तन्वी सुमन।Twocircles.net
हर रोज बढ़ती हुई महिलाओं के साथ हिंसा और बलात्कार की घटनाएं अब महज आँकड़े बन कर रह गए हैं। ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता और PARI (People Against Rapes In India) की संस्थापिका योगिता भयाना की कहानी तारीफ के क़ाबिल है। रेप पीड़िता के लिए लड़ने वाली योगिता औऱ उनकी संस्था असहाय पीड़ितों के लिए उम्मीद की एक किरण बन गई है।
Twocircles.net से बातचीत के दौरान योगिता बताती है कि सामाजिक मुद्दों में उनकी रुचि स्कूल के समय से ही थी और फाइनली 2007 में उन्होंने किंगफिशर एयरलाइन्स की नौकरी छोड़ सामाजिक न्याय के लिए काम करने का फैसला किया। योगिता बताती है, “वर्ष 2002 में वह मूवी देखने जा रही थी, वहाँ उन्होंने एक एक्सीडेंट देखा। एक आदमी सड़क पर खून से लथपथ पड़ा हुआ था लेकिन कोई भी इंसान मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था, उन्होंने किसी तरह से अपने दोस्त की मदद से उस आदमी को अस्पताल पहुँचाया लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी, उस आदमी ने मेरे हाथों में दम तोड़ दिया। इस घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया और इसके बाद वो एक महीने तक काम पर नहीं जा सकी थी। फिर मैंने समाज के लिए कुछ करने की ठान ली।“
योगिता की संस्था घरेलू हिंसा, मैरिटल रैप, बाल यौन शोषण जैसे मुद्दों पर काम करती है। योगिता निर्भया बलात्कार मामले में हर सुनवाई के लिए जाती थी और जिस दिन निर्भया के दोषियों को फांसी हुई उस दिन भी वह निर्भया के परिवार के साथ जेल के बाहर बैठी हुई थी। निर्भया गैंगरेप के बाद, योगिता ने कैम्पैन अगैन्स्ट रेप अभियान में एक सक्रिय भूमिका निभाई और इसके साथ ही इन्होंने Juvenile Justice Law (किशोर न्याय कानून) की आयु सीमा में बदलाव जिसमें किशोर की उम्र को 18 वर्ष से घटा कर 16 वर्ष करने की मांग की। योगिता, निर्भया की मां (आशा देवी) के साथ किशोर जेल के सामने बैठी हुई थी और इसके साथ ही मीडिया कवरेज मिलने की वजह मामले में तेजी आई। उस वक़्त संसद सत्र चल रहा था जिसके कारण चीजें भी जल्दी-जल्दी चल पड़ीं और इसके साथ की किशोर कानून में बदलाव हो गया।
योगिता ने 2007 में किंगफिशर एयरलाइन्स की नौकरी छोड़ने के बाद उस वक़्त की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सरकार के लिए स्वैच्छिक (वालन्टेरी) काम करना शुरू कर दिया। 2012 में निर्भया गैंगरेप के बाद योगिता को एहसास हुआ कि काम करने के लिए आपको कभी-कभी सिस्टम के खिलाफ विरोध करने की जरूरत होती है। इस घटना के बाद योगिता का पूरा ध्यान यौन हिंसा और बलात्कार की ओर चला गया। योगिता बताती हैं, “लोगों ने निर्भया घटना के बाद से POCSO में उनकी मदद करने के लिए मुझसे संपर्क करना शुरू कर दिया।“
PARI (People Against Rapes in India) संस्था शुरू करने की पीछे की वजह पर योगिता कहती है, “जब हमने निर्भया कांड का विरोध किया तो मैंने खुद को तीन महीने तक जंतर-मंतर पर तैनात रखा था, फिर गुडिया का मामला हुआ और मैं अस्पताल चली गई। जब गुड़िया को देखने मैं अस्पताल गई तो मैं एक गलत वार्ड में दाखिल हो गई जहां मैंने पाया की बलात्कार की एक और घटना आई है जिसकी मीडिया में रिपोर्ट नहीं की गई थी। मुझे इस बात का एहसास हुआ कि इन क्रूर बलात्कार के मामलों में से कितने तो ऐसे मामले हैं जो खबर भी नहीं बन पाते हैं !“
इसके बाद योगिता ने RTI (आरटीआई) दायर किया और इस बात को महसूस किया कि देश में POCSO के मामले कितने कम दर्ज होते हैं। इसके रोकथाम के लिए योगिता ने संवाद शुरू करने का फैसला किया और वही से PARI नामक संस्था के बारे में उन्हे ख्याल आया। मैरिटल रेप को लेकर अपनी राय रखते हुए योगिता कहती हैं, ”भारत में वैवाहिक बलात्कार को तो अपराध भी नहीं माना जाता है। नब्बे प्रतिशत पुलिस तो इस बात को स्वीकार ही नहीं करते हैं कि मैरिटल रेप जैसा भी कुछ समाज में मौजूद है, वह तो इसे घरेलू हिंसा तक नहीं मानते हैं।” मैरिटल रेप एक ऐसा अनछुआ मुद्दा है जिसमें महिला के खुद के घर वाले तक साथ नहीं देते है। योगिता कहती हैं, “अब वक़्त मानसिकता में बदलाव लाने का है, आपको अपनी महिलाओं के साथ समान व्यवहार करना होगा तभी समाज आगे बढ़ सकता है।“