रविदास जयंती के पहले बेगमपुरा एक्सप्रेस रद्द, दलितों और सिखों में गुस्सा

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net


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वाराणसी : बनारस में एक मोहल्ला है, सीर गोवर्धन. यहां आप संत रविदास जयंती के दिन घुसेंगे तो पिसने की नौबत आ जाएगी. और रविदास जयन्ती के पहले यहां पंजाब से लाखों की संख्या में लोग आकर टिकते और रुकते हैं. उनका केवल एक मूल उद्देश्य होता है. संत रविदास जयंती को पूरी श्रद्धा के साथ मनाना. इन अनुयायियों में दलित भी अच्छी-खासी संख्या में होते हैं.

लेकिन खबर है कि अब सुरेश प्रभु और केंद्र सरकार को इन सिखों और दलितों का गुस्सा झेलना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि 10 फरवरी को पड़ रही रविदास जयंती के पहले और बाद में बेगमपुरा एक्सप्रेस रद्द है.

 

इस बार 3,5 व 7 फरवरी को बनारस की ओर आने वाली बेगमपुरा एक्सप्रेस रद्द कर दी गयी है. वहीं यहां पंजाब के ओर जाने वाली बेगमपुरा एक्सप्रेस 11, 13 और 15 फरवरी को रद्द है.

ज्ञात हो कि हर साल रविदास जयन्ती के तीन महीने पहले ही यह ट्रेन पूरी तरह से भर जाती है. इस ट्रेन में रैदासियों का जत्था भारत के एक कोने से दूसरे कोने आता है. लेकिन ट्रेन निरस्त होने के कारण सारे टिकट रद्द कर दिए गए हैं.

रविदास जन्मस्थली मंदिर के ट्रस्टी केएल सरोए ने बातचीत में रोष प्रकट करते हुए कहा है कि हम हर साल यह मांग रखते थे कि रविदास जयंती के लिए विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया जाए, लेकिन अतिरिक्त ट्रेन चलाने के बजाय सरकार ने चल रही ट्रेन को भी निरस्त कर दिया है.

कोहरे के कारण ट्रेनों की स्थिति देखते हुए रेलवे ने कई ट्रेनों को निरस्त और कई ट्रेनों की दिनों की संख्या को कम किया था. इसमें जम्मूतवी से वाराणसी के बीच चलने वाली ट्रेन संख्या 12338/12337 बेगमपुरा एक्सप्रेस भी शामिल है. पहले-पहल इसे निरस्त किया गया, फिर रोज़ाना चलने वाली इस ट्रेन को हफ्ते में तीन दिन ही चलाने की बात सामने आई है.

यह ट्रेन पंजाब के लुधियाना, जालंधर और पठानकोट में अपना सफ़र तय करती है. पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जालंधर के एक पार्षद देशराज जस्सल ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार जल्द से जल्द इस ट्रेन को वापिस शुरू करने का निर्णय नहीं लेती है तो हम रेल रोको अभियान को अंजाम देंगे.

ऐसा नहीं है कि इस ट्रेन के चलने से सिर्फ रैदासियों को मुसीबत का सामना करना पड़ेगा. बनारस के सीर गोवर्धन में इस पंद्रह दिन में कमाई करने वाले कई वर्गों के लोग इस फैसले से प्रभावित दिख रहे हैं. सीर गोवर्धन के पास ही परचून की दुकान चलाने वाले संतोष कुमार जायसवाल की हर साल इस पर्व के आसपास 25-30 हज़ार रुपयों की कमाई होती है क्योंकि आने वाले रैदासी इनकी दुकान से ही कच्चा सामान ले जाते हैं. संतोष कहते हैं, ‘का बताएं? नोटबंद होने के बाद यही तो बचा रहा? वहू आप ले बितो. अब ट्रेन कैंसल होने के बाद केतना भीड़ आएगा, इ हमहू को पता है और आपहू को पता होगा.’

इस घटना का हल्ला बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिनजानकार मानते हैं कि यदि रेल मंत्रालय द्वारा इस समस्या का हल इस मौजूदा हफ्ते में न निकाला गया तो भारतीय जनता पार्टी को दो राज्यों के चुनावों में ज़रूर कुछ न कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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