आसमोहम्मद कैफ़ । Twocircles.net
यूपीएससी में सर्विस के बंटवारे के साथ ही मुसलमानों के चेहरे खिल उठे है। अब मुसलमानों के 9 आईएएस बनेंगे। यह कमाल ओबीसी कोटा लगने के बाद हुआ है।
इससे पहले टॉप 100 में सिर्फ एक मुसलमान सफ़ना नजरुदीन के आने के बाद संभावना सिर्फ उन्हीं के ही आईएएस बनने की थी। अब फरमान अहमद खान (258),सुथान अब्दुल्लाह(209) मोहम्मद शफ़ीक़(292) ,सुफियान अहमद(303) नुरुल क़मर (252),अजहरुद्दीन जहीरदीन क़ाज़ी (315) ,शब्बीर आलम ,आफ़ताब रसूल (412) के भी आईएएस बनने का रास्ता साफ हो गया हैं। इसके अलावा शाहीन ,हरीशा ,शियाज़ ,समीर अहमद ,माज़ अख़्तर ,माजिद इक़बाल खान, साहुल हमीद आईपीएस के लिए चुन लिए गए हैं। अब यह सभी ट्रेनिंग पर जाएंगे।
इनमे समीर अहमद ही एकमात्र ऐसे चयनित युवा है,जो सामान्य वर्ग से आते हैं और इन्हें आईपीएस मिला है। इनकी 193 वी रैंक थी। यूपीएससी में 27 फ़ीसद ओबीसी कोटा होता है। इसके अलावा इस बार आर्थिक आधार पर भी कोटा लगा है। इसे ईडब्ल्यूएस कैटगिरी का नाम दिया गया है। इसी कैटेगरी से अजरूद्दीन जहीरदीन क़ाज़ी 315 रैंक पाकर भी आईएएस बन गए है। ख़ास बात यह है कि मुस्लिमों में टॉपर सफ़ना नजरुदीन का भी ओबीसी कोटा लगा है,हालांकि 45 रेंक होने के कारण वो आईएएस ही डिजर्व करती है। उन्हें आईएएस ही मिला है।
यह है यूपीएससी की पूरी लिस्ट और पढिये किसे क्या मिला —
रैंक – नाम – कैटेगिरी -अलॉटमेंट
इसी महीने जारी किए गए देश की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा के परिणाम में 42 मुसलमानों ने कामयाबी हासिल की थी। हरियाणा के प्रदीप सिंह ने इसे टॉप किया था। यह संख्या तो अच्छी थी मगर रैंक अच्छी न आने के कारण मुसलमानों के एक वर्ग में निराशा भी थी। मगर कोटा लगने के बाद सारी कहानी बदल गई है । जहां सिर्फ एक आईएएस बनने की बात कही जा रही थी वहीं अब 9 आईएएस बन गए। इसमे दो मुख्य आधार बने कोटे का आधार पिछड़ापन है ,पहला आधार ओबीसी वर्ग से आता है । जिसे अन्य पिछड़ा वर्ग कहा जाता है और दूसरा आधार यूपीएससी में हाल ही में शामिल किए गए उच्च वर्ग के आर्थिक आधार पर गरीब व्यक्ति ( इडब्लूएस ) को लिया गया। ईडब्ल्यूएस से सामान्य वर्ग से आने वाले अजरुदीन जहीरदीन क़ाज़ी और आफ़ताब रसूल आईएएस बन गए जबकि दिल्ली पुलिस में सिपाही फ़िरोज आलम पूर्वात्तर राज्यों में तैनात होने वाले आईपीएस ( DANIPS ) बन गए है। 27 फ़ीसद का कोटा गणित कटलिस्ट और विषय चुनने के आधार पर तय होता है। अभी कुछ नाम पर जानकारी उपलब्ध नही कराई गई है।
उत्तर प्रदेश में पसमांदा मुस्लिम समाज नाम का संगठन चलाने वाले अनीस मंसूरी ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि यह रिज़ल्ट यह साबित करता है कि ख़ासकर ग़रीब मुसलमानों को जरूर पढ़ना चाहिए उनके लिए तरक़्क़ी के दरवाजे खुले हुए हैं । उन्होंने ख़ासकर ईडब्ल्यूएस के चयनित अफसरों को बधाई देते हुए कहा कि सामान्य वर्ग से आने वाले आर्थिक आधार पर गरीब अज़हरुदीन जहीरदीन ,आफ़ताब रसूल और फ़िरोज आलम को भी बड़ा आदर्श माना जाना चाहिए क्योंकि गरीब होने के बावुजूद इन्होंने बहुतों के लिए सही रहबरी कर दी है। सिर्फ शिक्षा से पैदा हुई काबिलियत ही मुसलमानों में पिछड़ेपन को दूर कर सकती है।
हाल के दिनों में मुसलमानों के बीच यूपीएसी काफी चर्चित रहा है। एक वर्ग के कट्टरपंथी इसे यूपीएससी जिहाद का नाम दे रहे हैं। हाल के दिनों में मुसलमानों में सिविल सर्विस के प्रति रुझान काफी बढ़ गया है। यह देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा है। इन दिनों में इस विषय पर काफी तल्ख़ बातें हो रही है। इस कटलिस्ट के बाद मुस्लिम युवाओं को निश्चित प्रेरणा मिलेगी।