राजनीति और भ्रष्ट अफसरशाही की गोद मे पला बढ़ा कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों का हत्यारा डॉन विकास दुबे की उज्जैन में हुई गिरफ्तारी की कहानी गले नही उतर रही है।
राजनीति भृष्ट अफसरशाही और अपराधी के गठजोड़ की मिसाल बन चुका विकास पिछले सात दिन से पुलिस की पकड़ से दूर था। उत्तर प्रदेश पुलिस की 100 टीमें उसकी छानबीन में जुटी थी। अब तक विकास के पांच करीबी एनकाउंटर में मारे जा चुके थे। पुलिस के अनुसार ये सभी बिकरु गांव में पुलिस पर किए गए हमले में शामिल थे।
आज विकास दुबे की उज्जैन में हुई गिरफ्तारी के बाद भले ही मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अपनी तारीफ़ों के खुद पुल बांध रहे हो मगर ऐसा लगता नही है कि विकास दुबे की गिरफ्तारी में मध्यप्रदेश पुलिस ने कोई कमाल किया है। जानकारों के मुताबिक यह गिरफ्तारी कम बल्कि समर्पण की कहानी ज्यादा लगती है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि योजनाबद्ध तरीके से विकास दुबे ने मध्यप्रदेश में स्वयं की गिरफ्तारी कराई है।
ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे विकास दुबे ने 250 ₹ की एक पर्ची कटवाई और उस पर्ची में अपना नाम विकास दुबे ही लिखवाया। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद मंदिर की निजी सुरक्षाकर्मी को उसने अपना नाम भी बताया। हद तो यह हो गई जब महाकाल थाने के सिपाही वहां पहुंचे तो उसने चिल्लाकर कहा कि “मैं विकास दुबे हूँ कानपुर वाला”। इसके बाद उसे महाकाल थाने में ले जाया गया जहां एसपी उज्जैन मनोज कुमार ने उससे पूछताछ कर उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की।
विकास दुबे की पूरी कहानी रची रचाई लगती है। इसमें उत्तर प्रदेश पुलिस से बचने का तत्व प्रधान है। बिकरु गांव से फरार होंने के बाद विकास दुबे हरियाणा ,दिल्ली मध्यप्रदेश में पहुंचा है। सूत्र बताते हैं कि तीनों जगह उसने समर्पण के प्रयास किए। फरीदाबाद में यूपी एसटीएफ उस तक पहुंचने में चूक गई। इसके बाद वो टीवी चैनल में पहुंचकर समर्पण करना चाहता था। वहां सूचना लीक होने की वज़ह से ऐसा कर नही पाया।
हैरतअंगेज रूप से इस दौरान वो उज्जैन पहुंच गया। उज्जैन की फरीदाबाद से दूरी 773 किमी है। पूर्व पुलिस अधिकारी आरपी सिंह के मुताबिक यह बेहद आश्चर्यजनक है। निश्चित तौर पर उसकी मदद के लिए अच्छे संसाधनो का प्रयोग किया गया है। उज्जैन पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से लगभग 14 घण्टे लगते हैं,वो बस से यात्रा करने का जोखिम नही ले सकता था। लगभग एक सप्ताह से दौड़ भाग के बीच यह भी संभव नही है कि वो इतनी दूरी गाड़ी चलाकर ले जाएं। निश्चित तौर पर उसके साथ कुछ और लोग भी है। उसके पांच करीबी मारे जा चुके हैं इसी दबाव ने उसे यह सब करने के लिए मजबूर किया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इसे संदिग्ध गिरफ्तारी बताया है। उन्होंने विकास दुबे की काल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) सार्वजनिक करने की मांग की है। अखिलेश यादव ने कहा है कि सरकार को यह साफ करना चाहिए कि यह समर्पण है या गिरफ्तारी! सूत्रों के अनुसार विकास दुबे के रिश्तदार कन्नौज में ही रहते हैं।