अफ़रोज़ आलम साहिल , TwoCircles.net
डेहरी ऑन सोन: शेरशाह सूरी के गढ़ में इन दिनों एक नए ‘शेर’ का जन्म हुआ है. यह ऐसे ‘शेर’ हैं, जो जंगल के दूसरे जानवरों को ज़िन्दा निगल जाने पर आमादा हैं. इसके पहले चुनाव में भी ये अपना इसी दम-खम का परिचय दे चुके हैं. फिर इस बार भाजपा-जदयू के अलग-अलग चुनाव लड़ने से इनके हौसले बुलंद हैं.
दरअसल, कहानी रोहतास ज़िला के सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा सीट ‘डेहरी ऑन सोन’ की है, जहां पिछले दो चुनाव में जीत एक निर्दलीय उम्मीदवार प्रदीप कुमार जोशी व उनकी पत्नी ज्योति रश्मि की हुई है. लेकिन अब जोशी की खुद की पार्टी है और ये पार्टी इस बार रोहतास ज़िला के तमाम सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इस पार्टी का नाम ‘राष्ट्र सेवा दल’ है.
सच पूछे तो प्रदीप कुमार जोशी को इस बात का गुमान है कि अगर उन्होंने साम्प्रदायिक विद्वेष के आधार पर चुनाव की फ़सल काट ली तो देर-सबेर भाजपा में न सिर्फ इनकी इंट्री हो जाएगी, बल्कि अपने जैसे साम्प्रदायिक साथियों के सहयोग से ये मंत्री-परिषद का भी हिस्सा बन सकते हैं.
इस इलाक़े के पत्रकार वारिस अहमद बताते हैं कि जोशी 2005 में ‘मुसलमान हटाओ’ के नारे पर इस इलाक़े से न सिर्फ निर्दलीय विधायक बने, बल्कि भाजपा के उम्मीदवार की ज़मानत तक ज़ब्त करवा दी. 2010 में वो जेल गए तो उनकी पत्नी ज्योति रश्मि मंत्री रह चुके राजद के दिग्गज नेता इलियास हुसैन को पटखनी देकर इस इलाक़े से विधायक बनीं.
वारिस बताते हैं कि ये दोनों चुनाव इसी नारे पर जीतें कि उन्हें मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए. हर सभा में उन्होंने खुलेआम कहा कि ‘मुसलमान इस सभा से चला जाए.’
एडवोकेट इज़हार अंसारी बताते हैं, ‘इस शहर में साम्प्रदायिक झगड़े नहीं हुए, पर अब तनाव का माहौल रहता है. अभी पिछले दिनों की ही बात है कि कृष्ण जन्माष्टमी के मौक़े पर विसर्जन के दिन जान-बुझकर मस्जिद के सामने घंटों लाउडस्पीकर बजाया गया. खूब नारेबाज़ी की गई, ताकि भावनाओं का भड़काकर इसका राजनीतिक लाभ लिया जाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.’
डेहरी ऑन सोन के लोगों की शिकायत है कि अब लोगों में इस बात का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है कि मुसलमानों के दुकानों से सामान मत खरीदो. लोग यह भी आरोप लगाते हैं कि विधायक के लोगों द्वारा दुर्गापूजा व रामनवमी आदि में तलवार भी बांटा जाता है.
डेहरी ऑन सोन के जागरूक लोगों को हर समय इस बात का डर सता रहा है कि वोटों के चक्कर में लोगों के दिलों में साम्प्रदायिकता की जो चिंगारी लगाई गई है, कहीं वो किसी बात पर आग की शक़्ल न अख़्तियार कर ले. क्योंकि आए दिन छोटी-छोटी बातों पर तनाव फैल जाना अब यहां आम बात हो चुकी है.
तीन दिन पहले की ही बात है. डेहरी ऑन सोन से सटे सासाराम के जगदवनडीह गांव में विश्वकर्मा पूजा की रात नाच के प्रोग्राम में दो गुटों के बीच जमकर गोलियां चलीं. इस घटना में एक युवक घायल हुआ, जिसे इलाज के लिए वाराणसी ले जाया गया. जहां उसकी मौत हो गई. घटना के बाद गांव में तनाव व्याप्त है. पुलिस यहां कैंप कर रही है.
पूरे ज़िला गौ-रक्षा अभियान ज़ोर-शोर से चल रहा है और इसके नाम पर एक खास समुदाय से मारपीट आम बात है. पिछले महीने ही 22 अगस्त को डेहरी ऑन सोन के बग़ल वाले विधानसभा क्षेत्र चेनारी में एक तथाकथित पशु तस्कर की जमकर पिटाई गई. उसके बाद इलाक़े में खासा तनाव पैदा गया. ऐसी घटनाएं भी अब इस ज़िला में एक आम बात है.
