नन्हें रोज़ेदारों की दिलचस्प दास्तान

फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net

दिल्ली: रमज़ान के पाक महीने में रोज़े के साथ इबादत का मज़ा ही कुछ और है. तभी तो बड़े तो बड़े बच्चे भी रमज़ान की आमद में पीछे नहीं हटते हैं. यहां कोई रोज़े लग जाने का नखड़ा करके सोता है तो कोई अपने सिर्फ एक दांत से रोज़ा रहता है.


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बचपन ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत दौर होता है. बचपन का रोज़ा भला किसे याद नहीं रहता है. रमज़ान का पूरा महीना हम बच्चों के लिए किसी ईद से कम नहीं होती थी. हमारे बचपन तो गुज़र गए. अपने बचपन को याद करते हुए हमने इस रमज़ान में नन्हे-मुन्ने रोज़ेदारों और कुछ शरारती बच्चों से जानने की कोशिश की है कि ये जनाब रमजान को कैसे एन्जॉय कर रहे हैं.

घर से थोड़े ही फ़ासले पर 9 साल के रोज़ेदार फैज़ निशात रहते हैं. इन जनाब ने अब तक दो सालों में दो रोज़े रखे हैं. लेकिन सेहरी में ये जनाब बड़े पाबन्दी से उठते हैं. ये अलग बात है कि स्कूल जाने के लिए ये कभी भी टाईम से नहीं जगे हैं.

दिल्ली के रहने वाले 11 साल के यासिर बताते हैं कि वे 3 साल से रोज़ा रख रहे हैं. रमज़ान आते ही उन्हें इस बात की ख़ुशी होती है कि उनकी अम्मा उनके लिए रोज़ कुछ स्पेशल बनाती हैं. इस बार वो तरावी के लिए अपने पापा के साथ मस्जिद भी जाते हैं.

यासिर बताते हैं कि तरावी में और भी बच्चे अपने पापा के साथ आते हैं. जिनके साथ वो 5 मिनट की तरावी पढ़ने के साथ खेलने में मसरूफ़ हो जाते हैं.

6 साल की नन्हीं-सी आसिफा अब तक के सबसे अनोखे रोज़े के बारे में बताती हैं. वो ‘वन-चिक’ से रोज़ा रहती हैं. ‘वन-चिक’ रोज़े के बारे में पूछने पर वो बताती हैं कि ये अपने मुंह के एक तरफ़ वाले दांत से कुछ नहीं खाती.

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बक़ौल उनके उस दांत का रोज़ा होता है. इन्हें सहरी में दूध और फेनी खाना बहुत पसंद है और इफ्तार में रूहअफ़ज़ा इनका फेवरेट है. ये अपने साथ अपने तोते को भी सहरी और इफ्तार कराना नहीं भूलती हैं.

3 साल के वली बता रहे हैं कि आज उनका रोज़ा है. लेकिन ये बात अलग है कि वो अम्मी से मांगकर खाना खा चुके हैं. खाना खाने के बाद सर पर टोपी लगाकर बताते हैं कि वो नमाज़ पढ़ने जाएंगे और फिर शाम में इफ़्तार करेंगे. नमाज़ पढ़ते-पढ़ते वो बताते हैं कि उन्हें आज रोज़ा लग गया है और सोने का ढोंग करते हैं.

8 साल के दानियल अली पिछले 3 सालों से रोज़ा रह रहे हैं. एक पहला रोज़ा और एक आख़िरी. इस बार वो आधे दिन वाला रोज़ा रह रहे हैं, क्योंकि गर्मी ज्यादा है और रोज़ा मुश्किल.

दानियल बेहद खुश होते हुए बताते हैं कि रमज़ान में उन्हें पकौड़े और समोसे खाना बहुत पसंद है. आम दिनों में उनकी मम्मी ये सब चीज़ें जल्दी बनाती नहीं हैं, लेकिन रमज़ान में पूरे महीने उन्हें पकौड़े और समोसे खाने को मिलते हैं.

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बेपरवाही, बेफ़िक्री और बेपनाह मासूमियत के बीच ये सभी हज़रात बड़े ज़ोर-शोर से ईद की तैयारी में जुट गए हैं. अभी से इनकी शॉपिंग की लम्बी लिस्ट बन चुकी है. सच पूछें तो खरीदारी शुरू भी हो चुकी है. इतना ही नहीं, इस बार ईद पर किससे कितनी ईदी लेनी है, ये भी तय कर लिया गया है.

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