बिहार बना नशाखोरों का नर्क, शराब के बाद गुटखे-पान मसाले पर पाबंदी

फहमिना हुसैन, TwoCircles.net

पटना: बिहार में नीतिश सरकार द्वारा लिए जा रहे कदमों को देखते हुए लग रहा है कि राज्य सरकार किसी भी सूरत में अपने मतदाताओं को खफ़ा नहीं करना चाह रही है. शराब पर पूरी पाबंदी के बाद बिहार सरकार ने अब गुटखे व पान मसालों पर लगे प्रतिबन्ध को एक साल के लिए बढ़ा दिया है.


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शराब पर पूर्ण प्रतिबंध के डेढ़ महीने बाद राज्य सरकार ने गुटखा व पान मसाला के उत्पादन, बिक्री, ढुलाई, प्रदर्शन व भंडारण पर एक साल तक पूरा प्रतिबंध लगा दिया है. जनहित को ध्यान में रखते हुए खाद्य संरक्षा आयुक्त आरके महाजन ने यह आदेश जारी किया है. यह प्रतिबंध 21 मई से प्रभावी हो गया है.

गुटखे और पान मसाले पर प्रतिबंध खाद्य संरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 30 के तहत लगाया गया है. इस आदेश को जारी करने के साथ ही सभी लाइसेंस अधिकारियों व खाद्य संरक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं. साथ ही सभी जिलों के प्रशासन से भी गुटखा बंदी पर प्रतिबन्ध के लिए अनुरोध किया गया है. विभाग, पुलिस और प्रशासन की मदद से हर जिलों में छापेमारी का अभियान भी चलाएगा.

भारत में गुटखा व्यवसाय दस हजार करोड़ रुपयों से ऊपर का है. विश्व बाजार में तंबाकू उत्पादन में भारत अग्रणी भूमिका तो निभाता ही है, वहीं तंबाकू की खपत में भी भारत चौथे पायदान पर है. देश की अर्थव्यवस्था में तंबाकू अहम भूमिका निभाता है. गुजरात देश के उन राज्यों में शुमार है जहां तंबाकू की खेती राज्य के अस्सी प्रतिशत भूभाग पर की जाती है. इतना ही नहीं राज्य के आणंद और खेड़ा जिले तो ऐसे हैं, जहां की समूची खेती ही तंबाकू की है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है कि दुनिया भर में 30 साल से ज्यादा उम्र के लगभग 12 फीसदी लोगों की मौत का कारण खैनी, तंबाकू, गुटखा है. भारत में लगभग 16 प्रतिशत लोग इन्हीं तंबाकू उत्पादनों के सेवन से मर रहे हैं.

बिहार में 2017 तक लगी इस पाबन्दी पर 45 वर्षीय पान के दुकानदार रामनरेश चौरसिया कहते हैं, ‘सरकार इसे बंद करके हमारी रोजीरोटी बंद कर रही है.’ इसी सिलसिले में सिगरेट विक्रेता हरिशंकर दूबे बताते हैं कि पान मसाले का कारोबार एक मात्र ऐसा व्यापार है जहां सालभर न तो ग्राहक की कमी होती है न ही मंदी की मार, बल्कि मुनाफा अलग होता है. लेकिन अब यह धंधा भी चौपट हो जाएगा.

52 वर्षीय लता देवी को गुटखे की लत है. वे बताती हैं कि यह आदत उन्हें उनके पति से मिली है. सरकार द्वारा लगायी गयी इस एक साल की पाबन्दी पर वे कहती हैं, ‘सरकर इसे बंद करती है तो बहुत अच्छी बात है. जैसे शराब बंद हुई, तम्बाकू भी बंद होना चाहिए, लेकिन लोग कहां मानेंगे, कोई न कोई राह निकल ही आएगी.’

बनारस के हेरिटेज हॉस्पिटल के डॉ. अनुराग बताते हैं कि तंबाकू और गुटखे में करीब चार हज़ार ऐसे रसायन होते हैं, जिनसे कैंसर होने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है. आजकल पान मसालों में कत्थे की जगह गैम्बियार मिलाया जाता है, जिसे विदेशों में सड़क बनाने के इस्तेमाल में लेगा जाता है. उससे भी ख़तरा और ज्यादा बढ़ जाता है.

बिहार में एक के बाद एक हो रही बंदियों ने बिहार को नशाखोरों का नर्क करार दे दिया है. बिहार की महिलाएं इन फैसलों से खुश हैं और सोशल मीडिया पर लोग चुटकियां ले रहे हैं.

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