TwoCircles.net News Desk
पटना : माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों पूर्व पटियाला हाउस कोर्ट के अंदर छात्रों, शिक्षकों और पत्रकारों की भाजपाई वकीलों के एक ग्रुप द्वारा बुरी तरह पिटाई किए जाने की घटना का संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को सख्त निर्देश जारी करते हुए आज की पेशी के समय पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चत करने हेतु आवश्यक निर्देश दिए थे.
लेकिन बावजूद इसके दिल्ली पुलिस ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई खास पालन नहीं किया.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के बिहार राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह का आरोप है कि कोर्ट परिसर के बाहर भाजपा समर्थक उत्पातियों, जिनमें कुछ वकील के वेश में थे, द्वारा कन्हैया कुमार के पक्षकार वकीलों के साथ-साथ पत्रकारों की पिटाई करने और उसके बाद कन्हैया कुमार पर भी कोर्ट रूम के बाहर और भीतर घुसकर प्रहार किये जाने की घटना को मूकदर्शक बनकर देखती रही.
सत्य नारायण सिंह ने भाजपा-संघी उन्मादी वकीलों द्वारा किए गये इस हमले की तीखी भर्त्सना करते हुए इसे मोदी सरकार की फासीवादी कारगुजारी की संज्ञा दी है.
भाकपा नेता ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि –‘यह स्पष्ट है कि भाजपा-संघ परिवार एक सोची समझी रणनीति के तहत दीर्घकालिक व्यूह रचना कर ऐसी कार्रवाईयों को अंजाम दे रहा है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर उनके हाथों की पठपुतली की तरह काम कर रहे हैं और गृहमंत्री समेत संपूर्ण गृह मंत्रालय, ऐसा प्रतीत होता है, इन फासीवादी कार्रवाइयों का मुख्यालय बन गया है.’
भाकपा के राज्य इकाई ने सरकार से यह मांग की कि कन्हैया कुमार पर से सभी झूठे मुक़दमें वापस लिए जाएं. उन्हें अविलंब रिहा किया जाए और उपरोक्त घटनाक्रम में शामिल उत्पाती-उन्मादी सभी लोगों को गिरफ्तार कर उन्हें कठोर दंड दिए जाएं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं, विशेषकर न्यायापालिका तक के लिए गंभीर ख़तरे के रूप में सिर उठा रहे हैं.
स्पष्ट रहे कि आज कोर्ट में मामला ऐसा बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट को तत्काल हस्तक्षेप करते हुए केस की सुनवाई को रोकने और कोर्ट रूम को खाली करने का आदेश देते हुए अपने वकीलों का एक दल पूरी घटना की जांच के लिए भेजना पड़ा. लेकिन शरारती तत्वों ने इस दल पर भी हमला बोलकर लोकतंत्रिक मर्यादा और मानवीय व्यवहार की सारी हदें पार कर दीं.
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भेजे गये इस दल ने घटना की पुष्टि कर दी. उसके बाद माननीय न्यायालय ने दिल्ली पुलिस कमीश्नर से जवाब तलब किया कि क्या वह कन्हैया कुमार की हिफ़ाज़त की व्यक्गित ज़िम्मेवारी लेने को तैयार है? यदि नहीं, तो सुप्रीम कोर्ट खुद उनकी सुरक्षा के इंतज़ाम करेगी. इसके बाद कन्हैया को डॉक्टरी जाँच के उपरांत 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है.