अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना को 24 वर्ष बीत गए हैं लेकिन दिल्ली में आज भी 6 दिसम्बर का दिन विभिन्न संगठनों व राजनेताओं के विरोध-प्रदर्शन, धरना, जलसा-जुलूस के नाम रहा. जहां एक तरफ़ जंतर-मंतर पर कई संगठन के लोगों ने धरना दिया, वहीं दिल्ली के मुस्लिम इलाक़ों में विरोध-प्रदर्शन हुए.
6 दिसम्बर के दिन दिल्ली के जंतर-मंतर पर जहां एक तरफ़ मुस्लिम संगठन व विभिन्न सेकूलर दल ‘काला दिवस’ मना रहे थे तो वहीं शिव-सेना इस दिन को ‘शौर्य दिवस’ व हिन्दू युनाईटेड फ्रंट ‘विजय दिवस’ के तौर पर सेलीब्रेट कर रहे थे. एक तरफ़ जहां वामपंथी संगठनों ने एक साथ मिलकर ‘सांप्रदायिकता विरोध दिवस’ मनाया तो वहीं कई दलित संस्थाएं बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की पुण्य-तिथी मनाते भी नज़र आएं.
TwoCircles.net ने इस अवसर पर कई लोगों से बातचीत की. एक ख़ास बातचीत में बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के प्रवक्ता, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. क़ासिम रसूल इलियास में कहते हैं कि –‘बाबरी मस्जिद को तोड़ने वालों में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पूरी तरह से दोषी हैं. बाबरी मस्जिद ढाये जाने के 24 साल बाद भी दोषियों पर कोई कार्यवाई नहीं की गई है और ना कोई सज़ा अब तक दी गई है. अदालत में मुक़दमा जिस तरह से चल रहा है, ऐसा लगता है कि दोषी के जीवित रहते तक कोई फैसला नहीं हो सकता. हम जल्द फैसले और मुकम्मल कार्यवाही की मांग करते हैं.’
वो आगे कहते हैं कि –‘अगर कोई भी मस्जिद नाज़ायज़ ज़मीन पर बनी हो तो हम उस पर दावा नहीं कर सकते, लेकिन जायज़ ज़मीन पर बनी हुई मस्जिद की हिफाज़त करना हर मुसलमान का फ़र्ज़ है और वह इसके लिए लड़ता रहेगा. हम सुप्रीम कोर्ट में मज़बूती और पूरी तैयारी के साथ न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास रखते हुए मुक़दमा लड़ रहे हैं. मुक़दमे में कुल 6 में 5 मुक़दमा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लड़ रही है. सुप्रीम कोर्ट में इस पर बहस शुरू नहीं हो पाई है. हमें उम्मीद है कि फैसला मुसलमानों के हक़ में होगा, हिंदुस्तानी अवाम और न्याय की जीत होगी और तमाम अमन पसंद लोगों को न्याय मिलेगी.’
जंतर-मंतर पर 6 दिसम्बर को वामपंथी संगठनों ने भी एक साथ मिलकर ‘सांप्रदायिकता विरोधी दिवस’ मनाते हुए केन्द्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया.
वक्ताओं ने इस सभा में स्पष्ट तौर कहा कि सत्तासीन संघ-भाजपा की सरकार बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता के सबसे ख़तरनाक रूप हिन्दुत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं. ये अल्पसंख्यकों को आन्तरिक शत्रु चित्रित करके दलितों, महिलाओं व आदिवासियों को ब्रह्मणवाद के तले दबाकर उनमें काल्पनिक प्रक्रियावादी समझ फैला रही हैं.’
वक्ताओं ने आगे कहा कि मोदी सरकार के शासन में अल्पसंख्यक, दलित व आदिवासी तबक़ों पर हमले कई गुणा बढ़े हैं. औपनिवेशिक शासकों से लिए गए राज्य-तंत्र में साम्प्रदायिकता के हथियार को और तेज़ किया गया है. यह तंत्र अल्पसंख्यकों को दबाता है और साम्प्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने वाले न जन-संहार करने वालों को बचाता है.
इस सभा में भगत सिंह छात्र एकता मंच, डीएसयू, इफ्टू, इमके, जन हस्तक्षेप, केवाईएस, एमईके, पीडीएसयू, जैसी कई संगठन शामिल थें.
