खाली जाता अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाने का दांव

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: जहां अपने केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेन्स’ के नारे से भटकते हुए दिख रहे हैं, वहीँ मंत्रिमंडल में उनके द्वारा किए गए चुनावों पर सवालिया निशान लग रहे हैं कि इस मंत्रिमंडल विस्तार से मोदी ने यूपी में आगामी चुनावों की डोर साधने की कोशिश की है.


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ताजा मामला मोदी के मंत्रिमंडल के सबसे कम उम्र की मंत्री और अपना दल से जुड़ी हुई सदस्या अनुप्रिया पटेल का है. अनुप्रिया पटेल के संगठन अपना दल ने अनुप्रिया पटेल के मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ ही अपने सुर बदल दिए हैं और यह पार्टी अब नीतिश कुमार की मुहिम का साथ निभाती हुई दिख रही है.

दरअसल अनुप्रिया पटेल की माँ कृष्णा पटेल ने कल नीतिश कुमार की जमकर तारीफ़ की और उन्होंने यह भी बताया कि इस साल जनवरी में उनकी मुलाक़ात नीतिश कुमार से हुई भी थी.

यही नहीं, अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने मोदी सरकार और भाजपा पर भी हमला किया है. कृष्णा पटेल ने लखनऊ में कहा कि जब शुरू में एनडीए के साथ गठबंधन हुआ था तो हमारे रिश्ते बहुत अच्छे थे, लेकिन मोदी ने हम लोगों के साथ विश्वासघात किया. इसलिए हम लोगों के संबंध अब मोदी से नहीं है. हम लोग गठबंधन तोड़ रहे हैं.

ज्ञात हो कि पिछले साल ही कृष्णा पटेल ने अपनी बेटी अनुप्रिया पटेल को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. लोकसभा चुनावों के दौरान प्रदेश के कुर्मी वोट बटोरने की नीयत से भाजपा और अपना दल में गठबंधन हुआ था. अनुप्रिया पटेल के पार्टी से निष्कासन से बाद भाजपा और अपना दल का गठबंधन भी खतरे में दिखायी दे रहा था.

हालांकि अब भाजपा और अपना दल का गठबंधन पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. सूत्रों के हवाले से आ रही खबर मानें तो अगस्त में नीतिश कुमार की पार्टी जद(यू) और अपना दल में गठबंधन का ऐलान हो सकता है. इसके बाद ये दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेंगी.

अपना दल के इस फैसले से उत्तर प्रदेश की पिछड़ी जातियों, ख़ासकर कुर्मियों, के वोट भाजपा के हाथ से फिसल सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अपना दल की इस वोटबैंक पर गहरी पकड़ है. पुख्ता तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन अपना दल की गतिविधियों और भाजपा से इसकी बढ़ती दूरी को देखकर लगता है कि अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाकर कुर्मी वोट साधने की कोशिश में भाजपा फेल होती नज़र आ रही है.

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