स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
जेएनयू छात्र नजीब अहमद को जेएनयू से गायब हुए पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन इन पांच सालों में भी नजीब का कहीं कोई अता-पता नहीं हैं। सवाल पांच सालो बाद भी वहीं का वहीं हैं कि आखिर नजीब कहां हैं। दिल्ली पुलिस, क्राइम ब्रांच, सीबीआई बीते 5 साल में नजीब का कोई सुराग नहीं लगा सकी है। वहीं, नजीब को तलाशने में मां फातिमा नफीस शहर-शहर गलियों की खाक छानती रहीं, लेकिन वो अभी तक नजीब को दोबारा नहीं देख सकी। इन पांच सालों में फातिमा नफीस ने नजीब की तलाश में सड़क को अपना दूसरा घर बन लिया था।
उत्तर प्रदेश के बदायूं के रहने वाले फातिमा नफीस और नफीस अहमद का 27 वर्षीय पुत्र नजीब जेएनयू में स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी का प्रथम वर्ष का छात्र था। नजीब अहमद का माही-मंडावी छात्रावास में एबीवीपी के कुछ छात्रों के साथ झगड़ हो गया था तब से वो लापता हैं। नजीब माही-मंडावी छात्रावास के कमरा नंबर 106 में रहता था। नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 को लापता हुए थे। शुरुआत में मामले की जांच दिल्ली पुलिस द्वारा की गई और फिर इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था, जिसने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
नजीब के लापता होने के करीब एक महीने बाद उसकी मां फ़ातिमा नफ़ीस ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अदालत से पुलिस को उनके बेटे की तलाश के निर्देश देने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को तत्काल सभी पहलुओं की जांच करने और नजीब की तलाश करने को कहा था।अदालत ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी से कोई भी ऐसे ही गायब नहीं हो सकता।
लेकिन पुलिस इस मामले में कोई भी सुराग़ ढूंढ पाने में नाकाम रही थी। इस मामले में परिवार की तरफ से सीबीआई जांच की मांग को लेकर किए जा रहे अनुरोध पर अदालत ने 16 मई 2017 को को मामला सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई ने नजीब की जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा करी इसके अलावा सीबीआई की टीम ने महाराष्ट्र ,दिल्ली, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई जगह पर छानबीन की लेकिन नजीब का पता नहीं चल सका। आखिर में सीबीआई भी नजीब का कोई सुराग ढूंढने में नाकाम रहीं और 15 अक्टूबर 2018 को सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को क्लोज़र रिपोर्ट सौंपी और केस को बंद करने की मांग की और फरवरी 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा था।
सीबीआई ने हाईकोर्ट में कहा कि उसकी पूरी कोशिशों के बावजूद भी एजेंसी को सुराग नहीं मिला है लिहाजा इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है। एजेंसी ने ये भी कहा कि झगड़े और उसके गायब होने में कोई संबंध स्थापित नहीं हो पाया। सीबीआई द्वारा केस बंद करने के बीच फातिमा नफीस ने जांच को जारी रखने की कई अपीलें भी करी। फातिमा नफीस सीबीआई और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाती रही हैं कि वे दोषियों को बचा रहे हैं और जांच में लापरवाही बरती गई है।
सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि अब तक उसकी जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो दिखाए कि कोई अपराध हुआ है. न ही उसे ऐसी कोई सामग्री मिली है जिसके आधार पर वह उन नौ छात्रों को गिरफ्तार करे या कोई कार्रवाई करे, जिन पर नजीब के परिवार को शक है कि उन्होंने ही उसे गायब किया है।
नजीब की मां फातिमा नफीस ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पक्षपाती और अधूरी बताया। इस दौरान उन्होंने प्रोटेस्ट याचिका का रुख़ किया। फातिमा द्वारा दायर की गई इस याचिका में यह कहा गया कि सीबीआई ने जांच ठीक से नहीं की और झूठे आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिससे साबित हो सके कि नजीब अपने आप गायब हुआ है।
