यूसुफ़ अंसारी, Twocircles.net
देश में फिलहाल 3 मई तक लॉकडाउन है। तेलंगाना में 7 मई तक इस बढ़ाने का ऐलान कर दिया गया है। देश के बाक़ी हिस्सों में भी इसके बढ़न के आसार हैं। ऐसे में देश की सबसे बड़ी आबादी मुसलिम समाज के सामने रमज़ान के दौरान इबादत का मसला खड़ा हो गया है। रमज़ान पूरे महीने मुसलमान रोज़ा रखते हैं। सामूहिक इफ्तार होता है। रात को मस्जिदों में तरावीह की विशेष नमाज़ पढ़ी जाती है। देश में तेज़ी से फैलते कोरोना की वजह से जारी लॉकडाउन ने रमज़ीन की इन रौनकों को फीका कर दिया है।
रमज़ान मे घर पर इबादत करने का फ़तवा
देश के जाने माने उलेमा औऱ मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मुसलमानों से लॉकडाउन में रमज़ान का दौरान घर पर रह कर ही इबादत करने की सलाह दी है। दुनिया भऱ में अपनी अलग लाख़ रखन वाले दारुल उलूम देवबंद और लखनऊ के नदवातुल उलूम समेत कई और इस्लामिक इदारों ने फतवा जारी कर मुसलमानों से रमज़ान के दौरान लॉकडाउन का सख़्ती से पालन करते हुए घर पर ही इबादत करने को कहा है। मुसलमानो को सलाह दी गई है कि कि वो रोज़ाना की नमाज़ के साथ ही रमज़ान की विशेष नमाज़ तरावीह भी सामूहिक रूप से न पढें।
न ईद की नमाज़ होगी न गले मिल सकेंगे
भारत में रमज़ान 23 या 24 अप्रैल से शुरू होगा। इसके ठीक एक महीने बाद ईद-उल फ़ितर का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन हर शहर मे ईदगाह पर ईद की विशेष नमाज़ होती है। मुसलमान एक दूसरे गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। एक दूसरे
के घर जाते हैं और घऱ पर बनी शीर, संवई के साध ही दूसरे पकवान खाते हैं। लेकिन कोरोमा से बचन के लिए अपनाई जा रही सामाजिक दूरी के चलते न ईद की नमाज़ होगी। न गले मिला जाएगा। शायद इतिहास में पहली बार ईद-उल फ़ितर पारंपरिक तरीक़े से नहीं मनाई जाएगी।
मुसलमानों के लिए कुछ गाइडलाइंस
बतां दें कि कोरोना के चलते भारत में भी पूरी तरकह लॉकडाउन है। देश भर की सभी मस्जिदें बंद हैं। देश के ज़िम्मेदार मुसलमानों ने भी रमज़ान के महीने में लोगों से मस्जिद जा कर नमाज़ पढ़ने के बजाय घर पर रह कर ही नमाज़ पढ़ने की सलाह दी है। भारत के बुद्धिजीवियों ने उलेमा से सलाह मशविरा करके भारतीय मुसलमानों के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनमें से ख़ास ये हैं:
– मुसलमान मस्जिदों के बजाय अपने घरों में नमाज़ पढ़ें और लॉकडाउन में मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अज़ान भी बंद कर दें
– रोज़ा खोलने के बाद रात में पढ़ी जाने वाली नमाज़ और तरावीह (रोज़ा खोलने के बाद की एक अहम नमाज़) भी घरों में ही पढ़ें
– मस्जिदों में इफ़्तार पार्टी का आयोजन न करें
– रमज़ान की ख़रीदारी के लिए घरों से बाहर न निकलें
दिल्ली में मुस्लिम बुद्धिजीवियों की संस्था ‘इंडियन मुस्लिम्स फॉर इंडिया फ़र्स्ट’ ने मौलवियों-इमामों की निगरानी में ये गाइडलाइंस तैयार की हैं। इस संस्था के एक सदस्य और आयकर विभाग के पूर्व कमिश्नर सैयद ज़फ़र महमूद कहते हैं, “भेदभाव करना इंसान की फ़ितरत में है। हाँ, मुसलमानों के साथ (कोरोना वायरस के फ़ैलाव को लेकर) भेदभाव हुआ है। हम सब को इस पर काबू पाने की ज़रूरत है और मुझे लगता है ये एक वक़्ती चीज़ है।”
इसी संस्था से जुड़े पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई क़ुरैशी कहते हैं, “जो लोग आम दिनों में मस्जिदों में नहीं जाते, वो रमज़ान में ऐसा करते हैं। उन्हें लगता है कि इस मुबारक महीने में मस्जिद नहीं गए तो गुनाह होगा. इन गाइडलाइंस से उन्हें ये समझाने की कोशिश की गई है कि अगर मक्का (सऊदी अरब) में कुछ दिनों के लिए ताला लग सकता है, तो इसके सामने मस्जिद तो छोटी सी चीज़ हैं।”
