TwoCircles.net News Desk
नई दिल्ली : ‘यदि क़ानून की सम्प्रभुता बनायी नहीं रखी गई तो इंसाफ़ का कोई मतलब नहीं होगा. जब इंसाफ़ कमज़ोर होगा, तब डर और बेचैनी का वातावरण पैदा होगा और इसका मक़सद डराना है, लेकिन हमें डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है. हमारे संविधान में मानवाधिकारों के 30 बिन्दुओं में से 28 बिन्दुओं को शामिल किया गया है और यह सब बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के प्रयासों से ही सम्भव हो सका है.’
उपरोक्त विचारों को रविवार नई दिल्ली के मालवंकर हॉल में ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल की ओर से ‘शान्ति एवं न्याय की मांग और हमारी जि़म्मेदारियां’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए. एम. अहमदी ने किया.
उन्होंने कहा कि संविधान की धारा-32 हमें मानवाधिकार के संरक्षण की गारंटी देता है.
आगे उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ब्रिटिश सरकार का समर्थन किया था, आज वही लोग देश के हालात को बिगाड़ रहे हैं. इसलिए हमें एकजूट होकर हालात का मुकाबला करना चाहिए.
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आज कुछ लोग संसद के अन्दर और बाहर भड़काऊ बयान देकर वातावरण को ख़राब कर रहे हैं. इससे पूरे देश में घबराहट और बेचैनी पैदा हो रही है.
उन्होंने कहा कि इन सबकी बुनियाद 1932 में ही रख दी गई थी जब वीर सावरकर ने ऐसे भारत की धारणा पेश की जिसमें मुसलमानों और ईसाइयों के लिए कोई जगह नहीं है. आज उन लोगों को सन्देह की दृष्टि से देखा जा रहा है, जिन लोगों ने भारत में ही रहने का फैसला किया. ऐसी ताकतें जिनका स्वाधीनता की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं रही, वे राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ा रही हैं.
उन्होंने ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल से कहा कि वे सिर्फ भारत तक ही सीमित न रहे, बल्कि विश्व में जहां कहीं भी आतंकवाद के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही है, वहां का भी गहन अध्ययन करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने हमारे बीच दीवारें खड़ी कर दी हैं. अब ज़रूरत उन्हें तोड़ने की है. इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की शराब को बढ़ावा देने वाली नीति नई पीढ़ी को बर्बाद कर रही है.
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ ने वर्तमान परिस्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि यह बहुत मुश्किल भरे दिन हैं. हमें भय के वातावरण से निकल कर देश में एकता कायम करते हुए साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ना होगा.
इस सन्दर्भ में उन्होंने आरएसएस की शिक्षा शाखा के अहम सदस्य दीनानाथ बत्रा की किताब का हवाला दिया, जिसे गुजरात सरकार द्वारा वहां के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इसमें मशहूर स्वंतत्रता सेनानी व सियासी राजनेता खान अब्दुल गफ़्फार ख़ान को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.
उन्होंने कहा कि आज हमारे युवा उठ खड़े हुए हैं और अब ‘‘संविधान बचाओ’’ का नारा दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सत्ता पर काबिज़ शासक वर्ग ऐसा है, जिसका संविधान में बिल्कुल विश्वास नहीं है और वो लोकतांत्रिक लड़ाई को कुचलने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करता है. आज ज़रूरत बड़े पैमाने पर सभी उदारवादी सोच के लोगों को एकजूट करने की ज़रूरत है.
इस्लामिक फिक़ह एकेडमी के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि आज हमें जालिम के हाथ को रोकने की ज़रूरत है.
एकता पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें उन सभी लोगों का शामिल होना ज़रूरी है चाहे वो किसी भी धर्म अथवा पंथ के ही क्यों न हो.
ईसाई नेता फादर एम.टी. थॉमस ने कहा कि हर भारतीय नागरिक की यह जि़म्मेदारी है कि वो साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में अपना योगदान दे और खून-पसीने से हासिल की गई आज़ादी को बनाए रखें.
जमीयत उलेमा हिन्द के सचिव मौलाना अब्दुल हमीद नौमानी ने कहा कि असल लड़ाई 90 फीसदी बनाम 10 फीसदी की है और राष्ट्रवाद को हिन्दू राष्ट्रवाद में तब्दील करने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह चलने वाला नहीं है.
उन्होंने कहा कि जो लोग संघ और पुंजीवाद के खि़लाफ़ लड़ रहे हैं, वे जगरूक लोग हैं. वे वही ताक़तें हैं जिन्होंने 1100 साल पहले कोशिश की थी और अब उसी वर्ण व्यवस्था को लाने की कोशिश की जा रही है.
अंग्रेजी मैग्ज़ीन मिल्ली गज़ट के सम्पादक डॉ. ज़फ़रूल इस्लाम खान ने कहा कि आज के जैसे हालात इससे पहले कभी नहीं थे और उनका मुकाबला सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि देश के सभी धर्मों के लोगों को करना होगा.
उन्होंने आशा व्यक्त की कि पश्चिम बंगाल, असम, केरल और अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में मतदाता अपनी समझदारी का परिचय देंगे.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एम.एम. कश्यप ने कहा कि विकास के बजाय हमें कहीं और इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे समझने और अफ़वाहों से बचने की ज़रूरत है.
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता ज़फरयाब जिलानी ने कहा कि वर्तमान हालात में मायूसी की ज़रूरत नहीं है और 2014 में जो ग़लती हुई है, इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी.
सामाजिक कार्यकर्ता वी.वी. रावत ने कहा कि आज का युवा काफी क्रोधित है, क्योंकि शासक वर्ग बड़े-बड़े उद्योगपतियों द्वारा देश के संसाधनों पर कब्ज़ा कराना चाहता है.
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने यह इशारा दे दिया है कि युवा वर्ग वर्तमान सरकार से बहुत नाराज़ है.
उन्होंने कहा कि जिन तीन चैनलों ने जेएनयू से सम्बन्धित सीडी से छेड़छाड़ किया है, उनके खि़लाफ एफआईआर दर्ज कर क़ानूनी कार्यवाही की जाए.
इसके अलावा इस सम्मेलन में ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल महासचिव डॉ. मंज़ूर आलम, जमीयत अहले हदीस के सचिव शीश तैमी, इमारते शरिया बिहार, उड़ीसा एवं झारखण्ड के नाजि़म मौलाना अनीसुर रहमान कासमी, जत्थेदार दर्शन सिंह, मौलाना मुस्तफा रिफाई जिलानी, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार मांझी, स्वामी सर्वानन्द सरस्वती महाराज, यासीन अली उस्मानी, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. क़ासिम रसूल इलियास सहित देश के विभिन्न भागों से आए प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. सम्मेलन के समापन पर 12 सूत्री प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया.