आदमी तो आदमी, बाघों और शेरों को भी मयस्सर नहीं गाय का मांस

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पिपली(हरियाणा): अब तक मुल्क के चिड़ियाघरों में गाय का मांस जानवरों को दिया जाता रहा है, लेकिन हरियाणा सरकार ने जब से इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया है, तब से चिड़ियाघर के जानवर भी गाय के मांस की जगह चिकन और मटन खाने लगे हैं.


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हरियाणा सरकार के वन विभाग के पंचकूला प्रखंड से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक़ इस मंडल में चंडीगढ़ से दिल्ली आने वाली जीटी रोड पर पड़ने वाले कुरूक्षेत्र में पिपली चिड़ियाघर है, जो 27 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है.

आरटीआई से मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि इस चिड़ियाघर में बीफ़ यानी गाय का मांस जानवरों को नहीं दिया जाता है. लेकिन यहां जानवरों को भैंस का मांस ज़रूर दिया जाता है. भैंस का मांस आवश्यकता अनुसार यूपी के सहारनपुर जिले से उपलब्ध हो जाता है. इसके अलावा यहां के जानवरों को चिकन व मटन भी खाने को दिया जाता है.

आरटीआई से मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि इस चिड़िया घर में एक बाघ है, जिसे सप्ताह में 2 दिन मटन और 4 दिन भैंस का मांस दिया जाता है.

दस्तावेज़ यह भी बताते हैं कि शेर के इस खाने पर साल 2014-15 में 2014 के जुलाई महीने तक 1,84,900 रूपये खर्च किए गए. जबकि इससे पूर्व साल 2012-13 में यह खर्च 4,17,280 रूपये और साल 2011-12 में 3,52,921 रूपये था.

इस चिड़ियाघर में तेंदुआ, बिज्जू, सियार और शेर भी हैं. इन्हें खाने में चिकन व मटन दिया जाता है. और साल 2015-16 में इनके खाने पर 8 लाख 94 हज़ार 500 रूपये का खर्च आया है.

ऐसे में यह बात साफ़ होती है कि सरकारों द्वारा लगाया गया गोमांस पर प्रतिबन्ध आदमी और जानवरों पर सामान रूप से लागू होता है, लेकिन जब गोमांस के निर्यात की बात आती है तो यह प्रतिबन्ध दिखना बंद हो जाता है.

RTI Paper

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