आस मोहम्मद कैफ | सहारनपुर–
भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर रावण को शुक्रवार सुबह 2:45 पर रिहा कर दिया सहारनपुर जेल से रिहा कर दिया गया. सहारनपुर जेल के बाहर हजारों की संख्या में दलित नोजवानों ने उनका स्वागत किया और जबरदस्त जश्न मनाया.
जेल से रिहा होने के बाद चन्द्रशेखर रावण ने कहा वो समाज के लिए लगातार संघर्ष करते रहेंगे.बसपा सुप्रीमो मायावती उनकी बुआ है उनसे उनका खून का रिश्ता है वो उनका कोई विरोध नही करेंगे वो 2019 में खुद चुनाव नही लड़ेंगे,मगर भाजपा को हराने के लिए काम करेंगे.
चंद्रशेखर रावण को जून में हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार किया गया था. उनपर 9 मई को सहारनपुर में भीम आर्मी के हिंसक प्रदर्शन के मास्टर प्लान तैयार करने का आरोप था. यह प्रदर्शन शब्बीरपुर गाँव में दलितों पर ठाकुरो के हमले के विरोध में किया गया था. इसके बाद सैकड़ो दलित नोजवानों पर मुक़दमे लिखे गए और भीम आर्मी के 50 से ज्यादा कार्यकर्त्ता जेल गए.चन्द्रशेखर पर भी आधा दर्जन मुक़दमे लिखे गए थे. उसके बाद उनपर रासुका लगा दी गई जिसकी अवधि हर 3 महीने बाद बढ़ाई जा रही थी.
कल शाम उत्तर प्रदेश सरकार ने चन्द्रशेखर रावण को उनके दो साथियों के साथ रिहा करने का आदेश जारी कर दिया. यह दो साथी शिवकुमार जाटव(50)और सोनू(26)शबीरपुर के रहने वाले है.इस आदेश में कहा गया है कि चन्द्रशेखर की मां कमलेश देवी के निवेदन पर समय पूर्व रासुका हटा ली गई है.चन्द्रशेखर की रासुका का समय 1 नवंबर को पूरा हो रहा था,उन्हें इस कानून के तहत 10 महीने 13 दिन अतिरिक्त जेल में रहना पड़ा.
चन्द्रशेखर की रिहाई की खबर के बाद सहारनपुर जेल पर हजारों की संख्या में समर्थक जुट गए थे,इसके बाद जेल अधीक्षक ने आदेश न मिलने की बात कही थी,मगर अचानक पुलिस के आला अधिकारी जेल पहुंचने लगे तो साफ़ हो गया कि देर रात में किसी समय चंद्रशेखर को रिहा कर दिया जायेगा.
जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला दलितों की सहानभूति लेने के मकसद से लिया है भीम आर्मी के महानगर अध्यक्ष प्रवीण जाटव के मुताबिक चन्द्रशेखर भाई और सभी साथी अब तक इसी सरकार की मेहरबानी से जेल में थे.चौतरफा दबाव ने सरकार को घुटने टेकने पर पर मजबूर कर दिया.
नीला पटका गले में डाले आसमानी शर्ट पहने चन्द्रशेखर ने जेल से बाहर आते है हाथ की मुट्ठी तानकर जय भीम का नारा लगाया और उसके बाद अपनी मां कमलेश देवी के पैर छूकर आर्शीवाद लिया.पुलिस रात में कड़ा सुरक्षा घेरे में उन्हें छुटमलपुर स्थित उनके घर छोड़कर आई.
चन्द्रशेखर के जेल से आने के बाद दलित राजनीति में बड़ी हलचल की उम्मीद है.