TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : एटीएस, उत्तर प्रदेश के घर वापसी (डी-रेडिकलाइजेशन) कार्यक्रम पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
आज लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में रिहाई मंच द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि, ‘आतंकवाद के नाम पर अगर कोई भटकाव का शिकार है तो निश्चित तौर पर उसे सही रास्ते पर लाने की ज़रुरत है. लेकिन यह ज़रुरत एक ख़ास समुदाय को चिन्हित कर जिस तरीक़े से की जा रही है और इसे डी-रेडिकलाइजेशन कहकर यूपी सरकार के घर वापसी का कार्यक्रम कहा गया है, उससे ज़ाहिर है कि यह एक ख़ास राजनीतिक विचारधारा के हेट कैंपेन ‘घर वापसी’ का ही यह हिस्सा है.’
राजीव यादव आगे सवालिया अंदाज़ में कहते हैं कि, ‘पिछले दिनों अजमेर धमाकों पर संघ के लोगों को सज़ा सुनाई गई, मध्य प्रदेश में संघ से जुड़े आईएसआई के एजेंटों की गिरफ्तारी हुई. पूरे देश में गौवंश के नाम पर हिंसा बढ़ती गई और हालत इतनी बिगड़ी कि प्रधानमंत्री तक को बोलना पड़ा. ऐसे में क्या इस डि-रेडिकलाइजेशन या घर वापसी की ज़रुरत इन सांप्रदायिक हिंसा करने वालों के लिए नहीं है.’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जिस तरह से धर्म से जोड़ा जा रहा है और उसका हल निकाला जा रहा है, यह संघ की राजनीति का हिस्सा है, इसीलिए इसका नाम घर वापसी रखा गया है.
राजीव ने कहा कि डि-रेडिकलाइजेशन की यह प्रक्रिया पिछले कुछ सालों में आईएस के नाम पर भटके युवाओं को लेकर चर्चा में आई है. लगातार सवाल उठता रहा है कि आखिर इन रेडिकलाइज करने वाली वेबसाइटों को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया जाता? वहीं सुरक्षा-जांच एजेंसियों पर यह भी आरोप लग रहा है कि वह फ़र्ज़ी वेबसाइट बनाकर लोगों को फंसा रही हैं. देश में तमाम घटनाओं में सुरक्षा-जांच एजेंसियों और उनके एजेंटों की भूमिका सवाल के घेरे में रही है.
बताते चलें कि पिछले 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश एटीएस के मीडिया सेल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि एटीएस, उत्तर प्रदेश ने घर वापसी (De-Radicalization) कार्यक्रम की शुरूआत की है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर पथ भ्रमित व्यक्तियों को परामर्श देकर सही राह दिखाई जा रही है. इस प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ ये कार्यक्रम आतंकी मानसिकता पर फोकस किया जा रहा है.
इस प्रेस विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि, ‘हाल ही में एटीएस द्वारा आतंकी संगठनों के सदस्यों के सम्बन्ध में सूचना पर कार्यवाही करते हुए 4 व्यक्तियों को अलग-अलग जगहों से गिरफ़्तार किया गया था. साथ ही 6 अन्य को पूछताछ हेतु लाया गया था. पूछताछ में उनकी नगण्य भूमिका तथा उनके ख़िलाफ़ पर्याप्त साक्ष्यों के उपलब्ध न होने के कारण उनको गिरफ़्तार नहीं किया गया, लेकिन गिरफ़्तार व्यक्तियों द्वारा उनको पथभ्रष्ट कर आतंकी मानसिकता की ओर अग्रसर किया गया था. कुछ अन्य युवकों के भी नाम प्रकाश में आये हैं, जिनको गिरफ़्तार किये गये नाज़िम, मुफ़्ती, मुज़म्मिल आदि ने धार्मिक भावनाओं के आधार पर आतंक की राह पर लाने का प्रयास किया था. ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार एटीएस द्वारा घर वापसी कार्यक्रम के तहत कार्यवाही की जा रही है.’
इस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि, ‘कई बार ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं, जिनमें परिवार को लगता है कि उनका कोई सदस्य आतंक की ग़लत राह पर चल रहा है, लेकिन वो समझ नहीं पाते हैं कि क्या किया जाये. ऐसी स्थिति में उनको सलाह दी जाती है कि वो निसंकोच ए टी एस कंट्रोल रूम से संपर्क करें. सरकार तथा उत्तर प्रदेश पुलिस उनके साथ है.’