डेल्टा मेघवाल और उसके पिता का दर्द…

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

नोखा (राजस्थान) : मेरे लिए आपने आप में एक बेहद मुश्किल काम था. मैं डेल्टा मेघवाल के पिता से रूबरू था. डेल्टा को खोने का दर्द उनकी आवाज़ से साफ़ झलक रहा था. पूरी तरह टूट चुके डेल्टा के पिता महेन्द्र राम मेघवाल कहते हैं कि ‘डेल्टा बचपन से ही प्रतिभाशाली थी. वो पढ़ाई में तो तेज़ थी ही, साथ में चित्रकारी कविता लिखना, गीत गाने व नृत्य करने में भी रूची रखती थी. वो त्रिमोही गांव की पहली लड़की थी, जिसने 12वीं पास किया था…’


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यह बताते-बताते उनकी आवाज़ धीमी पड़ जाती है. कुछ देर के लिए अपनी बेटी के बचपने की यादों में खो जाते हैं. फिर बताते हैं कि –‘वो बचपन से ही शांत, व सौम्य स्वभाव की थी. अपने लोगों के बीच वो काफी मिलनसार थी. लेकिन अंजान लोगों के सामने ज़्यादा नहीं खुलती थी. हमेशा अपने धुन में मस्त रहती थी.’

टॉपिक को बदलते हुए अचानक बोलते हैं कि –‘मैं खुद भी एक टीचर हूं. लेकिन अपने लोगों से गुज़ारिश करता हूं कि कोई पिता अपनी लड़कियों को 10वीं के बाद न पढ़ाए.’

आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? मेरे इस सवाल पर वो कहते हैं –‘मैंने डेल्टा को हज़ारों-लाखों खर्च करके पढ़ाया था. कभी अपने बेटे-बेटी में फ़र्क़ नहीं किया था. सोचा था डेल्टा बड़ी होकर आईपीएस बनेगी. अपने देश व समाज के लिए कुछ करेगी. पर हश्र क्या हुआ? अगर संस्थान में पिता समान शिक्षक ही बच्चियों के साथ ऐसा करने लगे तो कोई अपनी बच्चियों को क्यों पढ़ाए? क्यों हमारी बच्चियां अपने स्कूल-कॉलेजों तक में सुरक्षित नहीं हैं?’

Delta Meghwal

दरअसल, महेन्द्र राम मेघवाल की यह बातें समाज को आइना दिखा रही हैं. जिसपर हमें गंभीरता से अवश्य सोचना चाहिए. क्योंकि शिक्षा का मंदिर जिस प्रकार इन दिनों लगातार अपवित्र होता नज़र आने लगा है, वैसी स्थिति में यक़ीनन कोई बाप अपनी बेटी को नहीं पढ़ाना चाहेगा.

बताते चलें कि तक़रीबन 47 साल के महेन्द्र राम मेघवाल का पूरा बचपन राजस्थान के बाड़मेर ज़िला के त्रिमोही गांव में ही गुज़रा है. फिलहाल वो त्रिमोही के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं.

महेन्द्र राम मेघवाल TwoCircles.net के साथ ख़ास बातचीत में बताते हैं कि –‘इस पूरे मामले में मैं पुलिस के जांच से संतुष्ट नहीं हूं. पुलिस आरोपियों को बचाने में जी-जान से जुटी हुई है. एफ़आईआर तक में छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है.’

वो बताते हैं कि –‘पुलिस धारा-302 की जगह 306 करना चाहती है ताकि हत्या का मामला आत्महत्या के मामले में तब्दील हो जाए.’

