आकिल हुसैन। Twocircles.net
भोपाल में बीटेक छात्र निशांक राठौर की मृत्यु के मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। एसआईटी ने दावा किया है कि निशांक राठौर ने कई जगह से लोन ले रखा था और लोन न चुका पाने के चलते उसने ट्रेन से कटकर आत्महत्या की है। पहले इस मामले में हत्या की बात कहीं जा रही थी। इस मामले में यह भी आशंका जताई जा रही थी कि बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन के चलते निशांक की हत्या हुई है। लेकिन एसआईटी जांच में यह आशंका ग़लत साबित हुईं।
बीते 24 जुलाई रविवार को भोपाल से 45 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के अब्दुल्लागंज थाना क्षेत्र अंतर्गत बरखेड़ा में रेलवे लाइन पर रायसेन पुलिस ने एक शव बरामद किया था। शव की पहचान 20 वर्षीय निशांक राठौर के रूप में हुईं थीं। निशांक होशंगाबाद जिले के सिवनी-मालवा का रहने वाला था और भोपाल के शास्त्री नगर में रहकर ओरियंटल कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई कर रहा था।
निशांक की मृत्यु से पहले कुछ धार्मिक आपत्तिजनक मैसेज निशांक के पिता और दोस्तों को उसके मोबाइल पर से आए थे। यह मैसेज बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी के कारण हुए विवाद से जुड़े थे। इस मैसेज में निशांक की तस्वीर थी और तस्वीर पर लिखा था ”गुस्ताख-ए-नबी की एक ही सजा, सिर तन से जुदा…”। इसके साथ ही उसमें लिखा था कि राठौर साहब आपका बेटा बहुत बहादुर था। इस मैसेज को निशांक ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट के स्टेटस पर भी लगाया था लेकिन बाद में डिलीट कर दिया था।
निशांक के मोबाइल से आए आखिरी मैसेज ने उसके पिता के मन में उसकी मृत्यु को लेकर संदेह पैदा किया था। उसके पिता को मिले मैसेज से और निशांक के अकाउंट से पोस्ट की गई इंस्टाग्राम स्टोरी के सामने आने के बाद उसकी धार्मिक हत्या की अटकलों के कायास लगाए जाने लगे थे। पुलिस ने शुरुआत में इस मामले में आत्महत्या के एंगल से जांच शुरू की थी लेकिन निशांक के पिता और परिवार के सदस्यों ने आत्महत्या के आरोपों से इनकार किया और मामले की जांच की मांग की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।
एसआईटी की जांच में पता चला है कि अंतिम समय में निशांक राठौर के मोबाइल फोन के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी और न ही किसी और ने उसका फोन इस्तेमाल किया था। इसके अलावा फॉरेसिंक जांच में यह बात भी सामने आई है कि निशांक राठौर के फोन पर किसी और के फिंगरप्रिंट भी नहीं मिले हैं। इसके अलावा जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि सिर तन से जुदा…’ वाली पोस्ट भी उसके फोन की ब्राउजिंग हिस्ट्री में पाई गई है।
एसआईटी प्रमुख रायसेन के एडिशनल एसपी अमृत मीणा ने मीडिया को बताया कि ‘सिर तन से जुदा…’ वाला मैसेज भी निशांक ने खुद ही मोबाइल से इंटरनेट पर पोस्ट किया था और अपने पिता और दोस्तों को भी ख़ुद ही भेजा था। एसआईटी जांच अधिकारियों के मुताबिक निशांक ने अपने पिता और दोस्तों को धार्मिक कट्टरता के मैसेज करके आत्महत्या को छुपाना चाहा था।
एसआईटी ने अपनी जांच में यह भी खुलासा किया है कि निशांक ने कुछ लोगों और लगभग 18 मोबाइल ऐप के माध्यम से कर्ज लिया था और इसे लेकर वह परेशान और तनाव में था। इसमें स्लाइस, धानी, एम-पॉकेट एप्लीकेशन शामिल हैं। इसके अलावा निशांक ने शेयर मार्केट के साथ और क्रिप्टो करेंसी में भी निवेश किया हुआ था और इस निवेश में निशांक को नुकसान उठाना पड़ा था। इसकी भरपाई और शेयर बाजार में ज्यादा निवेश के लिए निशांक ने कुछ दोस्तों से उधार भी लिया था।
एसआईटी जांच के अनुसार ‘यह हत्या नहीं आत्महत्या थी’। सुसाइड से एक दिन पहले 23 जून को उसने अपनी बहन से कॉलेज की फीस भरने के लिए 50 हजार रुपये उधार लिए थे लेकिन उसने फीस का भुगतान नहीं किया था। एसआईटी की जांच में यह बात भी सामने आई है पिछले कुछ महीनों से निशांक कॉलेज कम ही जा रहा था।
एसआइटी जांच के अनुसार निशांक के सोशल मीडिया की चैट्स से यह बात निकलकर आई है कि उसका कुछ दिनों से पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। वह बेहद तनाव से गुजर रहा था। एक स्थान पर तो उसने यह भी लिखा कि मन करता है कि खुदकुशी कर ली जाए।
एसआईटी जांच में यह भी पाया गया कि मृतक निशांक राठौड़ ने मौत से ठीक पहले अपने पिता को फोन किया था। लेकिन किसी और कॉल पर व्यस्त होने के कारण उसके पिता ने फोन रिसीव नहीं किया और उसके कुछ ही मिनट बाद निशांक की मौत हो गई थी।
मृतक निशांक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वज़ह हैवी ब्लीडिंग बताई गई है। इसके अलावा उसके हाथ की कलाई पर ब्लड या चाकू से नस काटने की कोशिश के पुराने निशान भी मिले हैं।
एसआईटी के मुख्य अधिकारी अमृत सिंह मीणा ने मीडिया से कहा कि,’ हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि हत्या के कोई संकेत नहीं हैं। वह अपनी मृत्यु के बाद के घंटों में अकेला था। पूछताछ में अब तक किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति नहीं दर्ज की गई है। उसका पीछा करते हुए भी किसी को नहीं देखा गया है और किसी भी झगड़े के कोई संकेत नहीं हैं। उसके ऊपरी शरीर पर किसी भी लड़ाई या चोट का कोई निशान नहीं है। ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला है, जिससे पता चले कि उसके अंतिम समय में कोई उसके साथ था।’
निशांक राठौर की मौत को अलग रंग देने की कोशिश जमकर की गई थी। निशांक की मौत को इस तरह का रंग दिया गया कि उसकी हत्या धार्मिक वजह से हुई है और इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी जमकर अभियान चलाया गया। बगैर किसी सबूत के निशांक की मौत को सांप्रदायिक बना दिया गया। इस मामले को धार्मिक उन्माद में कत्ल की आशंका जताई गई थी।