मुहम्मद कलीम सिद्दीक़ी
अहमदाबाद : गुजरात की सियासत का ‘नपुंसकता’ के साथ गहरा रिश्ता रहा है. इस ‘नपुंसकता’ पर बार-बार कोई न कोई बयान आता ही रहा है. कांग्रेस के सलमान खुर्शीद 2014 लोकसभा चुनाव में अपने राजनीतिक सभा में उस वक़्त के गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी को ‘नपुंसक’ कहा तो बवाल मच गया था. और फिर इस ‘नपुंसकता’ को लेकर कई बड़े नेताओं के बयान आएं.
पिछले साल विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया गुजरात के बरुच में अपनी एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि, ‘हिंदुओं की जनसंख्या कम होने की वजह बढ़ती नामर्दी है.’ उन्होंने इस रैली में अपनी बनाई दवाई दिखाते हुए कहा कि, ‘हिंदू मर्दों को घर जाकर अपनी मर्दानगी की पूजा करनी चाहिए.’
खैर, ये दोनों नेता हैं. इनका काम ही है कि ऐसे बयान देकर अपनी राजनीति चमकाना है. लेकिन इस ‘राजनीति’ से परे हक़ीक़त यह है कि गुजरात में ‘नपुंसकता’ आज गंभीर व चिंतनीय विषय है.
गुजरात में महिला अधिकारों पर काम करने वाली माँ नामक गैर-सरकारी संस्था की संस्थापक व इसकी अध्यक्षा मंजिल नानावती का दावा है कि, ‘गुजरात में कुपोषण से बड़ी समस्या नपुंसकता है. जिस ओर न तो सरकार का ध्यान है और न ही समाज का.’
उनका कहना है कि, ‘हमारा जटिल समाज बच्चों में कुपोषण और महिलाओं में खून की कमी की समस्याओं पर खुलकर बात करता है, लेकिन नपुंसकता पर बात करने को तैयार नहीं है.’
नानावती का दावा है कि, ‘गुजरात में फैमिली कोर्ट में 50 प्रतिशत से अधिक तलाक़ मर्दों में नपुंसकता के कारण हुआ है. ऐसे में सरकारें अगर तीन तलाक़ को महिलाओं के सम्मान से जोड़ कर देख रही हैं तो नपुंसकता को भी महिलाओं के सम्मान से जोड़ कर देखा जाना चाहिए. सिर्फ़ तीन तलाक़ पर बात करना और नपुंसकता के कारण होने वाले तलाक़ पर खामोश रहना ये हिन्दू महिलाओं के साथ अन्याय है. यहां तलाक़ की बड़ी वजह ‘तीन तलाक़’ नहीं, बल्कि ‘नपुंसकता’ है.’
मंजिल नानावती बताती हैं कि वो जल्द ही गुजरात में नपुंसकता की जागरूकता के लिए ‘सर्व धर्म संत सम्मेलन’ बुलाने वाली हैं. उनके मुताबिक़ गुजरात की जनता धार्मिक है. इस कारण नानावती संतो के द्वारा नपुंसकता पर चर्चा चाहती हैं.
उनका कहना है कि संत सम्मलेन के बाद गुजरात सरकार नपुंसकता को नौजवानों की एक समस्या मान कर कुपोषण की ही तरह जागरूकता अभियान चलाएगी. इस सम्मलेन में सेक्स एजुकेशन को स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में कैसे शामिल किया जाये, इस पर भी चर्चा होगी.
नानावती का कहना है इस वर्ष विधानसभा चुनाव है. सूफी संतों की मौजूदगी में इस विषय की चर्चा के बाद इस समस्या के समाधान के लिए राजनैतिक दल इसे अपने मैनिफेस्टों में भी जगह देंगे.
उनकी मांग है कि सरकार नपुंसकता के संबंध में जागरूकता के लिए कार्यक्रम चलाए ताकि इस समस्या का समाधान लाया जा सके.
वो कहती हैं कि, तलाक़ की समस्या मात्र एक धर्म की नहीं है, बल्कि अन्य धर्मों में मुस्लिमों से अधिक तलाक़ हो रहे हैं. यदि सरकार ठोस क़दम उठाती है तो महिलाओं को सम्मान मिलेगा. तलाक़ के मामलों में कमी आएगी.
अहमदाबाद के मशहूर सेक्सोलोजिस्ट डॉक्टर पारस शाह का कहना है कि नपुंसकता का मूल कारण खान पान और आदतें हैं. डायबिटीज भी एक बड़ा कारण है. जिस प्रकार से व्यसन की प्रवृति बढ़ रही है. उस कारण से नापुसकता भी बढ़ रही है.
वो आगे कहते हैं कि, गुजरात में गुटखे का अधिक चलन है, लेकिन नपुंसकता सिर्फ़ गुजरात की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है. इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सोचने की ज़रूरत है.
गुप्त रोग के हकीम सलाहुद्दीन अंसारी का कहना है कि, पिछले दो दशक से गुजरात में यह समस्या बहुत तेज़ी से बढ़ी है. नपुंसकता शहरी इलाक़ों में अधिक है, जिसका मूल कारण मानसिक तनाव और धूम्रपान है. नपुंसकता दारु से अधिक गुटखा, पान मसाला, बीड़ी व सिगरेट से फ़ैल रही है, जो कि यहां खुलेआम बिक रहे हैं.
अल्फ़ा वन एंड्रोलॉजी ग्रुप, जो गुप्तरोग डॉक्टरों का संगठन है, के मुताबिक़ उन्होंने 2014 में नपुंसकता पर एक रिसर्च किया था. जिसके अनुसार भारत में 20 से 30 प्रतिशत पुरुषों में नपुंसकता है, जो तलाक़ का मुख्य कारण बन रही है.
बताते चलें कि इस ‘सर्व धर्म संत सम्मलेन’ में मोरारी बापू व उत्तेर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी शामिल होने की संभावना है. मंजिल नानावती बताती हैं कि, का उनकी हिन्दू धर्म गुरुओं के अलावा सिक्ख, जैन और मुस्लिम धर्म गुरुओं से भी बात हुई है. ये सभी लोग इस विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. जल्द ही योगी आदित्यनाथ से मिलकर कार्यक्रम के तारीख़ की घोषणा की जाएगी.