दुःखद : पानी पीने पर टीचर ने की थी जिस बालक की पिटाई, अब उस मासूम की हो गई मौत

खान इक़बाल Twocircles.net के लिए

राजस्थान के जालौर में दिल दहला देने वाली जिस घटना में सायला गाँव में एक अध्यापक ने नौ साल के दलित छात्र इन्द्र मेघवाल मटके से पानी पीने पर पीट दिया था ,उस बालक की दुःखद मौत हो गई है। पिटाई की यह घटना 20 जुलाई की है, तब से ही छात्र का इलाज अहमदाबाद के एक अस्पताल में चल रहा था लगभग 20 दिनों तक ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे इंद्र मेघवाल की शनिवार, 13 अगस्त को मौत हो गई।


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जालौर के पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि “पुलिस ने आरोपी अध्यापक को गिरफ़्तार कर लिया है और उसके ख़िलाफ़ हत्या एवं SC-ST एक्ट एवं हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है, पोस्टमार्टम के बाद मामले में आगे अनुसंधान किया जाएगा” मामले पर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दुःख जताते हुए मृतक परिवार की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।

उन्होंने ट्वीट करते लिखा की “ मामले के त्वरित अनुसंधान एवं दोषी को जल्द सजा हेतु प्रकरण को केस ऑफिसर स्कीम में लिया गया है। पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय दिलवाना सुनिश्चित किया जाएगा। मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये सहायता राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष से दी जाएगी”

परिवार का कहना है कि इन्द्र कुमार मेघवाल सायला के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ रहा था उसने स्कूल के प्रधानाध्यापक छेल सिंह के लिए अलग से रखी मटकी से पानी पी लिया,जिससे नाराज़ होकर अध्यापक छेल सिंह ने छात्र के साथ मारपीट की जिससे उसे आँख और कान में अंदरूनी चोटें आयी थी।

पीड़ित पिता

मृतक छात्र इन्द्र कुमार मेघवाल के चाचा किशोर कुमार ने आरोपी अध्यापक के ख़िलाफ़ एफ़आइआर दर्ज करवाने के लिए पुलिस को दिए गए प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि “अध्यापक छेल सिंह ने छात्र इन्द्र मेघवाल पर जातिसूचक टिप्पणियाँ की.उसे मारा पीटा” बाद में कई अस्पतालों में छात्र का इलाज चला और सबसे आख़िर में उसे अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ 13 अगस्त की सुबह 11 बजे इलाज के दौरान इंद्र कुमार की मौत हो गई”।

रविवार को सुराणा गाँव में कई भीम आर्मी समय गई दलित संगठन और आस-पास के लोग इखट्टा हो गए. उनका कहना था की सरकार मृतक के परिजनों को 50 लाख मुआवज़ा और चाचा को सरकारी नौकरी दे. मांगे नहीं माने जाने पर लोग आक्रोशित हो गए और पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हुई .जिसमें कई लोगों को चोटें आई हैं। राजस्थान में दलितों पर अत्याचार एक सामाजिक सहमति बन चुका है आये दिन जाति के नाम पर हत्या और मारपीट की घटनाएं सामने आती रहती रहती हैं. कुछ महीने पहले जालौर से सटे पाली ज़िले में एक युवा दलित नर्सिंगकर्मी जितेंद्र मेघवाल की हत्या कर दी गई थी. आरोप था की कथित उच्च जाति के लोगों को यह बात नागवार गुज़री थी की जितेंद्र मेघवाल मूँछें रखते हैं।

भवँर मेघवंशी

दक्षिण राजस्थान के ज़िलों में जातीय दंभ और भेदभाव की जड़ें काफी भीतर तक हैं। आंबेडकरवादी चिंतक और जातीय भेदभाव के कारण आरएसएस छोड़ने वाले लेखक भँवर मेघवंशी TwoCircle से बात करते हुए कहते हैं “ राजस्थान का ये क्षेत्र सामंती सोच से आज तक निकल नहीं पाया। आज भी वहाँ वर्ण व्यवस्था को अपनाया जाता है, उच्च जाति के लोग चाहते हैं की दलित वहां उनकी ग़ुलामी में रहे. उनकी दया पर ज़िन्दा रहे”।

मेघवंशी कहते हैं “ दलितों पर निर्मम तरीके से अत्याचार होता है, उसके बाद घटनाओं को दबा दिया दिया जाता है, वहां ऐसी शक्तियां मौजूद हैं जो इन मामलों को अदालतों और पुलिस थानों तक पहुंचने ही नहीं देती , और अगर कोई पहुँच भी जाए तो इतना दबाव बना दिया जाता है की पीड़ित को समझौता करना पड़ता है “

हिंदुत्ववादी संगठनों की दलित अत्याचार पर प्रतिक्रिया के संबंध में पूछे गए सवाल पर वो कहते हैं “ यहाँ आरएसएस और अन्य हिंदुत्ववादी संगठन बहुत मज़बुत हैं , लेकिन जिस तरह धार्मिक साम्प्रदायिकता पर ये लोग बोलते हैं, उस तरह दलितों पर जातीय आतंक के अत्याचार के समय एक शब्द भी नहीं बोलते, बल्कि इसके उल्ट वो पीड़ितों के खिलाफ ही भगवा रैलियों का आयोजन करते हैं”,आगे कहते हैं “ 2 अप्रैल को जब पूरे देश में SC-ST ऐक्ट संशोधन की विरोध में लोग सड़कों पर थे तब इसी क्षेत्र में दलित-आदिवासियों की रैलियों पर आरएसएस के दफ्तरों से हमले किये गए, इसी साल पाली में हुए जितेंद्र मेघवाल हत्याकांड के हत्यारों के पक्ष में रैलियां निकाली गईं”।

छैल सिंह (आरोपी शिक्षक)

इन्द्र मेघवाल की हत्या की बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं, कह जा रहा है की उसके परिजनों ने आरोपी अध्यापक छेल सिंह से डेढ़ लाख रुपए लिए थे, इस पर परिजनों का कहना है की ये पैसे इन्द्र के इलाज के लिए आरोपी छेल सिंह ने ही दिए थे और इसी पैसे से वो अपने बेटे का इलाज करवा रहे थे।

कई सामाजिक संगठन ने सरकार की मुआवज़ा स्कीम का विरोध कर रहे हैं. भँवर मेघवंशी कहते हैं कि “राजस्थान में सरकार ने दलित की मौत की क़ीमत 5 लाख रुपये लगा रखी है जब किसी उच्च जाति के व्यक्ति की मौत होती है और उसे 50 लाख को सरकारी नौकरी दी जाती है, यह सरासर अन्यायपूर्ण है।”

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