सरकार के नाम दर्ज होगी जौहर यूनिवर्सिटी की 172 एकड़ जमीन

स्टाफ़ रिपोर्टर । Twocircles.Net 

समाजवादी पार्टी के सांसद और कद्दावर नेता आज़म ख़ान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी के मामले में समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान को झटका लगा है। आज़म ख़ान को यह झटका रामपुर एडीएम कोर्ट से लगा हैं। कोर्ट ने आजम खान की जौहर ट्रस्ट की 70 हेक्टेयर (लगभग 172 एकड़) जमीन यूपी सरकार के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। जौहर ट्रस्ट मामले में तत्कालीन SDM सदर ने जांच की थी, जिसके बाद ADM कोर्ट में वाद दायर कराया गया था। इसे लेकर ही ADM जेपी गुप्ता की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।


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सांसद आजम खां ज़ौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। और ज़ौहर ट्रस्ट की ओर से ज़ौहर विश्वविद्यालय का संचालन किया जाता हैं। आजम खां ने 2005 में यूनिवर्सिटी के लिए जमीन खरीदने की इजाजत प्रदेश सरकार से मांगी थी। तत्कालीन सपा सरकार ने जौहर ट्रस्ट को साढ़े बारह एकड़ से अधिक जमीन खरीदने की छूट कुछ शर्तों के आधार पर दी थी।

इसके बाद ट्रस्ट की ओर से जमीन की खरीद की गई थी। वर्ष 2019 में जौहर ट्रस्ट द्वारा सरकार के तय शर्तों की अनदेखी की शिकायत प्रशासन तक पहुंची थी। डीएम ने एसडीएम  से जांच कराई और आरोप सही मानते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था। डीएम कोर्ट से वाद एडीएम कोर्ट की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। एडीएम की अदालत ने शनिवार को फैसला सुनाया था कि जौहर यूनिवर्सिटी की साढ़े बारह एकड़ जमीन को छोड़कर बचीं 70 हेक्टेयर जमीन उत्तर प्रदेश सरकार के अभिलेखों में दर्ज कर दी जाए।

आज़म ख़ान पर यह भी आरोप है कि 70  हेक्टेयर जमीन खरीदने के दौरान अवैध कब्जे भी किए गए और सरकारी नियमों में फेरबदल किया गया। मामले की  शिकायत भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक आकाश सक्सेना ने एक वर्ष पहले इस बात की शिकायत करी थी। शिकायत के बाद करीब साल भर पहले डीएम के आदेश पर एसडीएम सदर ने जौहर ट्रस्ट की इस जमीन की जांच की, जिसमें पाया गया कि जौहर ट्रस्ट ने जौहर विश्वविद्यालय के लिए खरीदी 70  हेक्टेयर जमीन में शासन की शर्तों का उल्लंघन किया है। एडीएम कोर्ट ने ज़ौहर ट्रस्‍ट को नियमों का पालन ना करने का दोषी मानते हुए फैसला सुनाया है। और अब फैसले के अनुसार तहसील के अभिलेखों में ये भूमि आजम खान की जौहर ट्रस्ट से काटकर प्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज की जाएगी।

प्रशासन के अनुसार 2005 में जब सरकार ने जौहर ट्रस्ट को साढ़े बारह एकड़ से अधिक जमीनें खरीदने की अनुमति दी थी तब कुछ शर्तें भी लगाई थीं। ट्रस्ट का काम चैरिटी करने का होता हैं। लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया।

आजम खान मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं, जिसे 2006 में स्थापित किया गया था। ज़ौहर विश्वविद्यालय को संचालित करने वाली ज़ौहर ट्रस्ट के आज़म ख़ान अध्यक्ष हैं जबकि उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और दोनों बेटे ट्रस्ट के सदस्य हैं। आजम की बड़ी बहन ट्रस्ट की कोषाध्यक्ष हैं।

ज़ौहर विश्वविद्यालय का 2006 में शिलान्यास हुआ था। 2012 में तत्तकालीन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और तत्तकालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा उद्घाटन हुआ था।2017 में सरकार बदलने के बाद आज़म ख़ान पर कार्रवाई शुरू हुई। आज़म ख़ान पर अभी तक 102 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। प्रशासन ने आजम खान को भूमाफिया के रूप तक में दर्ज किया हुआ हैं। फिलहाल आजम खान अपने बेटे अबदुल्ला आजम खान के साथ पिछले 11 महीनों से सीतापुर जेल में बंद हैं। आज़म ख़ान की पत्नी तंजीम फातिमा जो रामपुर से विधायक हैं अभी पिछले दिनों  10 महीने बाद जेल से कोर्ट के आदेश के बाद रिहा हुई हैं।

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