ताकि गाय से दूध निकले न कि वोट…

TwoCircles.net News Desk

अहमदाबाद (गुजरात) : देश में ‘गौ-रक्षा’ के नाम पर दलितों और मुस्लिमों की हत्याएं और अत्याचार रोकने के लिए अहमदाबाद के मोहम्मद कलीम सिद्दीक़ी ने एक आम नागरिक की हैसियत से देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से इस संबंध में क़ानून बनाने की मांग की है.


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मोहम्मद कलीम ने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘गुजरात सरकार अपने राजनैतिक लाभ के लिए क़ानून में संसोधन कर गौ-हत्या में उम्र क़ैद का प्रावधान ले आई है, लेकिन इस क़ानून में बूढ़ी गाय और बछड़े को पैसों की लालच में कसाई को बेचने वाले गौ-पालक पर कोई सज़ा का प्रावधान नहीं है. पुलिस और हिन्दू कट्टरवादी संगठन गाय-तश्करी में पाए जाएं तो इनकी क्या सज़ा होगी, क़ानून में इसका भी उल्लेख नहीं है. गौ-पालक दूध देने वाली गाय का पालन कर लेता है, लेकिन बछड़े, बूढ़ी गाय और बांझ गाय का पालन पोषण नहीं कर पाता है, जिसके कारण गौ-पालक पुलिस और गौ-रक्षक संगठन की सहायता से अपने जानवरों को कसाई को बेच देते हैं. ये गैर-क़ानूनी कारोबार ज़ोरों पर चल रहा है, इसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं है.’

अपने पत्र में कलीम ने कहा है कि, ‘गौ-रक्षा के नाम पर मात्र ध्रुवीकरण किया जा रहा है. यदि सचमुच भारत सरकार गाय और गौ-वंश की रक्षा चाहती है तो केंद्र सरकार पूरे भारत में लागू होने वाला सख्त क़ानून पास करे. साथ ही गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया. क़ानून का उल्लंघन करने वालों पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाए और यह भी ध्यान रखा जाए गाय से दूध निकले न कि वोट’

मोहम्मद कलीम ने अपने पत्र में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मांग की है कि पूरे भारत में गौ-धन की गिनती हो, उनके मालिकों को गौ-धन के जन्म प्रमाण पत्र दिए जाएं. गौ-धन मालिक गाय बछड़े की मृत्यु पर सरकार को सूचित करें. सरकार गौशाला के साथ साथ अंतिम क्रिया की भी व्यवस्था करे और सरकार द्वारा मालिक को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी भी किये जाएं. गौ-धन मालिक से लेकर कसाई तक गौ हत्या पर सभी को समान सज़ा का प्रावधान हो. जो पशु-पालक बूढ़ी गाय और बछड़े का खर्च न उठा पाने की स्थति में हों सरकार उनसे इन पशुओं को खरीद ले. गौशाला, मन्दिरों, मठों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में पाले जाने वाले गौ-वंशो की भी गणना हो, इनके ट्रस्टियों को गौ-धन का मालिक माना जाये और इनके जन्म और मरण प्रमाण पत्र भी जारी किये जाएं. गौ-रक्षा क़ानून के अमलीकरण के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर गौ-रक्षा बोर्ड का गठन हो.

उन्होंने इस पत्र में यह भी मांग रखा है कि सरकार स्टार्ट-अप के तहत कसाई के काम से जुड़े लोगों एक एकड़ ज़मीन और दस लाख रुपये दे ताकि ये लोग परम्परागत काम को छोड़ गौशाला खोल कर दूध मक्खन निकालने का काम शुरू कर सकें.

साथ ही इस पत्र में कलीम ने केन्द्र सरकार से यह भी मांग की है कि, ‘गौ-रक्षा’ के नाम पर मारे गए सभी लोगों के परिवार को भारत सरकार और राज्य सरकार एक महीने के अंदर एक-एक करोड़ रूपये की सहायता राशि दे ताकि उस परिवार को सम्मान से जीने का अधिकार मिल सके.

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