गीता आर्या, जो यहां आम आदमी पार्टी से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं पर अब भाजपा में हैं, जोशी के बारे में बताते हुए कहती हैं, ‘हिन्दू-मुस्लिम में यहां चट्टानी एकता है. रामनवमी में मुसलमान शर्बत पिलाता है, और हम उन्हें मुहर्रम में… पर कुछ लोग दंगा कराकर नफ़रत फैलाने की कोशिश करते हैं. वो केवल हिन्दुत्व की बात करता है, पर करता कुछ नहीं है. सिर्फ कुछ पर्व-त्योहारों में कुछ सामान बांट देता है.’
भाजपा की वर्किंग कमिटी के सदस्य विजय शंकर तिवारी का कहना है, ‘विधायक की असलियत यहां के लोग अब जान गए हैं. उन्होंने यहां कोई विकास नहीं किया, सिर्फ लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का काम किया है. हिन्दू-मुस्लिम भावनाओं को भड़का कर चुनाव जीतते हैं. लेकिन जनता अब विकास चाहती है.’
राजद से जुड़े हाजी नेयाज़ बताते हैं कि इस क्षेत्र में बीजेपी की कोई औक़ात नहीं है. बल्कि उनके उम्मीदवारों का ज़मानत भी यहां ज़ब्त हो जाती है. सच पूछे तो भाजपा के सारे गुण यहां के विधायक में मौजूद हैं. जिन हथकंडों को अपनाकर भाजपा बाकी जगह चुनाव जीतती है, उन्हीं हथकंडों को अपनाकर जोशी यहां चुनाव जीत जाता है.’
वरिष्ठ पत्रकार तस्लीमुल हक़ का कहना है, ‘यहां लोग जातिगत आधार पर नहीं, धार्मिक आधार पर वोट करते हैं. ऐसे में भाजपा भी खुद को कमज़ोर कर लेती है.’ हक़ बताते हैं कि इलाक़े में गौ हत्या आंदोलन ज़ोरों पर है. यहां शिवसेना भी सक्रिय है. लेकिन सारे मुद्दे बीजेपी के बजाए जोशी के पक्ष में जाते हैं.
डॉ. नवाब भी आरोप लगाते हैं कि बीजेपी यहां एक्टिव नहीं है. जान-बूझकर सीट छोड़ देती है, अच्छा उम्मीदवार नहीं उतारती. हालांकि इस बार यह सीट भाजपा को नहीं, कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को मिली है और रालोसपा ने अभी तक उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया है. लेकिन राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष व विधायक-पति प्रदीप कुमार जोशी इन तमाम आरोपों को ख़ारिज कर देते हैं. वो कहते हैं, ‘जब लोगों का भाजपा, जदयू पर विश्वास था, तब मैं और मेरी मैडम यहां से चुनाव जीती. अब जनता तय करेगी करेगी कि इस बार वो किसे चुनती है.’ ये पूछने पर कि मुद्दा क्या होगा? तो इस सवाल पर जोशी कहते हैं, ‘कोई मुद्दा नहीं है. जनता खुद सोचे. जनता ने मुझे सेवा का मौक़ा दिया और हमने काम किया.’
दूसरी तरफ़ स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दस सालों में विकास का कोई कार्य इस इलाक़े में नहीं हुआ है. व्यवसायी अमित कश्यप बताते हैं, ‘इलाक़े की बात तो आप छोड़ ही दीजिए, विधायक का जो मोहल्ला है उसकी सूरत भी आज तक नहीं बदल पाई है.’ वो बताते हैं कि वार्ड-26 का धनटोलिया मोहल्ला एक महादलित बस्ती है. आलम यह है कि लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं है. मोहल्ले में किसी भी तरह से विकास की बात तो दूर विकास की किरण तक भी नहीं पहुंच पाई है.
बताते चलें कि रोहतास ज़िला में 7 विधानसभा सीट है. 2010 में इन 7 सीटों में से 4 सीटों पर जदयू, 2 सीटों पर भाजपा व 1 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी. वहीं 6 सीटों पर राजद व 1 सीट पर लोजपा दूसरे स्थान पर रही थी. और राजद जिन 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर थी, वहां जीत का अंतर काफी कम था. शायद यही कारण है कि महागठबंधन ने राजद को यहां 4 और जदयू को 2 और कांग्रेस को 1 सीट दिया है.
खैर, सबसे हैरानी की बात ये है कि ऐसे तत्व जो खुलेआम नफ़रत का कारोबार कर रहे हैं. चुनाव आयोग की नज़र में क्यों नहीं आ रहे हैं? पुलिस-प्रशासन नफ़रत की इस राजनीत को क्या समझते हुए देख रहा है?
ये एक बड़ी साज़िश है. इसका मक़सद शेरशाह की ज़मीन पर हिन्दू-मुस्लिम के लहू से लाल कर देना है. यह साज़िश इस चुनाव में बिहार के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग शक़्लों में दिखाई दे रही है. रोहतास का डेहरी ऑन सोन इसका बेहद ही खास उदाहरण है.