जंतर-मंतर पर इस 6 दिसम्बर के दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हुए कई संगठनों ने धरना-प्रदर्शन किया. इनमें लोकराज संगठन, जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द, कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सिख फोरम, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, यूनाईटेड मुस्लिम्स फ्रंट, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, इंसाफ़, सीपीआई (एम.एल.) न्यू प्रोलेतेरियन, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, नया दौर पार्टी, इंसाफ, दिल्ली श्रमिक संगठन, राष्ट्रीय ईसाई मंच, स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाईजेशन, पुरोगामी महिला संगठन, हिन्द नौजवान एकता सभा, मजदूर एकता कमेटी, राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल, सिटिज़न फॉर डेमोक्रेसी, मिशन भारतीयम, निशांत नाट्य मंच, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरात जैसे कई संगठनों के नाम शामिल हैं.
वहीं 6 दिसम्बर की शाम दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दिल्ली चैप्टर ने भी कैंडिल मार्च निकालकर बाबरी के हत्यारों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की.
एक ख़बर के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में संकल्प दिवस मनाते हुए शिवसेना ने मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में शिवसेना ने मांग करते हुए कहा कि हिंदू जनमानस की धार्मिक भावना रामलीला को तिरपाल में देखकर आहत हो रही है. इसलिए पीएम मोदी राम मंदिर निर्माण क़ानून को पारित करने की कृपा करें.
वहीं दूसरी ओर इसी मेरठ में विरोध-प्रदर्शन करते हुए मुस्लिम संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा और बाबरी मस्जिद का पुन: निर्माण करने का संकल्प लिया. राष्ट्रपति के नाम प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि बाबरी मस्जिद के शहीद होने से मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. इससे भारत की विश्व स्तर पर छवि ख़राब हुई है. बाबरी मस्जिद गिराए जाने से राष्ट्रीय धरोहर को नष्ट किया गया है. इसलिए बाबरी मस्जिद को उसकी असल जगह पर दोबारा बनाया जाए और इसे शहीद करने के मामले में दोषी व्यक्तियों को उचित दंड दिया जाए.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी आज बाबरी मस्जिद के शहादत की 24वीं बरसी पर लक्ष्मण मेला मैदान में बाबरी मस्जिद के नवनिर्माण के लिए राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल, मुस्लिम मजलिस, पिछड़ा जन समाज पार्टी और ऑल इंडिया मुस्लिम फोरम द्वारा गठित कमेटी ‘मुत्तहिदा तहरीक बराए बाजयाबी व तामीरे नव बाबरी मस्जिद’ के तत्वावधान में धरना-प्रदर्शन किया और सरकार के समक्ष यह मांग रखी कि बाबरी मस्जिद का नव निर्माण किया जाए और दोषियों को दण्डित किया जाए.
बिहार के मधेपुरा, भभुआ (कैमूर), गया, जहानाबाद, नवादा, औरंगाबाद, मोतिहारी (पू॰ चंपारण), आरा (भोजपुर), रोहतास, जिला के करगहर एवं दावत अंचल, शेखपुरा, बेतिया (प॰ चंपारण), बक्सर, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, खगड़िया, शिवहर, छपरा (सारण), हाजीपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, पूर्णियां अररिया, बेगूसराय, कटिहार, जमूई में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के आह्वान पर राष्ट्रीय स्तर पर सांप्रदायिकता और दलित उत्पीड़न विरोधी दिवस का आयोजन किया गया.
महाराष्ट्र के भिवंडी में रज़ा अकादमी के आह्वान पर भिवंडी के विभिन्न क्षेत्रों में सामूहिक रूप से अज़ान दी गईं. विशेष रूप से कोटरगेट मस्जिद के बाहर समय से पहले ही हज़ारों लोग जमा हुए. जहां मौलाना यूसुफ़ रज़ा क़ादरी की अगुवाई में लोगों ने मिलकर अज़ान दी. बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण और न्याय के लिए दुआ की.
इस अवसर पर मौलाना मोहम्मद यूसुफ़ रज़ा क़ादरी ने कहा कि 6 दिसंबर के दिन हम उस समय तक अज़ान देते रहेंगे जब तक कि बाबरी मस्जिद में अज़ान शुरू न हो जाए.
दरअसल, 6 दिसम्बर आज़ाद हिन्दुस्तान के इतिहास का एक ऐसा दिन है, जिसे भूलना अल्पसंख्यकों के लिए मुश्किल है. बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हिन्दुस्तान की धर्मनिरपेक्ष छवि पर एक ऐसा बदनुमा दाग़ है, जिसकी कालिख़ एक लम्बे समय तक भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद् को ढोनी होगी. ज्ञात हो कि मस्जिद गिराए जाने के बाद देश के एक बड़े हिस्से में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें हज़ारों मासूम जानें गयी थीं. जहां राम मंदिर के समर्थक हर साल इसे ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाते रहे हैं, वहीं हर साल इस दिन बाबरी मस्जिद के समर्थक ‘काला दिन’ मनाते हैं और उसके पुनर्निर्माण के लिए सभाएं और प्रदर्शन करते रहे हैं.