छात्र संगठन सर सैयद मायनॉरिटी फाउन्डेशन की कोशिशों का नतीजा
सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
अलीगढ़:तकरीबन दो सालों से लटके हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के किशनगंज केंद्र पर नई केंद्र सरकार द्वारा लगाई गयी अड़चनें बीते शनिवार को साफ़ हो गयीं. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र दल सर सैयद मायनॉरिटी फाउन्डेशन ने जारी एक बयान में कहा है कि यह फाउन्डेशन केंद्र सरकार और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बीच पनप रहे गतिरोध को कम करने के लिए प्रयासरत है.
अल्पसंख्यकों के बीच शिक्षा के प्रसार के मद्देनजर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय विस्तार कार्यक्रमों को अंजाम देता रहा है. इसके पहले केरल के मल्लापुरम और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भी विश्ववविद्यालय ने केन्द्रों की स्थापना की है. बिहार में प्रस्तावित यह केंद्र भी इसी श्रृंखला का हिस्सा हैं.
साल 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने अलीगढ़ विश्वविद्यालय के किशनगंज केंद्र को मंजूरी दी थी. इस मंजूरी के बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी उद्घाटन-शिलान्यास के लिए बिहार भी आई थीं. लेकिन 2014 के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस को सत्ता से दूर भेज दिया. सत्ता में आई भाजपा के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस सेंटर की स्थापना को ‘गैर-कानूनी’ बताते हुए निर्धारित फंड पर रोक लगा दी.
(File Photo)
फोन पर हुई बातचीत में संस्था के अध्यक्ष मोहम्मद परवेज़ सिद्दीक़ी ने कहा, ‘सेंटर का फंड एक साल से लटका हुआ था. यह पैसा यूजीसी को देना था. एक दिसंबर को मंत्री स्मृति ईरानी में उन्होंने यह कई बार कहा कि इस सेंटर की स्थापना अवैध है. कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि इसकी स्थापना का ध्येय राजनीति से जुड़ा हुआ है.’
परवेज़ आगे बताते हैं कि हमारी दलीलों और तथ्यों को समझते हुए मंत्रालय ने बीते शनिवार को रुके हुए 134 करोड़ रूपए पास कर दी. बकौल बयान, सर सैयद मायनॉरिटी फाउन्डेशन श्रीमती स्मृति ईरानी के इस अच्छे कदम को सरहाती है और इस बात की अपील करती है कि जो फन्ड किशनगंज सेन्टर को रिलीज किया गया है उसे बगैर किसी शर्त के केंद्र के निर्माण पर खर्च करने का आदेश दिया जाए.
फाउन्डेशन ने विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रशासनिक अमले से अपील की है कि विश्वविद्यालय के मसलों को सामने रखें ताकि मौजूदा सरकार द्वारा उनके निवारण के लिए हरसंभव कोशिश की जा सके.