पलायन का प्रतीक बनी ज्योति पासवान के पिता का निधन

न्यूज़ डेस्क ।Twocircles.net

बिहार की जो लड़की अपने पिता को लॉकडाऊन के दौरान साइकिल पर बैठाकर सैकड़ो किमी की दूरी तय कर घर लेकर आई थी उस पिता की मौत हो गई है। सोमवार को बिहार की मशहूर ‘साइकिल गर्ल’ ज्योति कुमारी के पिता की असामयिक मृत्यु हो गई। 48 वर्षीय मोहन पासवान के मौत की वजह हार्ट अटैक बनी। मोहन के निधन से ज्योति और परिवार वालों के साथ साथ देश भर के लाखों लोगों को एक झटका सा लगा हैं। ज्योति और उनके पिता की संघर्षपूर्ण कहानी को, प्रवासी मजदूरों के पलायन का एक चेहरा माना गया था।


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पिछले साल लॉकडाउन के दौरान 8 दिन का लंबा सफर तय कर बिहार के दरभंगा जिले की 13 वर्षीय ज्योति कुमारी अपने बीमार पिता को साइकिल के कैरियर पर बिठाकर गुरुग्राम से पैतृक गांव लाई थीं। जिसके बाद उनकी सोशल मीडिया पर खूब वाहवाही हुई और लोगों ने उसे ‘साइकिल गर्ल’ का नाम दिया था। उनकी ख्याति देशभर के साथ साथ विदेश तक भी पहुंच गई थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ने भी ज्योति के कारनामे की सराहना करते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने कहा था की ऐसा काम भारत की साहसिक बेटी ही कर सकती है।

हालांकि सोशल मीडिया पर उड़े मोहन पासवान के मौत की खबर को शुरुआत में कई लोग झूठ भी बता रहे थे चूंकि पूर्व में एक बार ज्योति कुमारी के मौत की अफवाह भी उड़ चुकी है। जिसके बाद खुद दरभंगा के डीएम डॉ एसएम त्यागराजन ने मोहन पासवान के मौत की पुष्टि की और बताया कि संबंधित सिंहबाड़ा ब्लॉक के बीडीओ को सिरहुल्ली गांव में मृतक को सहायता और श्रद्धांजलि देने के लिए भेजा गया है।

ज्योति अपने पिता के निर्धन के बाद बिल्कुल टूट सी गई हैं। उन्होंने थोड़ी हिम्मत जुटाकर बताया कि 10 दिनों पहले उनके चचेरे दादा की मौत हो गयी थी। जिनकें श्राद्ध कार्य के लिए सोमवार को उनके पिता मोहन पासवान ने समाज वालों की एक बैठक बुलाई थी। जब वो बैठक खत्म करके घर आएं तो उनके सीने में दर्द हो रहा था। उन्होंने कहा कि, गर्मी लग रही है, जिसके बाद ज्योति और परिवार वालों ने हाथ वाले पंखे को झला और उनका सीना भी दबाया। इससे उन्हें थोड़ी राहत मिली, फिर वो छत पर चले गए। कुछ देर बाद नीचे आएं तो उन्होंने कहा कि वो आराम करने जा रहे हैं। ज्योति बताती हैं कि इस ही दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।

ग्रामीण पवन कुमार ने twocircles.net से हुई बातचीत में जानकारी दी के मोहन पासवान की मृत्यु सोमवार को सुबह लगभग 9 बजे हुई थी। उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई है। “मोहन चाचा की तबियत पिछले साल वापस आने के बाद से ही खराब रहती थी, इसलिए वो वापस भी नही गए थें।” मोहन पासवान का अंतिम संस्कार गांव में ही किया गया। पवन ने आगे बताया “उनके बड़े पुत्र (9 वर्ष) हिमांशु द्वारा उन्हें मुखाग्नि दी गई है।”

इधर, निधन की सूचना मिलते ही गांव में मातमी सन्नाटा छा गया और इलाके के लोग अपना शोक व्यक्त करने लगे। दरभंगा डीएम के निर्देश पर सिंहवाड़ा बीडीओ राजीव रंजन कुमार और सीओ चौधरी बसंत कुमार सिंह मोहन पासवान के गांव पहुंचे और उनके पार्थिव शरीर पर फूलों की माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सीओ ने बताया कि ज्योति के परिजनों को पारिवारिक लाभ योजना से सरकारी मदद देने की कार्रवाई की जा रही है।

ज्योति के पिता हरियाणा के गुरुग्राम शहर में ई-रिक्शा चलाया करते थे। लेकिन जनवरी 2020 में एक दुर्घटना से उनके पैर में काफी चोट आई जिसके बाद वो ठीक से चल पाने में असक्षम हो गए थे। पिता की देखभाल के लिए बिहार से उनकी बेटी ज्योति कुमारी उनके पास पहुंची थी, और उनका ख्याल रखने लगी थी।

इसी दौरान कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। देश भर में एक कोहराम सा मचा हुआ था, लाखों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घर को निकल पड़े थें। ज्योति और उनके पिता के सामने भी खाने पीने की समस्या खड़ी हो रही थी, लेकिन मोहन पासवान की हालत अबतक सुधरी नही थी। तो साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी ने अपने पिता को सही सलामत घर लाने का बीड़ा खुद के मासूम कंधों पर उठाया।

किसी तरह से 400 रुपए जोड़कर ज्योति ने एक पुरानी साइकिल खरीदी और पिता को करियर सीट पर बिठाकर 1200 किमी० की लंबी संघर्षपूर्ण यात्रा पर निकल पड़ी। इस यात्रा से वो कई लोगों के लिए एक मिसाल बन गईं।

इसी साल जनवरी में, ज्योति कुमारी को बिहार में नशीली दवाओं के दुरुपयोग कार्यक्रम के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी चुना गया था। उन्हें उनकी साहस के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भी प्रदान किया जा चुका है। 25 जनवरी को ज्योति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी खास बातचीत की थी। उन्होंने हाल ही में “आत्मानिर्भर” नामक एक फिल्म भी साइन की है, जिसमें वह खुद की भूमिका निभाती नज़र आएंगी।

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