असम बर्बरता की चौतरफ निंदा, प्रदर्शन

Screengrab of a video showing police violence in Darrang district of Assam on September 23

स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net

असम के दारांग जिले में एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान पुलिस द्वारा अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे लोगों पर गोलियां चलाने का मामला सामने आया है। पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मृत्यु हो गई हैं, जबकि कई लोग घायल हो गए हैं।‌ घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो बेहद विचलित कर देने वाला हैं , वीडियो में एक व्यक्ति पुलिस की मौजूदगी में शव के साथ बर्बरता करता दिखाई दे रहा हैं।‌


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असम के दरांग जिले के ढोलपुर इलाके से अतिक्रमण हटाए जाने का अभियान चलाया जाना था, इसके लिए सैकड़ों की संख्या में पुलिसबल मौके पर पहुंचा, लेकिन इसी दौरान हिंसा भड़क गई। इस इलाके में लगभग 600 हेक्टेयर ज़मीन से 800 परिवारों को हटाया जाना था। सरकार का दावा है कि लोग यहां पर अतिक्रमण करके रह रहे थें। इस इलाके में ज्यादातर पूर्वी बंगाल मूल के मुसलमान रहते हैं। जब अतिक्रमण हटाने को टीम इलाके में पहुंची तो इस इलाके के लोग परिवारों के पुनर्वास की माँग को लेकर प्रदर्शन करने लगें।

दरांग के सिपझार इलाके में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई। पुलिस ने पहले विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठी-डंडों का इस्तेमाल किया और फिर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य लोग घायल भी हो गए हैं। पुलिस का दावा है प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस को लाठी और गोली चलानी पड़ी। पुलिस अधीक्षक दरांग सुशांत बिस्वा सरमा ने मीडिया से कहा कि विरोध कर रहे लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और हमला किया जिसमें 9 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस के जवानों ने आत्मरक्षा में गोलियाँ चलाईं हैं।

अतिक्रमण हटाने के नाम पर पुलिस द्वारा करी गई बर्बरता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी कुछ लोगों पर फायरिंग कर रहे हैं। इसी बीच एक व्यक्ति हाथ में डंडा लेकर पुलिस की तरफ आता दिखता है, पुलिस की बंदूकें उसकी तरफ मुड़ जाती हैं और एक गोली उसके सीने में लगती है। वह जमीन पर गिर जाता है। इसके बाद पुलिस वाले जमीन पर गिर चुके व्यक्ति को लाठियों से पीटते हैं। तभी अचानक पुलिस के बीच से एक व्यक्ति जो फोटोग्राफर बताया जा रहा है दौड़ता हुआ आता है और गोली का शिकार हुए शख्स पर कूदता है। वह व्यक्ति फिर पुलिस की गोली से घायल पर हाथ से मारता है और एक बार फिर कूदता है। 

इस फोटोग्राफर का नाम बिजय शंकर बनिया बताया जा रहा है, इस फोटोग्राफर की सेवाएं ज़िला प्रशासन ने हालात का रिकॉर्ड दर्ज करने के ली थीं। लेकिन इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने उस फोटोग्राफर को गिरफ़्तार कर लिया गया है। पुलिस फायरिंग में मरने वालों की पहचान सद्दाम हुसैन और शेख फरीद के रूप में हुई है। हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों का इलाज़ गुवाहाटी के मेडिकल कॉलेज में चल रहा है जिसमें से एक पुलिसकर्मी की हालत गंभीर बताई गई है। यह भी कहा जा रहा है कि दरंग ज़िले के पुलिस अधीक्षक सुशांत बिस्वा सरमा राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के छोटे भाई हैं।

मामले पर विवाद बढ़ता देख कर असम सरकार ने इस घटना की जांच गुवाहाटी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कराने का फैसला किया है।‌ इस घटना पर विपक्षी दल कांग्रेस ने असम की भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।‌ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके पुलिस कार्रवाई की आलोचना की। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि,’असम में राज्य प्रायोजित आग लगी है। मैं राज्य में अपने भाइयों और बहनों के साथ खड़ा हूं। भारत की किसी भी संतान के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए’।

इस घटना पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘गांधी जी की प्रेरणा से चलने वाले देश को भाजपा हिंसा और नफरत की आग में झोंक देना चाहती है। हिंसा और नफरत ही उसकी कथनी और करनी है। असम की इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए, कम है’।

असम के कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने अतिक्रमणकारियों पर पुलिस की फायरिंग को बर्बरता वाली कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के संकट में गुवाहाटी हाई कोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान को रोकने का निर्देश दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मनमानी के चलते 1970 के दशक से बसे लोगों से जमीन खाली करवाई जा रही है। सरकार को हटाना ही था तो पहले उनके रहने की व्यवस्था करते। जबकि बेदखल करने से पहले सरकार को इन लोगों को फिर से कहीं और बसाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी।

इस घटना के विरोध में ऑल असम माइनोरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन, जमीयत और दूसरे संगठनों ने दरांग जिले में 12 घंटे का बंद का ऐलान किया है। संगठनों की संयुक्ति समिति ने सरकार से इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख और घायलों को 5 लाख रुपये देने की मांग की है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार बेदखल परिवारों को रहने के लिए जमीन नहीं देती है तो मृतकों के शव उनके परिवार नहीं लेंगे। ऑल असम माइनोरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान दरांग में कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। दरांग में काफी भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना पर कहा है कि वे इस घटना की निंदा करता हैं, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। जांच में अगर कोई भी उल्लंघन सामने आता है तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा हैं कि अतिक्रमणकारियों को हटाने का अभियान रोका नहीं जाएगा।

दरअसल राज्य में नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यहां से अवैध कब्जा हटाने का निर्देश दिया था। सरकार का कहना है कि इस जमीन का उपयोग कृषि परियोजना के लिए किया जाएगा। इस इलाके में ज्यादातर पूर्वी बंगाल से आए मुसलमान रहते हैं।

इस घटना के विरोध में कांग्रेस ने असम राज्य भर में भाजपा सरकार के खिलाफ हल्ला बोला हैं।‌ असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा के नेतृत्व में असम कांग्रेस ने मंगलदोई में एक विरोध रैली निकाली। असम कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दारांग जिले के उपायुक्त के कार्यालय के सामने धरना भी दिया। असम कांग्रेस ने राज्यपाल को पत्र भी लिखा है और राज्य सरकार पर सवाल खड़े किए हैंं।

असम कांग्रेस के भूपेन बोरा, रिपुन बोरा, रकीबुल हुसैन और देवव्रत सैकिया सहित कई अन्य नेताओं ने विरोध रैली में हिस्सा लिया है। इस दौरान भूपेन बोरा ने कहा कि हम असम कांग्रेस दरांग के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को तत्काल निलंबित करने की मांग करते हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा ने कहा हैं कि पारदर्शी’ न्यायिक जांच के लिए दरांग जिलाधिकारी और एसपी का तत्काल स्थानांतरण आवश्यक है।

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