इससे पहले जांच के दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अध्यापक संघ ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को इस मुद्दे के प्रति बेरुख़ी और पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया था। जेएनयू अध्यापक संघ ने यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई 25-प्वाइंट बुलेटिन की आलोचना यह कहकर की कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जानबूझकर यह तथ्य छोड़ दिया है कि एक रात पहले हुए झगड़े के दौरान नजीब पर हमला किया गया था। इस दौरान नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस ने जेएनयू के प्रशासन पर यह आरोप लगाया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन नजीब को लेकर असंवेदनशील हैं।
नजीब अहमद के गायब होने के बाद फातिमा नफीस दिल्ली पुलिस मुख्यालय से लेकर सीबीआई हेड क्वार्टर तक बेटे को खोजने के लिए प्रदर्शन कर चुकी हैं। फातिमा नफीस अपने बेटे नजीब को लेकर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री,नेता, पुलिस हर किसी के चक्कर लगा चुकीं हैं, लेकिन हर तरफ़ से उन्हें नाउम्मीदी मिली। फातिमा नफीस का एक पैर बदायूं में तो दूसरा 275 किमी दूर दिल्ली में रहता था। हफ्ते के दो दिन उस शहर में भी गुजर जाते हैं, जहां से खबर आ जाए कि नजीब यहां हो सकता है।
फातिमा नफीस को सड़क किनारे बैठकर अपना दर्द बयां करने के दौरान पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ीं। पुलिस द्वारा फातिमा नफीस को घसीटा गया, मारा गया लेकिन फातिमा नफीस ने अपने बेटे नजीब के लिए हार नहीं मानी। नजीब को ढूंढने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय समेत देशभर के कई अन्य विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन हुए। दिल्ली में सीबीआई हेडक्वार्टर से लेकर प्रधानमंत्री का आवास तक घेरा गया लेकिन हर तरफ़ अंधेरा ही नज़र आया।
नजीब की मां फातिमा नफीस कहती हैं कि उनका देश की सर्वोच्च जांच एजेंसियों से भरोसा उठ गया है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों ने उन सभी छात्रों को केवल बचाने का काम किया है, जिन्होंने नजीब अहमद के साथ लड़ाई की थी। उन्होंने कहा कि जब तक मेरा बेटा नजीब वापस नहीं आ जाता है मैं थकने वाली नहीं हूं।
फातिमा कहती हैं कि नजीब कैंपस से पांच साल पहले लापता हुआ। देश की सबसे स्मार्ट कही जाने वाली दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई तक के हाथ खाली हैं। मैं अक्सर एक ही सवाल करती हूं कि मेरे बेटे की जगह किसी नेता या अधिकारी का बेटा होता, तब भी जांच एजेंसियां ऐसे ही खाली हाथ अदालत में खड़ी होतीं?
फातिमा नफीस हर आहट पर पूछती हैं कि मेरा नजीब आ गया या उसका कुछ पता लगा? नजीब की अम्मी फातिमा नफीस कहती हैं कि बेटे की तलाश में जब भी दिल्ली आती थीं तो जेएनयू कैंपस में ही रुकती थीं। इस उम्मीद के साथ कि शायद अल्लाह का करिश्मा हो जाए और बेटे की कोई खबर मिल जाए। फातिमा का आरोप है कि एबीवीपी के छात्रों को बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां भी चुप हैं। उनका कहना है कि कैंपस से लापता होने से पिछली रात नजीब के साथ उन्हीं छात्रों ने मारपीट की थी।
फातिमा कहती हैं कि हर दिन उन्हें लगता है कि नजीब किसी कोने से उन्हें आवाज देगा। कई लोग आशंका जताते हैं कि अब वो कभी नहीं आएगा, पर मेरा मन जानता है कि एक दिन मेरा बेटा मेरे सामने होगा। मैं ईद पर उसे याद करती हूं। उसके 2016 की ईद में पहने कपड़ों को हर साल बाहर निकालती हूं और ईदी के साथ मुबारकबाद भी देती हूं। उसकी पसंद का खाना बनाती हूं और सबके खाने के बाद चुपचाप बस थाली देखती रहती हूं इस उम्मीद के साथ वो आएगा।
लापता नजीब के इंसाफ़ के लिए इस वर्ष भी तमाम छात्र संगठन और समाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। जेएनयू में नजीब को इंसाफ दिलाने के लिए स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन, बापसा, फ्रेटरनिटी मूवमेंट, एमएसएफ और कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई ने मार्च निकाला। छात्र संगठनों द्वारा किए गए मार्च में लापता नजीब के बारे में आवाज़ उठाई गई। विश्वविद्यालय के अंदर सैकड़ों छात्र इकट्ठा हुए। छात्र तख्तियां लिए हुए थे, जिसमें लिखा था कि ‘नजीब कहां है?’ छात्रों ने परिसर में मार्च किया और नजीब को वापस लाने की मांग करते हुए नारे भी लगाए।