सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
वाराणसी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सभी पार्टियों का नाम सुनाई दे रहा है लेकिन इस हल्ले में जिस दल का नाम सबसे अधिक गायब है वह है कांग्रेस का. कैराना का मसला हो या कोई भी, यूपी में कांग्रेस की चुप्पी और गुमनामी से पार्टी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे हैं.
लेकिन लग रहा है कि पार्टी ने अपने उद्धार के लिए कमर कस ली है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने यूपी में अपने उद्धार को लिए प्रियंका गांधी को सामने लाने का निर्णय किया है. ऐसा कहा जा रहा है कि यह निर्णय पार्टी के चुनावी समन्वयक प्रशांत किशोर के कहने पर लगा गया है और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने स्वयं ही इस फैसले पर मुहर लगाई है.
इस फैसले के के बाद ऐसा माना जा रहा है कि अब पार्टी का मनोबल भी पढेगा और पार्टी अपनी ख़ामियों को भी दूर कर सकेगी. यह भी कहा जा रहा है कि अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा फैसला है.
प्रियंका गांधी अभी तक पार्टी की परम्परागत सीटों अमेठी और रायबरेली में चुनाव प्रचार करती थीं. लेकिन इस फैसले के बाद वे प्रदेश भर में रैलियां करती नज़र आ सकती हैं.
आलोचक इस फैसले को भी संशय की दृष्टि से देख रहे हैं. अभी तक की हर चुनावी लड़ाई में पिट चुकी कांग्रेस के पास यही अंतिम हथियार नज़र आ रहा है. जो शायद कारगर न हो. सपा, भाजपा और बसपा की चुनावी रणनीतियों और बयानों ने भी यह साफ़ कर दिया है कि वे कांग्रेस को लड़ाई के बीच कहीं मानते ही नहीं.
वैसे भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जब से यूपी में चुनावी रैलियां करने लगे हैं तब से ऐसा माना जा रहा है कि नीतिश कुमार बिहार की दोस्ती यूपी में निभा रहे हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दिन-ब-दिन गुमनाम होती जा रही कांग्रेस क्या प्रियंका गांधी के कन्धों पर चढ़कर अपनी नाव पार लगा सकेगी?