‘कभी ब्राहमण भी खाते थे गो-मांस’

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net 


Support TwoCircles

रांची (झारखंड) : अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संयुक्त बिहार के पूर्व विधान पार्षद छत्रपति शाही मुंडा ने गो-मांश को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ब्राहमण भी पहले गो-मांस का सेवन करते थे.

TwoCircles.net से ख़ास बातचीच में छत्रपति शाही मुंडा ने कहा कि, अभी देश में गो-हत्या को लेकर जो कुछ भी हो रहा है, वो देश में पूर्णतः साम्प्रदायिक तनाव पैदा करके दंगा फैलाने की एक षड्यंत्र है. क्योंकि जिन लोगों के द्वारा ये फैलाया जा रहा है, वो हिन्दू धर्म के नाम पर संचालित आरएसएस और उनकी आनुषंगिक संस्थाएं हैं.

उन्होंने कहा कि, आज गो-हत्या के नाम पर जो भी घृणित प्रचार ये लोग कर रहे हैं, सरासर ग़लत कर रहे हैं. क्योंकि हिन्दू धर्म शास्त्र के उपनिषद का अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि ब्राहमण भी गो-मांस का सेवन करते थे. रंती देव नाम के राजा रोज़ एक हज़ार गायों का वध करके ब्राहमणों को भोजन कराते थे.   

छत्रपति मुंडा यह भी बताते हैं कि, ये लोग उस समय सफ़ेद गो-मांस का सेवन करके अपने स्त्रियों से संभोग यह कहकर करते थे कि इससे होने वाला बच्चा गोरा होगा.

वो आगे कहते हैं कि, आज ये लोग गो-हत्या को लेकर हिन्दु मुसलमान और विभिन्न प्रकार का जो प्रचार करते हैं, ये बिल्कुल साम्प्रदायिक साज़िश के तहत भारत को विघटित करने के लिए   कर रहे हैं. ये ज़बरन हिन्दू राष्ट्र थोपने की साज़िश है.

छत्रपति मुंडा बताते हैं कि, हमारे आदिवासी लोग सियार भी खाते हैं,  सांप भी खाते हैं, चूहा भी खाते हैं, केकड़ा भी खाते हैं, नागालैंड में जाईए तो कुत्ता भी खाते हैं, मिजोरम में हाथी का मांस भी खाते हैं और कहीं-कहीं गो-मांस भी आदिवासी समाज के लोग खाते हैं. इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.

छत्रपति शाही मुंडा से TwoCircles.net की बातचीत के प्रमुख अंश को आप नीचे वीडियो में देख सकते हैं :

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE