ओवैसी की बिहार आमद पे सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

अफ़रोज़ आलम साहिल, twocircles.net

महाराष्ट्र और कर्नाटक में दस्तक देने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के निशाने पर उत्तरप्रदेश घोषित तौर पर है. मगर बीच में अचानक बिहार चुनाव में ओवैसी की दस्तक की सुगबुगाहट ने ‘राजनीत’ का बाज़ार गरमा दिया है. क्योंकि ये कभी ओवैसी के एजेंडे में नहीं रहा.


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बिहार में एक अच्छा-खासा तबका ये मानता है कि ओवैसी का यह क़दम सीधे तौर पर भगवा पार्टियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए होगा. ओवैसी के मैदान में उतरने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा होगा और ये बीजेपी के लिए अंधे के हाथ में बटेर जैसी बात होगी. अलीगढ़ से पढ़े चम्पारण के आसिफ़ का कहना है कि –‘बिहार में ओवैसी की आमद से सीधा नुक़सान यहां के सेक्यूलर जमाअतों का होगा.’ वहीं फ़िरोज़ खान का कहना है कि –‘ओवैसी के बिहार में चुनाव लड़ने के ऐलान से इस बात का सुबहा होता है कि कहीं ये भगवा पार्टियों के मुसलमान वोटों के बांटने की साज़िश का हिस्सा तो नहीं, जिसके मोहरे के तौर पर ओवैसी काम करते दिखाई दे रहे हैं.’

मीडिया की ख़बरों के मुताबिक ओवैसी की पार्टी बिहार में 25 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है. लेकिन जबकि मजलिस के महाराष्ट्रा के विधायक इम्तियाज़ जलील twocircles.net से खास बातचीत में बताते हैं कि –‘अभी बिहार चुनाव में जाने का पार्टी ने कोई फैसला नहीं लिया है. पार्टी के अहम नेता आज हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी के साथ एक मीटिंग करेंगे. इस मीटिंग में बिहार चुनाव पर बातचीत होगी.’ हालांकि उन्होंने बातचीत में इस ओर भी इशारा किया कि पार्टी का विचार बिहार चुनाव में नहीं जाने का है.

इस बीच सोशल मीडिया में ओवैसी के बिहार चुनावी दंगल में कुदने को लेकर काफी विरोध भी देखने को मिल रहा है. सीमांचल के अररिया शहर के Shibli Arsalan Zaki अपने फेसबुक टाईलाइन पर लिखते हैं कि –‘बिहार की धरती से उभरने वाले ‘मुजाहिद-ए-मिल्लत’ श्रीमान अख़तरुल इमान (पूर्व विधायक) की दावत पर ‘शेर-ए-मिल्लत’ बैरिस्टर असदुद्दीन ओवेसी आज पहली बार बिहार में एक ‘इंक़लाबी सभा’ को संबोधित करने जारहे हैं. मैनस्ट्रीम मीडिया ने अपने चहीते ओवैसी साहब के बयानों और इंटरव्यूज़ का ख़ूब ख़ूब रिपीट टेलिकास्ट करके मुस्लिम युवाओं के अंदर ओवेसी फैन्स में इज़ाफा किया है… एहसास-ए-मज़लूमियत पैदा करके ख़ौफ़ के मनोविज्ञान की फस्ल काटने के अलावा ओवेसी बंधुओं का और ‘कमाल’ क्या है…? अख़तरुल इमान को मालूम होना चाहिए कि बिहारी मुस्लिम युवाओं और हैदरबादी मुस्लिम युवाओं के बीच राजनीतिक समझ का बड़ा अंतर है… किशनगंज, अररिया, पूर्णिया के मुस्लिम बहुल क्षेत्र को हैदराबाद समझने की भूल, उनके लिए दूरगामी नुक़्सान का कारण बन सकती है… इंक़लाब के हुंकार से पहले खोपड़ी का प्रयोग करके रोडमैप बनाना ज़रुरी है अख़तरुल जी…’

मेरठ में रहने वाले सीनियर जर्नलिस्ट Saleem Akhter Siddiqui अपने फेसबुक टाईमलाइन पर एक लंबे पोस्ट में लिखते हैं –‘भविष्य की राजनीति एक खतरनाक मोड़ पर जाती हुई दिख रही है. उस मोड़ पर, जहां से सभी रास्ते सिर्फ नफ़रत की ओर ले जाएंगे. मजलिस का उभार हिंदू सांप्रदायिकता का जवाब कहा जा रहा है. यही खतरनाक बात है. सांप्रदायिकता का जवाब सांप्रदायिकता से नहीं दिया जा सकता.’

वो आगे लिखते हैं कि –‘…. जब-जब देश में मलियाना, हाशिमपुरा या गुजरात हुआ है और मुस्लिम क़यादत अपने बिलों में जा घुसी है, तब-तब इंसाफ़ के लिए हिंदुओं ने ही आवाज़ उठाई है. मजलिस समर्थकों में से ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं होगा कि तीस्ता तलवाड़ कौन हैं? हर्षमंदर कौन है? तीस्ता और हर्षमंदर तो महज उदाहरण हैं, ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जो खतरे मोल लेकर सांप्रदायिकता से लड़े हैं. औवेसी बंधुओं ने मुस्लिमों के लिए अब तक क्या किया है? क्या उन्होंने दंगा पीड़ितों के मुक़दमे लड़े हैं? हिंदू सांप्रदायिकता हो या मुस्लिम सांप्रदायिकता, दोनों ही देश के लिए खतरनाक है. एक को सहलाया जाएगा, तो दूसरी फन निकाल लेगी. यह बात हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को समझ लेनी चाहिए.’

वहीं Abdul H Khan का कहना है –‘बिहार चुनाव में असदउद्दीन ओवैसी साहब अपनी या कौम की मदद न करके सिर्फ और सिर्फ बीजेपी की मदद कर रहे हैं. हाँ! यही बात यूपी के चुनाव में करते तो बात कुछ दूसरी ही होती.’

ट्वीटर पर भी बिहार में ओवैसी की आमद को लोग बीजेपी के फायदे के तौर पर देख रहे है. ‏@BhujungPrasad ने अपने एक ट्वीट में लिखा है –‘Good news for #BJP #Owaisi’s #AIMIM to contest Muslim dominated 25 seats in #Bihar’

वहीं @Vanket1 ने अपने ट्वीट में लिखा है –‘#Owaisi has entered #Bihar, rallied in Kishenganj. His success would help @BJP4India and damage @laluprasadrjd @NitishKumar alliance.’
इसके विपरित किशनगंज में इस कार्यक्रम के मुख्य आयोजक पूर्व विधायक Akhtarul Iman ने अपने फेसबुक टाईमलाइन पर लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा है –

वैसे सोशल मीडिया पर उन लोगों की भी कमी नहीं जो के ओवैसी की बिहार आमद का खुश-आमदीद करते हैं।

लेकिन ये बात भी सच है कि बिहार के जातीय समीकरण में पूरी तरह पीटती दिखाई पड़ रही भगवा ताक़तों का इस वक़्त पूरा ज़ोर वोटों का मज़हबी बंटवारा कराने को लेकर है. ऐसे में इस समय ओवैसी किसी भी तरह से बिहार चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं तो भगवा ताक़तों का मंसूबा सफल होता नज़र आता है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर एक जागरूक तबका भगवा ताक़तों व ओवैसी की सांठ-गांठ की पोल खोलने में जुट गया है.

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