स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
मशहूर इस्लामी विद्वान पद्म विभूषण मौलाना वहीदुद्दीन खान का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया हैं। मौलाना वहीदुद्दीन खान कुछ दिनों पहले कोरोना से संक्रमित हो गए थे जिसके बाद से वे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां इलाज के दौरान मौलाना वहीदुद्दीन का निधन हो गया। मौलाना वहीदुद्दीन खान को गुरुवार को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
मशहूर इस्लामी स्कालर और लेखक मौलाना वहीदुद्दीन खान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मौलाना वहीदुद्दीन को 12 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज इलाज़ के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। मौलाना वहीदुद्दीन को दिल्ली में ही गुरुवार को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मौलाना वहीदुद्दीन इस्लाम के बड़े विद्वानों में गिने जाते थे।
मौलाना वहीदुद्दीन खान की गिनती सबसे ज्यादा प्रभावी 500 मुस्लिमों में होती थी। मौलाना वहीदुद्दीन बर्रे सगीर के मशहूर आलिमे दीन थे। मौलाना वहीदुद्दीन खान को कुरान को समकालीन अंग्रेजी में अनुवाद करने और कुरान पर टिप्पणी ‘तजक्करुल क़ुरान’ लिखने के लिए जाना जाता था। मौलाना वहीदुद्दीन ने 200 से अधिक किताबें भी लिखी थी।
मौलाना वहीदुद्दीन की पहचान शांतिदूत के तौर पर भी होती थी। 1992 में बाबरी विध्वंस के दौरान मौलाना वहीदुद्दीन ने शांति और अमन बनाए रखने के लिए शांति यात्रा भी करी थी। मौलाना वहीदुद्दीन खान ने 2001 में शांति और आध्यात्मिकता केंद्र की स्थापना भी करी थी।मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान की हमेशा कोशिश इस्लाम को आधुनिक युग के लिए पूरी तरह से आधुनिक विचारधारा के रूप में पेश करना रही थी।
मौलाना वहीदुद्दीन खान आजमगढ़ के रहने वाले थे। मौलाना की पहचान हमेशा गांधीवादी के तौर पर रही। मौलाना वहीदुद्दीन को साल 2000 में पद्म भूषण से भी नवाज़ा जा चुका था। 2009 में उन्हें मदर टेरेसा और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था।
2015 में अबूज़हबी में सैयदियाना इमाम अल हसन इब्न अली शांति अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया जा चुका था। उन्हें सोवियत संघ के दौर में राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया था। साथ ही केंद्र सरकार ने हाल ही में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था। मौलाना वहीदुद्दीन खान के बेटे जफरूल इस्लाम दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।