पटना की मस्जिद में फेंके गए पटाखे, लिखी गयी गालियां

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

पटना: आज रविवार की सुबह पटना की न्यू मिल्लात कॉलोनी के फुलवारी शरीफ में अराजक तत्वों ने दस्तक दी, और पिछले सवा-डेढ़ साल से चला आ रहा सम्प्रदायवाद भी इस अराजकता का एक उदाहरण साबित हुआ.


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फुलवारी शरीफ स्थित मिल्ली मस्जिद में जब आज सुबह भोर की नमाज़ अता की जा रही थी, उसी वक़्त तड़के 5:30 बजे मस्जिद के भीतर प्रांगण में जोरदार धमाका हुआ. नमाजियों ने आनन-फानन में उठकर देखा तो मस्जिद के भीतर सुतलियों से बना हुआ बम फेंका गया था, जिसके फटने से यह धमाका हुआ था. चश्मदीदों और मस्जिद के आसपास रहने वालों का कहना है कि धमाका इतना तेज़ था कि आसपास के घरों में सो रहे लोग जग गए और किसी अनिष्ट की आशंका से दहशतज़दा हो गए.

यही नहीं, मस्जिद की दीवार पर मोहल्ले के कोचिंग संस्थान ‘रज़ा क्लासेज़’ के बारे में माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां लिखकर चिपका दी गयी थीं. स्ट्रीट लाईट से पहचान न हो सके इसके लिए पास में ही मौजूद स्ट्रीट लाईट के स्विच को भी तोड़ दिया गया था.

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लेकिन राहत की बात यह है कि इस धमाके में कोई भी इंसान घायल नहीं हुआ है. मस्जिद के ठीक सामने रहने वाले चश्मदीद 30 वर्षीय आज़ाद बताते हैं, ‘जिस वक़्त धमाका हुआ, मैं तुरंत उठकर बाहर आया. उस समय दो लड़कों को मैंने भागते हुए देखा. वे दोनों भागते हुए फुलवारी शरीफ के ठीक पीछे स्थित बिड़ला कॉलोनी में चले गए.’ आज़ाद बताते हैं, ‘रज़ा क्लासेज़ को लेकर पहले भी एक दफ़ा लड़ाई-झगड़ा हो चुका है, लेकिन इस बार निशाने पर साफ़ तौर पर मस्जिद थी. यह साफ़ है कि मामला इस बार कुछ और ही है.’

मस्जिद के बगल में रहने वाले मुदस्सिर रिज़वान बताते हैं, ‘जिस समय धमाका हुआ उस वक़्त अंधेरा था. लेकिन धमाका इतना ज़बरदस्त था कि हमारे घर के सभी लोग घबराकर उठ गए.’ मुदस्सिर आगे बताते हैं, ‘कोई चोटिल नहीं हुआ है, लेकिन लोगों में दहशत फ़ैल गयी है.’

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मस्जिद में नमाज़ अता कर रहे लोग बाहर की सचाई से कुछ पल बाद ही परिचित हो सके.

मामले की जांच कर रहे फुलवारी शरीफ थाने के सब-इंस्पेक्टर एकराम ने स्वीकार किया है कि यह सब दहशत फैलाने के लिए किया जा रहा है. एकराम ने कहा, ‘अच्छी बात यह है कि कोई हताहत नहीं हुआ है. हमने मस्जिद के लोगों से सीसीटीवी लगवाने के लिए कहा है ताकि ऐसी घटनाओं में संदिग्धों की तुरंत पहचान की जा सके. हम अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन लोगों से कहा है कि वे सतर्क रहें.’

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अल्पसंखयकों पर अब बड़े हमले नहीं हो रहे हैं. छोटी-छोटी छिटपुट कार्रवाईयां हो रही हैं. फुलवारी शरीफ के नागरिक भी मान रहे हैं कि बिहार चुनाव में फायदे के लिए एक ख़ास साम्प्रदायिक दल द्वारा इस घटना को अंजाम दिया जा रहा है. इसकी सचाई जो भी जो लेकिन यह सच है कि पिछले कुछ समय में चाहे लेखकों की ह्त्या हो, अल्पसंख्यकों की हत्या हो, उनके प्रति हिंसा हो या कुछ भी, राजनीतिक-सामाजिक स्तर पर हिंसक रूप से सक्रिय लोगों के हौसले बुलंद हुए हैं.

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