नोटबंदी के हल्ले में खो रही भाजपा की ‘परिवर्तन यात्रा’

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: केंद्र सरकार द्वारा 500 व 1000 के नोटों को बंद करने का ऐलान हुए दस दिन से भी ज्यादा का समय हो चुका है. इससे पांच-छः दिनों ज्यादा समय बीता है भाजपा की यूपी चुनावों के मद्देनज़र ‘परिवर्तन यात्रा’ का आगाज़ हुए. लेकिन ऐसे में मुद्दा अब यह सामने आ रहा है कि भाजपा की परिवर्तन यात्रा कैसे नोटबंदी के विलाप में गुम हो चुकी है.


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दरअसल इसी महीने 3 नवम्बर से भाजपा की परिवर्तन यात्रा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुई थी. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या और कल्वाज मिश्र समेत कई बड़े नेता इस यात्रा में शिरकत कर रहे थे. लेकिन 8 नवम्बर की रात में जैसे ही मोदी ने देश के नाम सन्देश जारी करते हुए देश की लगभग 86 प्रतिशत करेंसी को अवैध घोषित कर दिया, उसी समय भाजपा की परिवर्तन यात्रा का अगले कुछ दिनों का भाग्य निर्धारित हो गया.

नोटबंदी के बाद से भाजपा को अपनी परिवर्तन यात्रा में भीड़ बुलाने से लेकर यात्रा के कवरेज को टीवी चैनलों और अखबारों तक पहुंचाने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं. चार दिनों पहले आजमगढ़ में परिवर्तन यात्रा आयोजित हुई थी. मंच से अमित शाह ने पेशेवराना तरीके से सपा और बसपा को खरीखोटी सुनायी. लेकिन अगले दिन के अखबारों में इस खबर की प्रमुखता अंदरूनी पेजों में ही सिमटी दिखाई दी.

अखबार ही नहीं, समाचार चैनलों में भाजपा की परिवर्तन यात्रा एक आम न्यूज़ फीड की तरह दिखायी दी. कुछ चैनलों पर परिवर्तन यात्रा को इतनी भी जगह नहीं मुनासिब हो सकी कि उसे प्राइमटाइम के फीड में शामिल किया जा सके. आजमगढ़ में आयोजित परिवर्तन यात्रा के बाद एक भाजपा कार्यकर्ता बताते हैं, ‘हम लोगों को भीड़ जुटाने में भी बहुत मशक्कत करनी पड़ी थी. लोगों के पास पैसे की दिक्कत है. वो नहीं आना चाह रहे थे. लोगों की छोड़ दीजिये तो कार्यकर्ता भी नहीं आना चाह रहे थे क्योंकि उनके पास भी पैसे बदलने और बैंक जाने की समस्या है.’

नोटबंदी की घोषणा के बाद से परिवर्तन यात्रा के आयोजनों में अपेक्षाकृत भीड़ कम देखी जा रही है. आयोजन से जुड़े हुए जमीनी कार्यकर्ताओं की मानें तो मालूम चलता है कि भीड़ खाने का इंतजाम पहले करेगी न कि वोट देने का. भाजयुमो से जुड़े कार्यकर्ता संदीप सिंह बताते हैं, ‘हम लोगों के पास टार्गेट था लोगों को ले जाने का. हम अपने मोहल्ले तक से किसी को नहीं ले जा सके. लोगों की अपनी दिक्कत भी है.’

टीवी चैनलों पर नोटबंदी के बाद फ़ैली त्रासदी ही छायी हुई है. अधिकतर चैनल जहां नोटबंदी से जूझ रही भीड़ को दिखा रहे हैं तो बाकी चैनल यह दिखाने में लगे हुए हैं कि इस नोटबंदी से देश को कितना फायदा हो सकता है. लेकिन इस पूरी जिरह में से भाजपा की परिवर्तन यात्रा सिरे से गायब हो गयी है.

कहा तो यह भी जा रहा है कि कल आगरा की परिवर्तन रैली में मोदी का खास जोर इस पर था कि परिवर्तन यात्रा मीडिया अटेंशन में आ जाए, लेकिन ट्रेन दुर्घटना और नोटबंदी के बाद चली आ रही त्रासदी ने भाजपा के एजेंडे को सुर्ख़ियों में छाने नहीं दिया.

ज्ञात हो कि भाजपा की परिवर्तन यात्रा उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों का दौरा करेगी. इस दौरान इन जिलों में रैलियों का आयोजन किया जाएगा. परिवर्तन यात्रा के पहले सत्र में ही मुख्तार अंसारी, कैराना पलायन और आज़म खां पर प्रहार करते हुए अमित शाह ने मुस्लिमविरोधी फ्रंट खोल दिया था. लेकिन अमित शाह का आयोजन को सनसनीखेज बनाने का कदम भी बेजा गया.

ऐसे में यह तस्वीर बनती नज़र आ रही है कि भाजपा के चुनावी एजेंडे के खिलाफ भाजपा की केंद्र सरकार ही काम कर रही है. नरेंद्र मोदी को भी हर मंच से बार-बार अपने कदम को लेकर सफाई देनी पड़ रही है. विपक्ष के प्रदर्शन के आगे भी भाजपा लाचार स्थिति में खड़ी दिखायी दे रही है. ऐसे में भाजपा के कैम्पेन को मीडिया अटेंशन न मिलना कहीं न कहीं भाजपा की मुहिम में एक बड़ी चोट लगा सकता है.

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