By TwoCircles.Net staff reporter,
नई दिल्ली: जैसे-जैसे दिल्ली में जल्द मुमकिन विधानसभा चुनाव की करीबी बढ़ती जा रही है, उसी तरह से तमाम राजनीतिक पार्टियों में सरगर्मी बढ़ती दिख रही है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवारों की पहली सूची हाल में ही जारी की है.
यदि इन सूचियों को अल्पसंख्यक समुदाय की नज़र से देखा जाए तो कुछ दिलचस्प समीकरण बनता दिख रहा है. भाजपा की बात न करें तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने कुछ चुनिन्दा क्षेत्रों में ही अल्पसंख्यक समुदाय खड़े किये हैं.
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विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र देखें तो कांग्रेस अक्सर नामांकन के वक्त अपने उम्मीदवारों की सूची निकालने के लिए प्रचलित रही है. लेकिन दिल्ली विधानसभा में पिछले सवा साल से मचे उथल-पुथल को देखते हुए कांग्रेस ने अपने 24 उम्मीदवारों वाली पहली सूची निकाल दी है. इस सूची को देखें तो मुट्ठीभर सीटों पर ही अल्पसंख्यक उम्मीदवार नज़र आ रहे हैं.
इन उम्मीदवारों में सबसे बड़ा नाम शोएब इकबाल का है. शोएब इकबाल मटिया महल सीट से पिछले पांच बार से विधायक रह चुके हैं. ये चुनाव शोएब ने जदयू के टिकट पर लड़े थे. लेकिन बीते साल २० नवंबर को शोएब ने कांग्रेस की सदस्यता स्वीकार कर ली थी. इस लिहाज़ से मटिया महल की सीट कांग्रेस के लिए खेल के बड़े पत्ते की तरह साबित हो रही है.
इसके बाद नाम आता है पूर्व मंत्री हारून यूसुफ का. बल्लीमारान की विधानसभा सीट से पांच बार विधायक चुने गए यूसुफ की उम्मीदवारी उनकी ही सीट से बरकरार रखी गयी है.
इसी के साथ आसिफ मोहम्मद खान ओखला सीट से, मतीन अहमद सीलमपुर विधानसभा सीट से और हसन अहमद मुस्तफाबाद सीट से चुनाव लड़ेंगे.
कांग्रेस पार्टी के ताज़े और मौजूदा विधानसभा लाइनअप तो देखकर यह कहा जा सकता है कि 2013 विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस कोई भी जोखिम लेने के विचार में नहीं है. फ़िर भी यह कहना मुश्किल है कि देश में भाजपा के विजय अभियान को वह दिल्ली में कैसे रोकने में सफल होगी?
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की बात करें तो मटिया महल सीट से असीम अहमद खान, बल्लीमारान सीट से इमरान हुसैन, ओखला से अमनतुल्ला खान, सीलमपुर से हाजी इशराक और मुस्तफाबाद से हाजी यूनुस को टिकट दिया गया है. आम आदमी पार्टी भी अल्पसंख्यक सीटों पर कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है.
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों ही दलों ने समान सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किये हैं. एमआईएम ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. हाल में संगठित हुए जनता दल परिवार ने संकेत दिए थे कि वह आम आदमी पार्टी का समर्थन कर सकती है.
भाजपा ने अभी तक अपने उम्मीदवारों को कोई सूची जारी नहीं की है. सम्भव है कि हर बार की तरह भाजपा इस बार भी नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांगने का प्रयास करे. खबर तो यह भी है भाजपा इस बार दिल्ली में अपने स्टार प्रचारकों के साथ उतरने की तैयारी में है, क्योंकि पिछली बार की तरह जीत के करीब पहुँचकर भी सरकार न बना पाने के मलाल को भाजपा पूरे तरीके से खत्म करना चाहती है.