By TwoCircles.net Staff Reporter
नई दिल्ली: दिल्ली के मुसलमानों के जानिब यहां के पुलिस कमिश्नर भीम सिंह बस्सी ने एक बड़ा बयान दिया है. एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में शिरकत करते हुए उन्होंने यह क़बूल किया है कि दिल्ली के मुसलमान दहशतगर्दी के सख़्त ख़िलाफ़ है. यहां तक कि वे अपने बच्चों को भी आतंकवाद से दूर रहने की ताकीद करते हैं.
दिल्ली के मुसलमानों और मौलानाओं को ISIS से आपत्ति, दूर रखना चाहते है: बी एस बस्सी, पुलिस कमिश्नर दिल्ली #Agenda15
— आज तक (@aajtak) December 12, 2015
बी.एस. बस्सी ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि दिल्ली के मुसलमानों और मौलानाओं को ISIS से आपत्ति है. दिल्ली के मौलाना खुली ज़बान से बच्चों को आतंक से दूर रखने की बात करते हैं.
भारत के लिए बड़ा ख़तरा ISIS या ISI? बस्सी इस सवाल के जवाब में कहते हैं, ‘इसमें शक नहीं है कि अब तक जिस आतंकवाद ने हमें परेशान किया है, वह पड़ोसी मुल्क से रहा है. भारत में आतंक के पीछे पाकिस्तान का हाथ रहा है.’
पढ़े लिखे लोगों के भी इन संगठनों तक पहुँचने के प्रश्न पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर बस्सी ने कहा कि भारत के लिए आतंक कोई नई बात नहीं है. 80 के दशक से ही इसको हम झेल रहे हैं, जो आज भी जारी है.
साथ ही बस्सी ने यह भी कहा कि यह कोई ज़रूरी नहीं है कि जिसके पास पैसा हो, वह आतंक की तरफ़ नहीं बढ़ेगा. जब 10 लाख कमाने वाला धोखाधड़ी कर सकता है, तो डेढ़ लाख कमाने वाला आतंकवादी क्यों नहीं बन सकता.
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों पर हमारी नज़र बनी रहती है. जो पकड़े गए हैं, उन पर भी हमारी नज़र थी. जब सिर से पानी उपर निकल गया, तो इनको गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस कमिश्नर बी.एस. बस्सी का बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि दिल्ली में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जब दिल्ली पुलिस पर मुसलमान युवकों को झूठे आतंकी केसों में फंसाने का आरोप लगा है. हाल में ही राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मो. आमिर के मामले में दिल्ली सरकार को एक नोटिस के ज़रिए 5 लाख रूपये का मुवाअज़ा देने को कहा है. इस मामले में भी दिल्ली पुलिस पर यह आरोप लगा कि पुलिस ने आमिर को झूठे केस में फंसाकर गिरफ्तार कर लिया था, जिसकी वज़ह से बेगुनाह आमिर को 14 साल जेल में रहना पड़ा. 14 साल के बाद अदालत ने उसे बेगुनाह क़रार दिया और दिल्ली पुलिस को फटकार लगी.
हालांकि आमिर का यह अकेला मामला नहीं है. एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में ऐसे मामले 20 से अधिक हैं, जहां बेगुनाह मुस्लिम युवकों को झूठे आतंक के केसों में फंसाकर जेल में डाल दिया गया.
जहां तक ISIS का सवाल है तो दिल्ली के मुसलमान हमेशा इसका विरोध करते रहे हैं. अब तक दिल्ली में दर्जनों विरोध-प्रदर्शन के ज़रिए इसका विरोध कर चुके हैं.
ऐसे में दिल्ली पुलिस के पुलिस कमिश्नर के स्वीकारोक्ति के बाद अब दिल्ली के मुसलमानों में यह उम्मीद बढ़ जाएगी कि दिल्ली पुलिस मुसलमानों के प्रति थोड़ी और संवेदनशील होगी. अब दहशतगर्दी के मामलों की पड़ताल करते समय इस बात का भी ध्यान रखेगी कि आम मुसलमान दहशतगर्दी और इससे जुड़ी तंज़ीमों से कोसों दूर है.