण की तारीफ करने पर उससे उसकी पीएचडी की डिग्री लेने का नोटिस भेजा है। वहीं दूसरी ओर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन आरोपों का सिरे से ख़ारिज किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि छात्र को गलती से गलत नाम की डिग्री आवंटित हो गई थी, जिसे सही करने के लिए छात्र को नोटिस भेजा गया है। वहीं छात्र ने इस मामले में हाईकोर्ट में भी अपील की हैं। अलीगढ़ के सिविल लाइंस क्षेत्र के रहने वाले दानिश रहीम ने एएमयू से पीएचडी की पढ़ाई की है। दानिश ने एएमयू के भाषा विज्ञान विभाग से पीएचडी की हैं।
दानिश रहीम ने 27 अक्तूबर 2016 को उन्होंने भाषा विज्ञान विभाग में शोधार्थी के रूप में दाखिला लिया था। दानिश ने विभाग की प्रोफेसर डॉ सादिया हुसना हसन के निर्देशन में शोध कार्य किया। दानिश की पीएचडी का विषय ‘न्यूज टॉक : इन्वेस्टिंग द लैंग्वेज ऑफ हिंदी-उर्दू न्यूज मीडिया’ था। दानिश के अनुसार उसको पीएचडी की डिग्री 9 मार्च 2021 को मिली थी। दानिश के अनुसार पीएचडी डिग्री मिलने के लगभग पांच महीने बाद 4 अगस्त 2021 को एएमयू प्रशासन की ओर से एक पत्र मिला जिसमें कहा गया कि जो डिग्री आप को दी गई है वह गलत है और अंजाने में दी गई। आप लिंग्विस्टिक की डिग्री जमा करके लैंगुएज ऑफ एडवरटाइजिंग मार्केटिंग की डिग्री ले लें।
दानिश के अनुसार यह नोटिस सिर्फ उसे ही नहीं उसकी एक अन्य सहपाठी मारिया नईम को भी मिला है। मारिया नईम को एक साल पहले नवंबर 2020 में पीएचडी की डिग्री मिली। दानिश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नोटिस देखकर वो परेशान हो गए। दानिश ने बताया कि फिर वें 5-6 महीने पीछे गया और ध्यान में आया कि 22 दिसंबर 2020 को एएमयू के 100 साल के प्रोग्राम में प्रधानमंत्री की मीडिया में तारीफ़ की थी और वो वीडियो काफ़ी चली हुई थी। और उसी तारीफ़ करने की उन्हें सज़ा अब मिल रही है। दानिश के अनुसार प्रधानमंत्री की तारीफ करने के बाद से ही उनके साथ एएमयू में गलत व्यवहार शुरू हो गया था। दानिश ने बताया कि आठ फरवरी को उनकी पीएचडी का वायवा था। दानिश के अनुसार वायवा से दो-तीन दिन पहले उन्हें डिपार्टमेंट के चेयरमैन ने बुलाया था। उन्होंने कहा कि तुम एक छात्र हो। तुम्हे किसी भी राजनीति पार्टी के बारे में इस तरह से खुलकर बाइट नहीं चाहिए था। तुम ऐसे बोल रहे थे जैसे राइट विंग के आदमी हो। दानिश के अनुसार उन्होंने चेयरमैन की बात का कोई जवाब नहीं दिया। दानिश ने मीडिया से कहा कि उन्होंने लेटर का जवाब एएमयू को दिया और उनकी सहपाठी ने भी जवाब दिया।
दानिश के अनुसार पत्र के जवाब की एएमयू में कोई सुनवाई नहीं हुई और फिर मजबूर होकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दानिश ने कहा कि मैंने देश के पीएम, सीएम और हायर ऑथोरिटी को भी पत्र लिखा और उनसे निवेदन किया है कि मेरी जिंदगी से न खेलें। मुझे जो डिग्री ईमानदारी से मिल चुकी है, उसे न लें और कोई ऐसी वैसी डिग्री न दें, जो वैलिड न हो। और एएमयू में जो लोग मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई हो।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने दानिश के आरोपों को ख़ारिज किया है। एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी प्रो. शाफे किदवई ने कहा कि दानिश ने लैम में एमए किया था और भाषा विज्ञान विभाग ही लैम में पीएचडी कराता है। उनका पीएचडी में प्रवेश भी लैम में ही हुआ था। लेकिन टाइपिंग गलती के चलते पीएचडी इन लैम की जगह पीएचडी इन भाषा विज्ञान हो गया है। छात्र को अनजाने में भाषा विज्ञान में पीएचडी डिग्री दी गई इसलिए डिग्री बदलने को कहा गया। वहीं इस मामले में भाषा विज्ञान के चैयरमेन प्रो एमजे वारसी ने दानिश के आरोपों को निराधार बताया है। प्रो एमजे वारसी ने कहा कि दानिश ने जो आरोप लगाए हैं वो ग़लत है। उन्होंने कहा कि वो आज तक दानिश से कभी मिलें ही नहीं है और न ही कभी फ़ोन पर बात हुई। उन्होंने कहा कि जब मैं उनसे मिला ही नहीं तो उनको परेशान करने का सवाल ही नहीं उठता। प्रो एमजे वारसी ने कहा कि वो इस मामले में कानूनी राय ले रहे हैं और दानिश को कानूनी नोटिस भेजेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में दो सदस्यों की कमेटी बनाकर इस मामले की जांच करवाने का भी निर्णय लिया है। वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के ज़्यादातर छात्र इस मामले को ग़लत कह रहे हैं। यूनिवर्सिटी छात्र दबी ज़बान में कह रहे हैं कि दानिश विश्वविद्यालय पर आरोप लगाकर मीडिया में आकर लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहे हैं।