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दिल्ली: आज दिल्ली स्थित विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया. छात्रों ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ मिलकर लड़कों के हॉस्टल में छापेमारी की और तलाशी ली है.
चीफ प्रॉक्टर महताब आलम के दफ्तर का घेराव करते नाराज़ छात्र
एक तरफ जहां प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा है कि पुलिस ने छापेमारी की है, वहीँ पुलिस के अधिकारियों की ओर से दिए गए आधिकारिक बयान में ‘रूटीन चेक’ की बात सामने आ रही है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रशासन ने भी यही बात कही है. प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा है कि यह दो दिनों बाद मनाए जाने वाले स्वतंत्रता दिवस के पहले की रूटीन चेकिंग है.
प्रदर्शनकारी छात्र इस मामले में एकदम उलटी तस्वीर पेश करते हैं. छात्रों ने कहा है कि पुलिस के साथ-साथ इस छापेमारी में खुफिया विभाग के लोग भी शामिल थे. इन छात्रों ने विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर महताब आलम के इस्तीफे की मांग की है.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा है कि सुरक्षा का बहाना बताकर प्रशासन क्या करना चाह रहा है, वह अपना मत स्पष्ट करे. जामिया के फेसबुक पेज जामिया स्टूडेंट्स फोरम में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया है.
इस मामले में जामिया के हॉस्टल में रहने वाले और यहीं से उर्दू में बीए(ऑनर्स) करने वाले एक कश्मीरी छात्र ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि हॉस्टल में कई सारे कश्मीरी छात्र रहते हैं. इस वजह से पुलिस और खुफिया विभाग ने छापेमारी की है. छात्र ने जानकारी दी है कि सादी वर्दी में पुलिसवाले और अधिकारी दो गुटों में आए थे. हॉस्टल के चौकीदार ने उनसे उनका पहचान पत्र माँगा लेकिन हॉस्टल के वार्डेन ने बिना जांच के उन्हें अंदर आने दिया. बकौल छात्र, बीते दो दिनों से कैम्पस में छापेमारी की सुगबुगाहट फ़ैली हुई थी.
कुछ छात्रों ने हॉस्टल के कमरों में पुलिसवालों के घुसने का विरोध किया और कुछ छात्र जब हाथापाई पर उतारू हो गए तो पुलिस वाले भागने लगे.
ज्ञात हो कि जामिया के संविधान में हॉस्टल में पुलिस वालों के घुसने पर पाबंदी लगाई गयी है, ऐसा करने का अधिकार सिर्फ विश्वविद्यालय सुरक्षा का है.
इस मामले में जब जामिया नगर थाने में बात की गयी तो वहां मौजूद पुलिसवालों से अनभिज्ञता ज़ाहिर की है.