TwoCircles.net Staff Reporter
दिल्ली: सरकारी इफ़्तार पार्टियों पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. इस बार यह बवाल दिल्ली उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित इफ़्तार पार्टी पर खड़ा हुआ है.
आरोप है कि जिस उर्दू अकादमी के पास उर्दू भाषा के विकास व उत्थान पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं है, वही उर्दू अकादमी सरकारी इफ़्तार पार्टी पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है, जिसका कोई लाभ उर्दू अकादमी या उर्दू जानने वालों को नहीं मिलना है.
यह आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि उर्दू अकादमी के ही एक सदस्य मो. अतहरूद्दीन उर्फ मुन्ने भारती ने लगाया है. मुन्ने भारती इन दिनों एनडीटीवी से जुड़े हुए हैं. साथ ही मुस्लिम मसलों पर गंभीरता से हर प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज़ रखते हैं.
मुन्ने भारती का आरोप है, ‘वैसे तो अकादमी पूरे साल कुछ भी कोई खास कार्य नहीं करती, क्योंकि इनके पास इसके लिए फंड की कमी का बहाना होता है. लेकिन इस बार सिर्फ़ इफ़्तार पार्टी के नाम पर तक़रीबन एक करोड़ रूपये का भारी भरकम बजट रखा गया है. इस इफ़्तार पार्टी में शामिल होने के लिए 20 हज़ार लोगों को दावतनामा भेजा गया है.’
मुन्ने भारती आरोप लगाते हैं कि यह पैसे की बर्बादी नहीं तो और क्या है. उनका कहना है, ‘अकादमी का बजट उर्दू की तरक़्क़ी के लिए है न कि राजनीतिक पेशबंदी के तहत आयोजित होने वाले सरकारी इफ़्तार पार्टी के लिए.’
मुन्ने भारती का आरोप है कि पहले अकादमी अपना सारा फंड मुशायरों पर खर्च करती थी और इफ़्तार पार्टी भी इसमें शामिल हो गयी है. दरअसल अकादमी का यह पैसा कुछ लोग अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा के नाम पर खर्च कर रहे हैं.
मुन्ने भारती ने TwoCircles.net से बातचीत करते हुए बताया, ‘मैं समय-समय पर कई बार उर्दू की तरक़्क़ी और उससे जुड़े मसले को लिखकर सीएम, डिप्टी सीएम समेत अधिकारियों को अवगत कराता रहा हूं, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.’
उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा, ‘उर्दू को मिटाने की कोशिश खुद उर्दू वाले ही कर रहे हैं. यही वजह है कि आज उर्दू का नाम लेने वाले कम हो रहे हैं.’
इस संबंध में दिल्ली उर्दू अकादमी के वाईस चेयरमैन डॉ. माजिद देवबंदी बताते हैं कि अकादमी कोई पहली बार ‘इफ़्तार पार्टी’ आयोजित नहीं कर रही है. इफ़्तार पार्टी की यह रिवायत पिछले 15 सालों से अधिक समय से चली आ रही है. पिछली सरकारों में भी ऐसे इफ़्तार पार्टियां उर्दू अकादमी ने आयोजित की है. लेकिन उस समय तो किसी ने इस पर कोई सवाल खड़ा नहीं किया.
वहीं इस उर्दू अकादमी के सचिव एस.एम. अली का कहना है कि ये सरकारी आयोजन है. जो पहले से चला आ रहा है.
इस इफ़्तार पार्टी के बजट और अकादमी के खस्ताहाली के बारे में सवाल पूछने पर वो बताते हैं, ‘मैं तो ऑफिसर हूं, सरकार जो कहती है, हम वही करते हैं.’
स्पष्ट रहे कि पिछले दिनों भी अकादमी के वाईस चेयरमैन पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए एक सदस्य ज़मरूद मुग़ल ने अकादमी से अपना इस्तीफ़ा दे दिया था. इनका भी आरोप था कि अकादमी उर्दू के लिए कुछ खास नहीं कर पा रही है. और न ही वाईस चेयरमैन के पास उर्दू के उत्थान के लिए मिशन या विज़न है.
सोशल मीडिया पर भी कुछ लोगों ने इस इफ़्तार पार्टी का विरोध किया है और स्पष्ट संदेश दिया है कि इस इफ़्तार पार्टी में आने वाले लोगों को इत्र लगाकर इसका विरोध करेंगे.
बताते चलें कि यह इफ़्तार आज ही के दिन यानी 30 जून को दिल्ली इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित की गयी है. इस इफ़्तार पार्टी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल शिरक़त करेंगे.