भारतीय अल्पसंख्यक आर्थिक विकास एजेंसी के अध्यक्ष एम जे ख़ान के कहा, “ये एक बहुत ही सराहनीय क़दम है। और ये दर्शाता है कि कोरोनो वायरस फ़ैलने से बचाने के लिए समुदाय के नेता सार्थक क़दम उठा रहे हैं।”
सऊदी अरब की शीर्ष धार्मिक परिषद की अपील
सऊदी अरब की सबसे शीर्ष धार्मिक परिषद ने दुनिया भर के मुसलमानों से रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान मस्जिदों में जाकर नमाज़ न पढ़ने की अपील की है। कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने से रोकने के मक़सद। वरिष्ठ विद्वानों की परिषद ने कहा कि मुसलमानों से जमात से नमाज़ पढ़ने से बचना चाहिए। बता दें कि लॉकडाउन के चलते सऊदी अरब ने भी अपनी सभी मस्जिदें बंद कर दीं हैं। जिनमें दुनिया की सबसे पवित्र कही जाने वाली मक्का का हरम शरीफ़ यानि काबा और मदीना की मस्जिद नबवी भी शामिल है। सऊदी अरब में लॉकडाउन का सख़्ती से पालन हो रहा है।
ईरान का फरमान
ईरान की इस्लामी सरकार ने भी मुसलमानों से रमज़ान के महीने में घर पर रहकर ही इबादत करने की अपील की है। ईरान की सरकार ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर मुसलमान लॉकडाउन की वजह से रमज़ान में रोज़े न रखना चाहें तो कोई हर्ज़ नहीं। बता दें कि ईरान शिया बहुल देश है। शिया मुसलमानों में रमज़ान को लेकर सुन्नी मुसलमानों के मुक़ाबले कुछ लचीले नियम है।
सतर्क हैं मुसलमान
देश में कोरोन वायरस के तेज़ी से फैलने की वजह से अब मुस्लिम समुदाय काफ़ी सतर्क है। देश भर की कई मस्जिदों से भी रमज़ान के महीने में लॉकडाउन का सख़्ती से पालन करने के ऐलान किए जा रहे हैं। दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुख़ारी और फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने भी बाक़ायाद बयान जारी करके देश के मुसलमानों से रमज़ान के महीने में घर पर रहकर ही इबादत करने की अपील की है। हर शहर में बड़ी मस्जिदों से इसी तरह के ऐलान किए जा रहे हैं।
बता दें कि हाल में दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में तब्लीग़ी जमात के सालाना धार्मिक कार्यक्रम के दौरान हज़ारों लोग जुटे थे। इनमें से कई लोगों में कोरोना के मामले पाए गए थे। इसके बाद मीडिया के बड़े हिस्से और सोशल मीडिया में भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के मामलों के लिए तबलाग़ जमात और मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराया जाने लगा। इसकी वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों से मुसलमानों के ख़िलाफ़ लगातार भेदभाव की शिकायतें आ रहीं हैं।
इन शिकायतों पर मुस्लिम समुदाय की तरफ से पुलिस में शिकायतें भी दर्ज कराई जा रहीं हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कोरोना को लेकर मुसलमानों को बदनाम करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की घोषणा भी की है। रविवार को ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी ने यह बयान दिया कि “कोविड-19 जाति, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखता. इसलिए हमारी प्रतिक्रिया और आचरण में एकता और भाईचारे को प्रधानता दी जानी चाहिए. इस परिस्थिति में हम एक साथ हैं।”
कुछ दिन पहले अंल्पसंख्यक मामलों मे केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने भी बाक़ायदा बयान जारी करके मुसलमानों से रमज़ान के दौरान भी लॉकडाउन का सख़्ती से पालन करने और घर पर रहकर ही इबादत करने की अपील की थी। सरकार, उलेमा और बुद्धिजीवियों की अपील के बाद लगता है कि मुस्लिम समुदाय रमज़ान के दौरान भी लॉकडाउन का सख़्ती से पालन करेगा। वैसे भी तबलाग़ी जमात के प्रकरण के बाद मुस्लिम समुदाय दबाव में भी है। कुछ मुस्लिम संगठनों ने सरकार से मई के पूरे महीने तक लॉकडाउन बढ़ाने की अपील है ताकि रमज़ान का वजह से लॉकडाउन के उलल्घंन की गुंजाइश ही ख़त्म हो जाए।