जोधपुर में सैकड़ो की गिरफ्तारी के बाद कर्फ्यू में ढील,सामान्य हो रहे हालात

सोमू आनंद।Twocircles.net

जोधपुर में साम्प्रदायिक तनाव के मामले में पुलिस ने 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। कर्फ्यू और इंटरनेट पर रोक 8 मई तक बढ़ा दी गई थी । अब शनिवार से कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी जा रही है । शहर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और पुलिस ड्रोन से निगरानी कर रही है। आरोपियों को चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से शांति और सद्भाव बनाये रखने की अपील की है।


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राज्य सरकार ने जोधपुर, करौली और भीलवाड़ा में हुई साम्प्रदायिक तनाव की घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सतर्कता) बीजू जॉर्ज जोसेफ के नेतृत्व वाली एसआईटी एक महीने के अंदर रिपोर्ट जारी करेगी। एसआईटी यह पता लगाएगी कि क्या ये तीनों घटनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं और क्या इनके पीछे कोई साजिश थी।

इससे पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक एम एल लाठर ने बताया कि मामले में अब तक 12 एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से 4 एफआईआर पुलिस ने दर्ज की है और 8 एफआईआर लोगों ने दर्ज कराई है। झड़प में 9 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें 3 की स्थिति गंभीर है।

यह पूरा विवाद शहर के जालोरी गेट चौराहे पर स्थित बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा पर झंडा लगाने से शुरू हुआ। स्थानीय पत्रकार दिलावर खान बताते हैं कि यह प्रतिमा शहर की हृदय स्थली है। कोई भी आयोजन होता है तो यहां झंडे लगाए जाते हैं। चाहे कोई धार्मिक आयोजन हो या चाहे कोई राजनीतिक आयोजन लोग यहां झंडा लगा देते हैं। ईद से एक दिन पहले शाम में कुछ लोगों ने यहां इस्लामिक झंडे लगाए। उससे पहले यहां भगवा झंडे लगे हुए थे। रात में अफवाह फैली कि जालोरी गेट पर पाकिस्तानी झंडे लगाए गए हैं और बिस्सा की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ की गई है। इसके बाद कुछ लोगों ने आकर वह झंडे हटा दिए और भगवा झंडा लगा दिया। ईद की नमाज के लिए लगे लाउडस्पीकर भी उतार दिए गए। इसके बाद विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और पथराव शुरू हो गया। तब पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़ हिंसा रोकी। हिंसा रुकने के बाद पुलिस ने यह कहा कि सुबह तय स्थान पर नमाज पढ़ी जाएगी और इसीलिए एहतियातन भारी संख्या में पुलिस तैनात की गई। लेकिन सुबह में नमाज पढ़ने आये लोगों ने जब जालोरी गेट पर भगवा झंडा देखा तो वे आक्रोशित हो गए। उन्होंने भगवा झंडा हटाने की कोशिश की, जिसके बाद फिर से हिंसा भड़क गई।

जोधपुर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता किशन मेघवाल बताते हैं कि यह पूरा विवाद सिर्फ झंडे लगाने का है। जालोरी गेट पर हर आयोजन में झंडे लगते हैं। दो दिन से परशुराम जयंती के झंडे लगे हुए थे। अगले दिन ईद थी तो कुछ लोगों ने वहां इस्लामिक झंडे लगाए। इसके बाद कुछ लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि यहां पाकिस्तानी झंडे लगाए गए हैं। इस अफवाह ने लोगों को आक्रोशित कर दिया जिससे हिंसा भड़क गई।

जोधपुर पश्चिमी की पुलिस उपायुक्त वंदिता राणा ने बताया कि ईद के नमाज के बाद पुलिस और नमाजियों के बीच झड़प हुई। वे भगवा झंडा हटाना चाहते थे, जिसे पुलिस ने रोका। इस झड़प में 9 पुलिसकर्मी घायल हुए। हालांकि अब स्थिति सामान्य हो रही है। हम विधि व्यवस्था बहाल करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने जन्मदिन के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए। राज्य के वरीय अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव, जिला के प्रभारी मंत्री सुभाष गर्ग, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हवासिंह घुमरिया को हिंसाग्रस्त इलाके में भेजा। दोनों मंत्रियों ने स्थानीय लोगों और घायलों से अस्पताल जाकर मुलाकात की।

जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला भी है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अपने पहले ट्वीट में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि “जोधपुर में कल देर रात से जो तनाव पैदा हुआ है वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे राजस्थान की, मारवाड़ की परम्परा रही है कि सभी समाज के, सभी धर्मों के लोग हमेशा, हर त्यौहारों पर भी प्रेम भाईचारे से रहते आए हैं, मैं अपील करना चाहूंगा कि तमाम लोग शांति बनाए रखें और तनाव समाप्त करें।”
इसके बाद भी उन्होंने शांति बनाए रखने के लिए कई ट्वीट किए।

हाल के दिनों में राजस्थान में साम्प्रदायिक तनाव की यह दूसरी बड़ी घटना है। इससे पहले रामनवमी के दौरान करौली में हिंसा हुई थी। जोधपुर की घटना के बाद नागौर और भीलवाड़ा से भी तनाव की खबरें आई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन घटनाओं के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि “जब जेपी नड्डा आये थे, तब भी मैंने कहा था कि ये आग लगाने आये हैं और उनके आते ही करौली में हिंसा हो गयी। यह सब एक एजेंडे के तहत किया जा रहा है। इन्हें हाईकमान से आदेश मिले हुए हैं। इसलिए ये हमें बदनाम करने के लिए यह सब कर रहे हैं।”