महेन्द्र राम मेघवाल स्थानीय मीडिया के रिपोर्टिंग से काफ़ी नाराज़ नज़र आएं. वो कहते हैं कि –‘कुछ मीडिया वालों द्वारा किसी के बहकावे में आकर या अपने निजी स्वार्थ के ख़ातिर मेरी बेटी पर जो लांछन लगाया जा रहा है, वो ग़लत है. अपनी रिपोर्टिंग में कुछ तो इंसानियत बाकी रखो…’

फिर कुछ देर रूक कर वो बोलते हैं कि –‘मैं सिर्फ़ अपनी बेटी डेल्टा के इंसाफ़ के लिए लड़ रहा हूं. इसलिए लड़ रहा हूं ताकि कल हमारे देश की तमाम बेटियां सुरक्षित रह सकें. इस इंसाफ़ की लड़ाई है. हो सके तो ग़रीब का साथ दो…’

आगे वो अचानक कहते हैं –‘मीडिया को यह अधिकार किसने दे दिया कि वो किसी के चरित्र हनन का प्रयास करें. इस प्रयास पर लगाम ज़रूर लगना चाहिए.’

महेन्द्र राम मेघवाल स्थानीय पुलिस पर भेदभाव व छुआछूत करने का भी आरोप लगाते हैं. वो कहते हैं कि –‘पुलिस आख़िर इतना अमानवीय कैसे हो सकती है. मरने के बाद भी मेरी बेटी के साथ भेदभाव किया गया. उसे नगरपालिका द्वारा मरे जानवर व कचड़ा उठाने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली से पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया…’ यह बोलने के बाद उनकी आंखें नम हो जाती हैं….

यह उस बाप के शब्द हैं, जिसने अपने बेटी के लिए ढ़ेर सारे अरमान पाल रखे थे. बेटी नाम रौशन करेगी. परिवार व समाज का नाम रौशन होगा. लेकिन यह चिराग़ रौशन होने से पहले ही बुझ गया. डेल्टा के पिता इस सदमे से बुरी तरह से बिखर चुके हैं. वक़्त शायद घाव की चोट थोड़ी कम कर दे, मगर इस घाव के निशान इतने गहरे हैं कि उम्र भर साथ ज़रूर रहेंगे.

Delta Meghwal

जानिएं! आख़िर कौन हैं डेल्टा मेघवाल?

डेल्टा मेघवाल का जन्म 7 मई, 1999 को भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित राजस्थान के बाड़मेर ज़िला के गडरारोड तहसील में त्रिमोही गांव में हुआ. पिता ने पिता काफी सोच-समझकर उसका नाम ‘डेल्टा’ रखा. उनका कहना है कि जिस प्रकार नदी कई विशेषताएं छोड़कर मिट्टी को एक नया सौन्दर्य का रूप देकर जाती हैं, इसी प्रकार की कई प्रतिभा व विशेषताएं मेरी बेटी डेल्टा में भी मौजूद थे.

डेल्टा मेघवाल ने पांचवी तक की पढ़ाई गांव के राजीव गांधी स्वर्ण जयंती पाठशाला से की. फिर आठवीं तक की पढ़ाई गांव से 2 किलोमीटर दूर स्थित आदर्श विद्या मंदिर उच्च प्राथमिक विद्यालय से हासिल की. 10वीं की परीक्षा राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय से और 12वीं की परीक्षा 2014 में स्वर्गीय तेजूराम स्वतंत्रता सेनानी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से उत्तीर्ण की.

2014 में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित BSTC (बेसिक स्कूल टीचर कोर्स) के 600 अंकों वाली प्रवेश परीक्षा में 469 अंक हासिल करके नोखा के श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय में दाखिला लिया था.

डेल्टा की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि कोई भी साहसी और रचनात्मक कार्य करने में कभी पीछे नहीं रहती थी. वो एक पेन्टर व गायिका होने के साथ-साथ एक ओजस्वी वक्ता भी थी. उसके द्वारा दिया गया भाषण लोगों के दिलों में उमंग और देशभक्ति का जोश भर देता था.

डेल्टा के जानने वाले बताते हैं कि वह बचपन से ही भाषण देने में निपुण थी. उसने महज़ 5 साल की उम्र में अपना पहला भाषण दिया था. यही नहीं, 8 साल की उम्र में स्वतंत्रता दिवस समारोह में अंग्रेज़ी में भाषण दिया था, जो आज भी लोगों के ज़ेहन में ज़िन्दा है.

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