TwoCircles.net Staff Reporter
वाराणसी: कई सालों से बनारस के प्रसिद्द संकटमोचन मंदिर में आयोजित किए जा रहे संकटमोचन संगीत समारोह का आग़ाज़ आज से हो रहा है. पिछले वर्ष इस समारोह मीन ग़ज़ल गायक ग़ुलाम अली खां ने शिरकत की थी. बनारस की जनता ने उनका स्वागत भी किया था.
इस बार भी ग़ुलाम अली संगीत समारोह की पहली निशा में अपना कार्यक्रम रखने आ रहे हैं, लेकिन इस बार हालात पिछली बार की तरह सामान्य नहीं हैं. शहर में हिन्दू युवा वाहिनी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह गुलाम अली खां के विरोध में पोस्टर लगाए हैं.
दलों ने बयान जारी करके कहा है कि पिछली बार गुलाम अली के कार्यक्रम में हिस्सा लेने की वजह से हमें लगा था कि भारत और पाकिस्तान की दूरियां कम होंगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पठानकोट का हमला इसकी मिसाल है.
इसके उलट मंदिर परिसर में भीड़ जुटने लगी है. मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा है कि ग़ुलाम अली खां भारत-पाकिस्तान एकता की नयी मिसाल हैं. उनका विरोध किया जाना बेबुनियाद है. ऐसा करके हम अपनी सहृदय छवि का नुकसान कर रहे हैं.
पिछले वर्ष संकटमोचन संगीत समारोह में गुलाम अली के शिरकत के बाद नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रह चुके पं. छन्नूलाल मिश्र ने कहा था कि मंदिर में एक पाकिस्तानी को नहीं घुसने देना चाहिए, जिसके लिए छन्नूलाल मिश्र की खूब आलोचना हुई थी. बीते दिनों में कई समारोहों में गुलाम अली की शिरकत का ख़ासा विरोध हुआ है. ऐसे में देखना यह है कि काशी की जनता हर बार की तरह मिसाल कायम करती है या वह भी विरोध के साथ कंधा मिलाकर खड़ी हो जाती है.