कई विश्लेषक इसे आने वाले चुनावों से जोड़कर देखते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अशफाक कायमखानी इसे 2024 की तैयारी के रूप में देखते हैं। वे कहते हैं “आमतौर पर यह देखा जाता है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार होती है, उसे लोकसभा चुनावों में बढ़त मिलती है। एक पार्टी का यह देशव्यापी एजेंडा है। जिससे वह बहुसंख्यकों को अपने पक्ष में कर सके। राजगढ़ में भी यही करने की कोशिश की गई और यहां भी उसी एजेंडे को लागू किया गया है।
अशफाक बताते हैं कि राजस्थान के मुसलमान 56 विधानसभा क्षेत्र को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। ये वह सीटें हैं जिन पर अलग-अलग समय में अलग-अलग पार्टियों से मुसलमान विधायक चुने जाते रहे हैं। इसके अलावे भी कई सीटों पर मुसलमान वोटर जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

सारी कोशिश इस वर्ग को राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक कर बहुसंख्यकों के ध्रुवीकरण की है। जिससे सत्ता हासिल की जा सके। यह कोशिश 2014 के बाद से ज्यादा शुरू हुई है। इससे पहले भी राज्य में भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार रही है लेकिन दोनों नेता की छवि साम्प्रदायिक नहीं थी। दोनों सेक्युलर थे और इसलिए राजस्थान में ऐसी घटनाएं नहीं होती थी। अब भाजपा के अंदर वसुंधरा खेमा भी हाशिये पर डाला जा रहा है। संघ के एजेंडे पर काम करने वाले नेताओं को तरजीह दी जा रही है। इन घटनाओं के पीछे यह एक बड़ी वजह है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या कांग्रेस भले ही मुसलमानों को वह प्रतिनिधित्व न दें लेकिन वे साम्प्रदायिक नहीं हैं।

जोधपुर के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र शर्मा कहते हैं कि ऐसी घटनाएं विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए ध्रुवीकरण के प्रयास के लिए की जा रही हैं।
जोधपुर संभाग में मुसलमानों की आबादी दस प्रतिशत से ज्यादा है। यह बड़ा वोट बैंक है। यहां चोहटन, शिव, सूरसागर और पोकरण से मुसलमान उम्मीदवार भी उतारे जाते रहे हैं। इससे पता चलता है कि यहां मुसलमान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सारी कोशिश यही है कि दोनों समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर मुसलमानों को हाशिये पर पहुंचा दिया जाए। जबकि जोधपुर ऐसा रहा नहीं है। यहां कई मुहल्ले में हर दूसरा-तीसरा घर मुसलमानों का है। कुछ लोगों को इसी ताने-बाने से दिक्कत है।

स्थानीय मुस्लिम समाज का आरोप है सरकार भी मुसलमानों की नहीं सुन रही है। कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के कोऑर्डिनेटर मोहसिन राशिद कहते हैं कि सरकार के अधिकांश अधिकारी मुसलमानों के प्रति दोहरा मापदंड अपनाते हैं। ढाई साल से राज्य में कांग्रेस का अल्पसंख्यक विभाग गठित नहीं हुआ है, इसलिए अल्पसंख्यक विभाग का सरकार से संवाद नहीं हो पा रहा है। चुने गए विधायकों में भी ज्यादातर इन मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं। वे अगर बोलते तो अधिकारियों और पुलिस अल्पसंख्यकों पर इतने अत्याचार नहीं करती।

पुलिस प्रशासन पर हिंदूवादी होने का आरोप लगाते हुए वे कहते हैं कि “जब जोधपुर में ईद के नमाज के लिए लगे लाउडस्पीकर तोड़े जा रहे थे, उन्हें उतारा जा रहा था, तब पुलिस ने लाठीचार्ज क्यों नहीं किया? जोधपुर और करौली में पुलिस ने 15-16 साल के बच्चों को गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया है। उन्होंने बजरंग दल और हिंदूवादी संगठनों पर क्या करवाई की है? ये चीजें बताती हैं कि पुलिस का चरित्र क्या है। और इस चरित्र को सरकारी तंत्र का शह मिला हुआ है।

भाजपा के नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक एक समुदाय का तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में करवाई नहीं हुई तो हम हजारों लोगों के साथ जालोरी गेट पर धरने पर बैठेंगे। उन्होंने ट्वीट पर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी जोधपुर की घटना पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा कि हमें आशा है कि सभी समुदाय एक साथ काम करेंगे और सरकारें देश के हर नागरिक को सुरक्षा का माहौल प्रदान करे ताकि वे अपना त्योहार स्वतंत्रतापूर्वक मना सकें।
जोधपुर के पूर्व राजपरिवार के मुखिया गज सिंह ने पत्र जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि ” मेरे दादोसा महाराजा उमेद सिंह हमेशा कहते थे कि हिन्दू और मुसलमान मेरी दो आंखे हैं एवं देश विभाजन के समय भी मेरे पिताजी महाराज हनवंत सिंह जी ने भी हमें धर्म के नाम पर अलग-अलग बंटने नहीं दिया।” उन्होंने अपील करते हुए कहा कि “आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं एवं एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करें।”

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