स्टाफ रिपोर्टर।Twocircles.net
बीते दिनों स्विगी ऐप पर हैदराबाद के एक ग्राहक द्वारा किया गया असामान्य सांप्रदायिक अनुरोध सोशल मीडिया पर खासा बवाल मचाए हुआ है। ऐप पर एक ग्राहक ने एक रेस्त्रां को ये निर्देश दिया था कि उसका खाना मुस्लिम डिलीवरी बॉय के हाथों न भेजवाया जाए। इस अनुरोध का एक स्क्रीनशॉट काफी वायरल हुआ है। लोग उस ग्राहक की सोच को कट्टरता का नाम दे रहे हैं। साथ ही स्विगी ऐप से उसे ब्लॉक कर, नफरत के खिलाफ एक स्टैंड लेने की भी मांग कर रहे हैं।
हालांकि स्विगी की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। गिग इकॉनमी में कार्यरत श्रमिकों के एक संगठन के प्रमुख शेख सलाउद्दीन ने इस निर्देश का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर सबसे पहले साझा किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि डिलीवरी बॉय सभी को खाना पहुंचाने के लिए हैं, चाहे वो किसी भी धर्म का हो। उन्होंने स्विगी से इस नफरत के खिलाफ आवाज़ उठाने का भी आग्रह किया था।
“प्रिय @Swiggy कृपया इस तरह के कट्टर अनुरोध के खिलाफ एक स्टैंड लें। हम (डिलीवरी वर्कर) यहां सभी को खाना पहुंचाने के लिए हैं, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो, सिख हो @Swiggy @TGPWU मजहब नहीं सिखता आपस में बैर रखना”, उन्होंने ट्वीट किया।
Twocircles.Net से बात करते हुए शेख सलाउद्दीन बताते हैं कि उन्होंने आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए इस स्क्रीनशॉट को सांझा किया है, “हमारे देश की नींव सभी धर्मों के आपसी भाईचारे पर टिकी है, उसमें ऐसे मामले सिर्फ और सिर्फ नफरत बढ़ाने का काम करते हैं।” सलाउद्दीन बताते हैं, “नफरत के खिलाफ अगर आज समय रहते आवाज नहीं उठाई गई तो कल को नफरत और बढ़ जाने का खतरा बन जाता है।”
“डिलीवरी बॉय का काम मात्र खाना पहुंचाने का होता है, अगर उसके बावजूद धर्म के आधार पर उसके साथ भेदभाव किया जाएगा तो फिर वो अपने परिवार का पालन पोषण कैसे कर पाएगा?” वो आगे कहते हैं।
सलाउद्दीन ने उम्मीद जताई की स्विगी जल्द ही इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ेगी, “स्विगी को जल्द से जल्द अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। तभी नफरत फ़ैलाने वालों को करारा जवाब मिलेगा की वो दरअसल गलत कर रहे हैं।” सलाउद्दीन, इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आईएफएटी) के नेशनल जनरल सेक्रेटरी हैं। इसके अलावा वो तेलंगाना टीजीपीडबल्यूयू के फाउंडर स्टेट प्रेसिडेंट भी हैं।
बाकी लोगों के साथ नाराजगी व्यक्त करने वालों में कर्नाटक के कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम भी हैं। “प्लेटफ़ॉर्म कंपनियां चुप नही रह सकतीं क्योंकि गिग वर्कर्स को धर्म के नाम पर इस तरह की कट्टरता का सामना करना पड़ा। ऐसी कंपनियां गिग वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कार्रवाई करेंगी?” उन्होंने स्विगी को टैग करते हुए ट्वीट किया।
इस तरह ये कोई पहला मामला नहीं है बल्कि 2019 में भी एक व्यक्ति ने अपना ऑर्डर इस आधार पर ही रद्द किया था। हालांकि उस समय जोमैटो ने ऑर्डर रद्द होने के बाद, नफरत के खिलाफ स्टैंड लिया था। कंपनी ने राइडर बदलने के ग्राहक के अनुरोध के जवाब में ट्वीट किया था कि, “खाने का कोई धर्म नहीं होता। यह खुद एक धर्म है।” इसकी वजह से जोमैटो ने काफी ऑनलाइन प्रशंसा अर्जित की थी।
उस समय जोमैटो का समर्थन करते हुए, कंपनी के संस्थापक ने अपने व्यक्तिगत ट्विटर खाते से कहा था कि उनके सिद्धांतों के आड़े आने वाले किसी भी व्यवसाय को उन्हें खोने का खेद नहीं है। “हमें भारत के विचार और हमारे सम्मानित ग्राहकों और भागीदारों की विविधता पर गर्व है। हमें अपने सिद्धांतों के आड़े आने वाले किसी भी व्यवसाय को खोने का खेद नहीं है।” उन्होंने ट्वीट किया था।