स्टाफ रिपोर्टर। Twocircles.net
मुजफ्फरनगर दंगे भड़काने के आरोप में अदालत द्वारा दोषी सिद्ध कर 2 वर्ष की सजायाफ्ता भाजपा नेता विक्रम सैनी की विधायकी चली गई है। मुजफ्फरनगर जनपद की खतौली विधानसभा सीट पर अब चुनाव होने जा रहा है। पश्चिम यूपी की खतौली विधानसभा सीट बेहद चर्चा में है। वज़ह है वहां के बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की विधायकी समाप्त कर दी गई है। अब इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान भी चुनाव आयोग ने कर दिया है 5 दिसंबर को मतदान होगा और फिर 8 दिसंबर को नतीजे होंगे। विक्रम सिंह सैनी इस बार दूसरी बार खतौली से विधायक चुने गए थे लेकिन यह कार्यकाल उनका 8 महीने तक ही रहा। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में विधायक विक्रम सैनी को अदालत ने दो साल की सज़ा सुनाई थी जिसके चलते विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द की थी।
2017 में पहली बार विधायक बने विक्रम सैनी 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से पहले कवाल गांव के ग्राम प्रधान थे। किसी की भी समझ से परे था कि यह ग्राम प्रधान अगले विधानसभा चुनाव यानी 2017 में एक बड़े दल से विधायकी लड़ेगा और भारी वोटों से जीतकर भी पहुंचेगा। विक्रम सैनी का राजनैतिक सफर दस सालों में ज़मीन से उठकर आसमान पर पहुंच गया था। इसकी सबसे बड़ी वजह थी उनकी भड़काऊ ज़बान यानी उनके भड़काऊ बोल। विक्रम सैनी अपने भड़काऊ बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं।
2013 मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कवाल गांव में 29 अगस्त को हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष के लोगों ने एक दूसरे पर लाठी डंडों से हमला और पथराव किया था। मुजफ्फरनगर पुलिस ने इस मामले में दोनों समुदाय के 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। केस के ट्रायल के दौरान 15 लोगों को दोषमुक्त कर दिया गया था। इसी मामले में विक्रम सैनी को भी गिरफ्तार किया गया था, पुलिस ने उनपर हिंसा फैलाने और दंगे में कथित तौर से शामिल होने का आरोप लगाया था। दंगे के 9 साल बाद बीते 11 अक्तूबर को मुजफ्फरनगर की एमपी एमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी।
विक्रम सैनी के राजनीतिक कैरियर की नींव ही मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान पड़ी थी। मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान विक्रम सैनी पर कुल तीन मुकदमे दर्ज हुए थे और पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। इसी दौरान उनपर रासुका भी लगाया गया था। जेल में लगभग सालभर रहने के बाद जब विक्रम बाहर आएं तो उनकी सियासत के कैरियर को सुनहरे पंख मिल चुके थे।
जेल से बाहर आने के बाद 2016 में विक्रम ने पंचायत चुनाव लड़ा और सबसे अधिक वोटों से ज़िला पंचायत सदस्य बने। विक्रम के भाषण जितने जहरीले होते गए उनकी राजनीति उतनी चमकतीं गई। मुजफ्फरनगर दंगों के आरोप में जेल काटने के ईनाम के तौर पर बीजेपी ने उन्हें 2017 में सीधा खतौली सीट से टिकट दे दिया। चुनाव के दौरान विक्रम सैनी ने हिंदू कार्ड खेला और दंगों में जेल काटने के नाम पर उनको ख़ूब फ़ायदा मिला और विक्रम ने बड़े अंतर से चुनाव जीता।
2017 में पहली बार विधायक बनने के बाद विक्रम सैनी के बोल अधिक बेलगाम होते गए। 2017 में ही विक्रम सैनी ने एक भड़काऊ बयान देते हुए कहा था कि गाय का अपमान और हत्या करने वालों के शरीर के अंग तोड़ने चाहिए। सैनी के जनसंख्या नियंत्रण, वंदेमातरम, कश्मीर में धारा 370 , नेहरू गांधी परिवार पर कई भड़काऊ और आपत्तिजनक बयान चर्चा में रहें। कई बार तो ऐसा हुआ कि बीजेपी नेता खुद सैनी के बयानों से कन्नी काटते नज़र आए।
2022 विधानसभा चुनाव में खतौली सीट से विक्रम सैनी का टिकट कटने की चर्चा जोरों पर रहीं , इसकी वजह थी उनके जहरीले बोल। लेकिन टिकट कटने की बात मात्र चर्चा तक सीमित रहीं, 2022 में बीजेपी ने उन्हें फिर से चुनाव लड़ाया और विक्रम सैनी फिर दोबारा विधानसभा पहुंचे। लेकिन दूसरी बार में उनकी विधायकी मात्र 8 महीने तक ही चल पाई।
विक्रम सैनी ने राजनीति की शुरुआत अपने गांव कवाल से की थी और वहीं से वो राजनीति में चमके भी लेकिन अब इसी कवाल गांव में हुए बवाल के कारण उनकी सियासी चमक फीकी पड़ गई हैं। विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद उनका राजनीतिक भविष्य पर भी संकट के बादल मंडरा रहें हैं।
विक्रम सैनी दंगों के दो मामलों में बरी हो चुके थे लेकिन बचे एक मामले ने उनके राजनीतिक कैरियर पर खतरा बना दिया। 5 दिसंबर को इस सीट पर उपचुनाव होना है। खतौली उपचुनाव को लेकर आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी खासा तैयार में हैं। 2022 में सपा गठबंधन में यह सीट भी रालोद के पास थी, जयंत 15 नवंबर को खतौली में रोड-शो और जनसभा करने जा रहे हैं।