अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना: बिहार के 737 मदरसों के 2459 कोटि के शिक्षकों का आंदोलन रंग लाया. उनकी सारी शर्तें नीतीश सरकार ने मान ली. अब उसी सफल आंदोलन से प्रभावित होकर बिहार के ‘गैर इमदाद याफ़्ता मदारिस तंज़ीम’ व ‘बिहार स्टेट मदरसा टीचर्स एसोसिएशन’ ने पटना के गर्दनी बाग में आज अपना आन्दोलन शुरू कर दिया है.
बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों से आए इन मदरसा शिक्षकों की मांग है कि बाकी बचे 339 मदरसों को भी कैबिनेट की मंज़ूरी देते हुए अनुदान की श्रेणी में लाया जाए.
‘गैर इमदाद याफ़्ता मदारिस तंज़ीम’ के सदस्यों का कहना है, ‘1987 में बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा 339 मदरसों को भी वित्त रहित स्वीकृति प्रदान की गई थी, किसी कारणवश 2459+1 की सूची में 339 मदरसों के नाम अंकित होने से वंचित रह गया, जबकि एक ही समय में सभी मदरसों को स्वीकृति प्रदान की गई थी.’
दिलचस्प बात यह है कि अभी इन मदरसा शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन चल ही रहा था कि अचानक गर्दनी बाग धरना-स्थल पर जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो सांसद पप्पू यादव पहुंच गए (हालांकि वो अपनी पार्टी द्वारा आयोजित रैली में आए थे). मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए उन्होंने इन मदरसा शिक्षकों की मांग को सुना. उनके लिए जीने-मरने की क़समें खाईं. बल्कि प्रदर्शन कर रहे लोगों में एक या दो को अपने साथ राज्यपाल से मिलने चलने को कहा.
मदरसा शिक्षक खुश हो गए, बल्कि इस खुशी में इनके विरोध-प्रदर्शन में शामिल भी हो गए. जमकर पप्पू यादव ज़िन्दाबाद के नारे भी लगाए. लेकिन साथ चलने का समय आया तो पप्पू यादव अकेले चलते बने.
‘गैर इमदाद याफ़्ता मदारिस तंज़ीम’ के सचिव नेसार अहमद बताते हैं कि पप्पू यादव के सारे आश्वासन झूठे थे. जब वो हमें अपने साथ नहीं ले गए तो हमलोग खुद मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर धरना दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधिकारी इनसे मिलकर इनके धरने को शांतिपूर्ण तरीक़े से खत्म करवाया. साथ ही इन्हें मंगलवार सुबह 10 बजे मिलने को बुलाया गया है. इन शिक्षकों को अब उम्मीद है कि मुख्यमंत्री इनकी मांगों को ज़रूर पूरा करेंगे.
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