TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : नोटबंदी को लेकर अगर आपने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चौराहे पर लाकर सज़ा देने की बात लिख रहे हैं तो ज़रा संभल जाईए. कहीं आपका ये पोस्ट आपको जेल न पहुंचा दे. कहीं बृजेश यादव की तरह आप पर भी मुक़दमा न दर्ज कर लिया जाए.
बताते चलें कि बलिया के राजनीतिक कार्यकर्ता और इंडियन पीपुल्स सर्विस के छात्र नेता बृजेश यादव बागी के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने 124 ए, 153 ए, 153 बी तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (आईटी एक्ट) के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया है. वहीं उसके भाई दुर्गेश यादव बागी पर 28 दिसम्बर को नगरा बाज़ार में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा हमला किया गया, लेकिन पुलिस ने इसकी कोई रिपोर्ट नहीं लिखा. आरोप है कि बृजेश सोशल मीडिया पर कथित तौर प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी किया था.
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक व सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने पुलिस द्वारा प्रधानमंत्री पर सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में मुक़दमा दर्ज करने को मोदी राज में चल रहे अघोषित आपातकाल और सपा-भाजपा गठजोड़ का ताज़ा उदाहरण बताया है.
मंच ने तत्काल मुक़दमा वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि मोदी को खुद सोचना चाहिए कि लोग उनसे क्यों नाराज़ हैं न कि विरोधियों पर फ़र्ज़ी मुक़दमे क़ायम कराकर लोकतंत्र का गला घोटना चाहिए.
मंच ने बृजेश के भाई दुर्गेश यादव बागी पर 28 दिसम्बर को नगरा बाजार में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा हमले की रिपोर्ट नहीं दर्ज करने पर कहा है कि सपा सरकार में थाने सामंती भाजपा नेताओं के इशारे पर चल रहे हैं.
रिहाई मंच बलिया के महासचिव बलवंत यादव ने आज जारी एक प्रेस बयान में कहा है कि –‘बृजेश यादव ने सोशल मीडिया पर वही सवाल पूछे हैं जो पूरा देश मोदी से पूछ रहा है कि मोदी को चौराहे पर मारने में कितने दिन बचे हैं? ये सवाल बृजेश यादव या जनता खुद नहीं पूछ रही है बल्कि प्रधानमंत्री ने खुद जनता को उकसाते हुए कहा था कि अगर नोटबंदी के बाद 50 दिनों में ‘सपनों का भारत’ नहीं बन जाता है तो लोग उन्हें चौराहे पर खड़ा करके सज़ा दें.’
बलवंत यादव ने कहा कि –‘किसी भी अपराध में अपराध के लिए उकसाने वाले पर भी बराबर का आरोप बनता है. लिहाजा पुलिस को अगर कार्रवाई करनी ही है तो पहले मोदी पर लोगों को उन्हें चौराहे पर सज़ा देने के लिए उकसाने के आरोप में भी मुक़दमा दर्ज करना चाहिए.’
बलवंत यादव ने कहा कि –‘बृजेश यादव अगर भाजपा नेताओं से भाजपा द्वारा ख़रीदी गई हज़ारों मोटर साईकिलों का हिसाब मांगते हैं या वो मोदी पर 2012 में पटना रैली में बम विस्फोट कराने, रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या से ध्यान हटाने के लिए पठानकोट आतंकी हमले की साज़िश रचने या सैनिक की आत्महत्या से ध्यान हटाने के लिए नोटबंदी का नाटक करने का आरोप लगाते हैं तो इससे अखिलेश यादव के पेट में क्यों दर्द होता है?’